8th Pay Commission: आठवें वेतन आयोग से 69 लाख पेंशनर्स बाहर, सरकार के फैसले से उठे सवाल
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। करीब 69 लाख पेंशनर्स और फैमिली पेंशनर्स को इस आयोग के दायरे से बाहर रखा गया है। इससे ऑल इंडिया डिफेंस एम्प्लॉइज फेडरेशन (AIDEF) सहित कई कर्मचारी संगठन नाराज हैं। फेडरेशन ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर इस निर्णय में तत्काल सुधार की मांग की है।
पेंशनर्स को बाहर रखने पर बढ़ा आक्रोश
AIDEF का कहना है कि सातवें वेतन आयोग में पेंशन संशोधन का प्रावधान स्पष्ट रूप से शामिल था, लेकिन इस बार आठवें वेतन आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस (Terms of Reference) से यह क्लॉज हटा दिया गया है। इसका सीधा अर्थ यह है कि पहले से रिटायर कर्मचारियों की पेंशन वृद्धि पर रोक लग सकती है।
फेडरेशन ने कहा कि यह निर्णय उन लाखों कर्मचारियों के साथ अन्याय है जिन्होंने अपने जीवन का लंबा समय देश की सेवा में लगाया। संगठन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा,
“जिन लोगों ने दशकों तक अपने जीवन का सबसे मूल्यवान समय राष्ट्र के लिए समर्पित किया, उन्हें अब वृद्धावस्था में भुलाया जा रहा है। यह न केवल अनुचित है बल्कि असंवेदनशील भी।”
फेडरेशन की चार प्रमुख मांगें
फेडरेशन ने केंद्र सरकार के समक्ष चार मुख्य मांगें रखी हैं—
-
पेंशनर्स और फैमिली पेंशनर्स को आठवें वेतन आयोग के दायरे में शामिल किया जाए।
-
नई वेतन और पेंशन संरचना की प्रभावी तिथि 1 जनवरी 2026 तय की जाए।
-
अग्रिम ली गई कम्यूटेड पेंशन को 11 साल बाद बहाल करने का प्रावधान किया जाए (फिलहाल यह अवधि 15 वर्ष है)।
-
हर पांच वर्ष में पेंशन में 5% की वृद्धि की व्यवस्था लागू की जाए, जैसा कि संसद की स्थाई समिति ने सिफारिश की थी।
महंगाई के आंकड़ों पर उठे सवाल
वेतन आयोग के कार्यान्वयन में महंगाई दर (Inflation Rate) की भूमिका अहम होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि महंगाई दर के आंकड़े सही नहीं होंगे तो वेतन संरचना असंतुलित हो सकती है।
वर्तमान में हाउसिंग इंफ्लेशन की गणना सरकारी मकानों के किराए और लाइसेंस शुल्क से की जाती है, जो बाजार के वास्तविक किराए से काफी अलग है।
उदाहरण के तौर पर, वर्ष 2017 में जब सातवें वेतन आयोग ने HRA में वृद्धि की, तो हाउसिंग इंफ्लेशन 4.7% से बढ़कर 8.45% तक पहुंच गया था, जबकि असल किराए में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ था। इससे यह स्पष्ट है कि गलत आंकड़े वेतन निर्धारण की पूरी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं।
आयोग की संरचना और कार्यकाल
8th Pay Commission: आठवें वेतन आयोग की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई कर रही हैं। आयोग को अपनी रिपोर्ट 18 महीनों में सौंपनी है। रिपोर्ट में केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स के वेतन, भत्ते और पेंशन ढांचे के लिए सिफारिशें शामिल होंगी।
फेडरेशन की चेतावनी: आंदोलन की तैयारी
फेडरेशन ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने निर्णय में सुधार नहीं किया तो वे देशव्यापी आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। उनका कहना है कि आठवां वेतन आयोग तभी सार्थक होगा जब उसमें पेंशनर्स को समान रूप से शामिल किया जाए।
AIDEF ने सरकार को यह भी याद दिलाया कि सातवें वेतन आयोग के दौरान भी कई विसंगतियां सामने आई थीं, जिनका असर अब तक खत्म नहीं हुआ। इसलिए इस बार सभी हितधारकों की राय को ध्यान में रखकर संतुलित निर्णय लेने की जरूरत है।
आठवें वेतन आयोग को लेकर जारी यह विवाद आने वाले दिनों में और गहराता दिख सकता है। सरकार को अब यह तय करना होगा कि वह पेंशनर्स के हितों को शामिल करते हुए आयोग की सिफारिशों को संतुलित रूप में लागू करती है या नहीं। क्योंकि 69 लाख पेंशनर्स का यह वर्ग न केवल संख्यात्मक रूप से बड़ा है, बल्कि देश की सेवा में समर्पित एक महत्वपूर्ण जनसमूह भी है।