दिल्ली में प्रदूषण से राहत के लिए क्लाउड सीडिंग का पहला प्रयोग
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने IIT कानपुर के सहयोग से मंगलवार को पहली बार क्लाउड सीडिंग ट्रायल (Cloud Seeding Trial) किया। पर्यावरण मंत्री मंजींदर सिंह सिरसा ने बताया कि यह ट्रायल राजधानी के कई इलाकों — बुराड़ी, नॉर्थ करोल बाग और मयूर विहार — में किया गया।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, यह विमान कानपुर से उड़ा और दिल्ली के ऊपर बादलों में सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड के मिश्रण को छोड़ा गया। इस विमान ने लगभग आधे घंटे तक आकाश में उड़ान भरी और आठ फायर फ्लेयर छोड़े।
15 मिनट से 4 घंटे में बारिश की संभावना
मंत्री सिरसा ने कहा कि IIT कानपुर के विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रायल के बाद 15 मिनट से 4 घंटे के भीतर बारिश हो सकती है।
उन्होंने बताया कि मंगलवार को पहला ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा किया गया और दूसरा ट्रायल दिन के बाद के हिस्से में आउटर दिल्ली में किया जाएगा। अगले कुछ दिनों में कुल 9 से 10 ट्रायल किए जाने की योजना है।
“अगर यह प्रयोग सफल रहा तो हम इसे लंबी अवधि की रणनीति का हिस्सा बनाएंगे,” सिरसा ने कहा।
प्रदूषण से निपटने की नई तकनीक
दिल्ली सरकार की यह पहल राजधानी में बिगड़ती वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए की गई है। हर साल सर्दियों में पराली जलाने, धूल, और वाहनों के धुएं से दिल्ली की हवा जहरीली हो जाती है।
सरकार का मानना है कि क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम वर्षा कराई जा सकती है, जिससे प्रदूषक तत्व धुलकर वायु गुणवत्ता में सुधार होगा।
तकनीकी और प्रशासनिक मंजूरी
दिल्ली सरकार और IIT कानपुर के बीच 25 सितंबर को एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसके तहत कुल 5 क्लाउड सीडिंग ट्रायल किए जाएंगे।
इसके लिए डीजीसीए (DGCA) ने अक्टूबर से नवंबर के बीच किसी भी समय उड़ान की अनुमति दी है।
इस परियोजना के लिए 10 से अधिक केंद्रीय और राज्य विभागों से मंजूरी ली गई है, जिनमें पर्यावरण मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी शामिल हैं।
3.21 करोड़ रुपये की परियोजना
दिल्ली कैबिनेट ने 7 मई को इस परियोजना को मंजूरी दी थी, जिसके तहत कुल लागत 3.21 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है।
हालांकि, मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों और नमी की कमी के कारण यह परियोजना कई बार टल चुकी थी।
पहले ट्रायल में क्यों नहीं हुई बारिश?
पिछले सप्ताह दिल्ली के बुराड़ी क्षेत्र में टेस्ट फ्लाइट के दौरान सिल्वर आयोडाइड छोड़ा गया था, लेकिन वायुमंडलीय नमी 20% से कम होने के कारण बारिश नहीं हो सकी। क्लाउड सीडिंग के लिए कम से कम 50% नमी की आवश्यकता होती है।
दिल्ली सरकार की यह पहल न केवल देश में बल्कि दक्षिण एशिया में भी शहरी स्तर पर पर्यावरणीय नवाचार का बड़ा उदाहरण बन सकती है। अगर यह प्रयोग सफल होता है, तो दिल्ली में प्रदूषण कम करने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा।