Voter List Revision Raipur: रायपुर ग्रामीण में गुप्त मतदाता सूची पुनरीक्षण पर सवाल
रायपुर/03 अक्टूबर 2025। रायपुर ग्रामीण विधानसभा में Voter List Revision Raipur को लेकर नए विवाद ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने इस प्रक्रिया को गुप्त तरीके से आयोजित करने पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि चुनाव आयोग मतदाता सूची पुनरीक्षण में राजनीतिक दलों और आम जनता को शामिल क्यों नहीं कर रहा है, जबकि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया की मूलभूत आवश्यकता है।
धनंजय सिंह ठाकुर ने विशेष रूप से यह प्रश्न उठाया कि रायपुर ग्रामीण विधानसभा को ही पायलट प्रोजेक्ट के रूप में क्यों चुना गया, जबकि शहर की अन्य विधानसभा सीटों को क्यों नहीं शामिल किया गया। उनका कहना है कि शहर के औद्योगिक और व्यस्त क्षेत्रों में कार्यरत लोग भी स्थानीय मतदाता हैं और उनकी सूची में शामिल होना आवश्यक है।
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चुनाव आयोग ने रायपुर ग्रामीण विधानसभा में 2003 की मतदाता सूची को आधार मानकर पुनरीक्षण किया है। ठाकुर का कहना है कि ग्रामीण विधानसभा में औद्योगिक क्षेत्र जैसे उरला, भानपुरा, उरकुरा, सोनडोंगरी और सरोरा में काम करने वाले लोग 2003 के बाद विभिन्न प्रदेशों से आए हैं। उनके नाम पुराने रिकॉर्ड में नहीं होने के कारण काटे जा सकते हैं। यह प्रक्रिया राजनीतिक प्रचार और प्रोपोगंडा के लिए उपयोगी बन सकती है।
ठाकुर ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग की मंशा स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा, “क्या Voter List Revision Raipur को लेकर ग्रामीण विधानसभा में लोगों को चिन्हांकित कर भाजपा को बिहार चुनाव में लाभ पहुँचाने की योजना बनाई जा रही है?” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर प्रक्रिया पारदर्शी और सार्वजनिक नहीं की गई, तो यह लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय बन सकता है।
प्रदेश कांग्रेस ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग को सभी राजनीतिक दलों को 2003 एवं 2025 की मतदाता सूची उपलब्ध करानी चाहिए और पुनरीक्षण का सार्वजनिक प्रकाशन करना चाहिए। बिना सार्वजनिक जानकारी के यह प्रक्रिया विवादों को जन्म दे सकती है। ठाकुर ने सुझाव दिया कि रायपुर उत्तर या रायपुर दक्षिण विधानसभा जैसे अन्य क्षेत्र में भी पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाना चाहिए ताकि प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और न्यायसंगत हो।
विशेषज्ञों का कहना है कि औद्योगिक और मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों में Voter List Revision Raipur को लेकर सावधानी जरूरी है। पुराने मतदाता रिकॉर्ड में नए निवासी शामिल नहीं होने से सामाजिक और राजनीतिक असंतोष बढ़ सकता है। इस कारण से चुनाव आयोग पर जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी, सार्वजनिक और सभी दलों के लिए खुली हो।
वेब स्टोरी:
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, मतदाता सूची का गुप्त तरीके से पुनरीक्षण न केवल राजनीतिक सवाल खड़ा करता है बल्कि जनता का भरोसा भी कमजोर करता है। जनता का विश्वास तभी मजबूत होगा जब हर चरण में पारदर्शिता रहे और सभी दलों की भागीदारी सुनिश्चित हो।
रायपुर ग्रामीण विधानसभा में चल रहे इस Voter List Revision Raipur को लेकर कांग्रेस का कहना है कि यह केवल स्थानीय चुनावों का मामला नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर पर भी लोकतांत्रिक स्वास्थ्य का संकेत देता है। इसलिए चुनाव आयोग को तुरंत इस प्रक्रिया को सार्वजनिक, पारदर्शी और सभी दलों के लिए खुला बनाना चाहिए।