बस्तर में नक्सलवाद पर निर्णायक चरण का आरंभ
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शिवनारायण पाण्डेय ने नक्सलवाद को देश और विशेषकर छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल क्षेत्रों की सबसे बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि बस्तर में नक्सली आतंक के लिए अब आखिरी समय निकट आ चुका है। उन्होंने कहा कि एक करोड़ रुपए के इनामी दुर्दांत नक्सली हिड़मा, उसकी पत्नी समेत 6 कुख्यात नक्सलियों का मारे जाना, इस पथराए आतंक के अंत की सबसे महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक कड़ी है। पाण्डेय ने दावा किया कि 31 मार्च, 2026 तक नक्सलवाद का देश से पूर्णत: सफाया हो जाएगा और इस लड़ाई में भाजपा सरकार पूरी दृढ़ता और स्पष्ट रणनीति के साथ खड़ी है।
भाजपा की डबल इंजन सरकार से मजबूत हुई नीतियाँ
श्री पाण्डेय ने कहा कि प्रधानमंत्री से लेकर राज्य सरकार तक, नक्सलवाद के खात्मे के लिए स्पष्ट, ठोस और जमीनी स्तर पर काम करने वाली नीतियाँ बन रही हैं। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार ने न केवल सुरक्षा बलों को सशक्त किया है, बल्कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को भी तेज गति प्रदान की है।
उनके अनुसार सड़क, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य और जनकल्याण की योजनाएं वही वास्तविक सुधार हैं, जो नक्सलवाद के अंत का आधार बनीं। विकास जितना तेज होगा, बंदूक उतनी कमजोर होगी।
कांग्रेस की नीतियों से बढ़ा बस्तर का नक्सली विस्तार
भाजपा प्रवक्ता पाण्डेय ने कांग्रेस पर तीखे हमले करते हुए कहा कि 80 के दशक से लेकर 2003 तक और फिर 2018 से 2023 तक कांग्रेस शासन में नक्सलवाद को संरक्षण जैसा माहौल मिला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की उपेक्षा, कमजोर नीति और निर्णयहीनता ने आदिवासियों के विकास को रोक कर नक्सली विस्तार को बढ़ावा दिया।
उन्होंने कहा कि बस्तर की पीड़ा केवल नक्सली हिंसा नहीं थी, बल्कि शासन की विफल नीतियों से पनपा अविश्वास भी उसका मुख्य कारण रहा।
निर्दोष आदिवासी, सुरक्षा बल और पत्रकार रहे आतंक के शिकार
श्री पाण्डेय ने कहा कि सैकड़ों जवान, निर्दोष ग्रामीण, सामाजिक कार्यकर्ता, व्यापारी और पत्रकार नक्सली हिंसा की क्रूरता के शिकार हुए हैं। उन्होंने याद दिलाया कि नक्सलवाद ने लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले हर वर्ग को अपना दुश्मन मान कर निशाना बनाया, जबकि हथियार लेकर क्षेत्र विशेष को अस्थिर करने वाले अपराधियों को राजनीतिक लाभ के लिए परोक्ष समर्थन मिलता रहा। पिछले दो वर्षों में बस्तर के भीतरी इलाकों में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और संचार जैसी बुनियादी सुविधाओं की पहुँच तेजी से बढ़ी है। पहले जहाँ नक्सली संगठन सुदूर इलाकों को अलग-थलग रखकर स्थानीय युवाओं को बरगला कर अपने साथ जोड़ते थे, वहीं अब वही युवा सरकारी योजनाओं से जुड़कर रोजगार, प्रशिक्षण और शिक्षा के अवसरों को अपनाने लगे हैं। विकास ने न केवल नक्सलवाद की जमीन कमजोर की है, बल्कि हथियारों के बहकावे से उभर रही नई पीढ़ी को भी एक नया मार्ग दिखाया है।
कांग्रेस की शंकाएँ और नक्सलियों को संरक्षण बनने का गंभीर आरोप
भाजपा प्रवक्ता ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि एक करोड़ के इनामी हिड़मा समेत छह नक्सलियों को मार गिराए जाने पर भी कांग्रेस सवाल खड़े कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज की बयानबाजी सुरक्षा बलों का मनोबल गिराने वाली और नक्सलियों को राजनीतिक संरक्षण देने जैसी है।
उन्होंने कहा कि नक्सलियों के आत्मसमर्पण, मुठभेड़ और पुनर्वास पर सवाल उठाकर कांग्रेस सुरक्षा बलों की वीरता और त्याग का अपमान कर रही है।
नक्सलवाद विचार नहीं, हिंसक सत्ता का भ्रम
अपनी बात को स्पष्ट करते हुए पाण्डेय ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद का सिद्धांत जनता के अधिकारों की नहीं, बल्कि बंदूक के बल पर सत्ता की चाह का है। वह लोकतांत्रिक व्यवस्था का विरोध करता है, जबकि भाजपा का मत स्पष्ट है कि सत्ता केवल संविधान और जनता की इच्छा से निकलती है, न कि बंदूक की नली से।नक्सल समस्या के समाधान में केवल सुरक्षा बलों की कार्रवाई ही नहीं, बल्कि स्थानीय आदिवासी समुदाय की बदलती सोच भी निर्णायक साबित हो रही है। पहले नक्सली समूह खुद को आदिवासियों के हितैषी के रूप में पेश करते थे, लेकिन शिक्षा और सरकारी योजनाओं की पैठ ने इस भ्रम को तोड़ दिया। अब कई ग्रामीण विकास कार्यों में सहयोग कर रहे हैं और नक्सलियों की गतिविधियों की जानकारी देकर शांति स्थापना का हिस्सा बन रहे हैं। यह बदलाव बस्तर को आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाते हुए हिंसा के दायरे को सिमटा रहा है।
अंतिम युद्ध का समय और जनता की सहभागिता
श्री पाण्डेय ने कहा कि नक्सलवाद के विरुद्ध यह युद्ध अब अंतिम चरण में है, जिसमें सरकार के साथ आम जनता की सहभागिता महत्वपूर्ण होगी। आदिवासी समाज की शिक्षा, विकास और आत्मविश्वास ही नक्सलवाद को जड़ से खत्म करेंगे। उन्होंने दावा किया कि आने वाले समय में बस्तर शांति, पर्यटन और प्रगति का केंद्र बनने जा रहा है।