दिल्ली एक बार फिर दमघोंटू हवा के साए में है। राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और उसका असर केवल सड़कों या घरों तक ही सीमित नहीं रह गया, बल्कि अब स्कूलों तक पहुंच चुका है। बढ़ते प्रदूषण स्तर और बेहद खराब एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) के कारण दिल्ली सरकार ने स्कूलों में खेलकूद और आउटडोर स्पोर्ट्स गतिविधियों पर तत्काल रोक लगा दी है। यह निर्णय ऐसे समय पर लिया गया है जब एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने आयोग (CAQM) को इस संबंध में दिशानिर्देश जारी करने पर विचार करने को कहा था।
हवा की खराब गुणवत्ता बनी बच्चों की सेहत के लिए खतरा
दिल्ली में वायु गुणवत्ता पिछले कई दिनों से लगातार खराब बनी हुई है। हवा में मौजूद जहरीले कण बच्चों की सांसों में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य खतरा पहले से अधिक गंभीर हो चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषित हवा का असर बच्चों के फेफड़ों पर सबसे ज्यादा पड़ता है, क्योंकि उनका शरीर और श्वसन तंत्र अभी विकसित हो रहा होता है। ऐसे में हर सांस उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है।
दिल्ली सरकार की ओर से जारी निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालयों और खेल संघों को खेलकूद प्रतियोगिताओं को टाल देना चाहिए। इसके साथ ही किसी भी तरह की आउटडोर फिजिकल एक्टिविटीज को भी प्रतिबंधित करने का आदेश दिया गया है।
वायु प्रदूषण रिपोर्ट में डरावने आंकड़े
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई। राजधानी में औसत AQI शुक्रवार को 370 दर्ज हुआ, जो गुरुवार को 391 था। हालांकि मामूली सुधार दिखा, लेकिन स्थिति अभी भी खतरनाक बनी हुई है।
सीपीसीबी की श्रेणियों के अनुसार AQI 301 से 400 ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 ‘गंभीर’ माना जाता है। शुक्रवार को दिल्ली के वजीरपुर में AQI स्तर 442 दर्ज हुआ, जो गंभीर श्रेणी में आता है। वहीं, आरके पुरम, जहांगीर पुरी, बवाना, रोहिणी और आनंद विहार जैसे क्षेत्रों में AQI लगातार 400 के पार बना रहा।
सुप्रीम कोर्ट की चिंता और CAQM की सलाह
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रदूषण पर सुनवाई के दौरान दिल्ली की हवा को बच्चों के लिए खतरनाक बताया था और आयोग (CAQM) को स्कूलों में नवंबर-दिसंबर के दौरान खेल रोकने पर विचार करने को कहा था। इसके बाद आयोग ने अपने दिशानिर्देश जारी कर स्पष्ट किया कि हवा की मौजूदा स्थिति बच्चों के स्वास्थ्य और फेफड़ों के लिए गंभीर खतरा है।
आयोग ने यह भी कहा कि केवल स्कूल ही नहीं, बल्कि यूनिवर्सिटी, कॉलेज और खेल संघ भी खेल आयोजनों को टालें। छात्रों को अंदर रहने और इनडोर एक्टिविटीज पर फोकस करने की सलाह दी गई है।
प्रदूषण के कारण बढ़ती स्वास्थ्य समस्याएं
स्वास्थ्य विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अगर प्रदूषण इसी स्तर पर लंबे समय तक बना रहा, तो बच्चों में दमा, एलर्जी, फेफड़ों के संक्रमण, सांस लेने में दिक्कत और हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है। डॉक्टरों ने बच्चों को बाहर कम समय बिताने और अपने चेहरे पर मास्क लगाने की सलाह दी है।
दिल्ली के निजी अस्पतालों में सांस से संबंधित बीमारियों और एलर्जी के मरीजों की संख्या बढ़ी है। कई अस्पतालों ने बच्चों के लिए विशेष वार्ड तैयार किए हैं।
सरकार की चुनौतियां और आम जनता की जिम्मेदारी
दिल्ली सरकार का यह कदम फिलहाल जीवन की सुरक्षा के उद्देश्य से उठाया गया है लेकिन समीक्षकों का कहना है कि प्रदूषण रोकने के लिए केवल निर्देश काफी नहीं। जब तक निर्माण कार्यों, वाहन प्रदूषण, पराली जलाने और औद्योगिक प्रदूषण पर कड़े कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक ऐसे अस्थायी समाधान केवल राहत देंगे, स्थायी समाधान नहीं।
दिल्लीवासियों को भी यहां अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। वाहन साझा करना, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग, पेड़ लगाने और प्रदूषण फैलाने वाले कार्यों को रोकना आवश्यक है।
क्या आगे भी बढ़ेगा प्रतिबंध
अधिकारियों का कहना है कि यदि प्रदूषण का स्तर और बढ़ता है, तो अन्य प्रतिबंध भी लागू किए जा सकते हैं। इसके तहत निर्माण कार्यों पर रोक, वाहनों के चलने में सीमाएं और उद्योगों पर कार्यवाही की संभावना से इनकार नहीं किया गया है।
संभव है कि हवा में सुधार न होने तक स्कूलों की आउटडोर गतिविधियों पर प्रतिबंध जारी रहेगा। आगे की स्थिति वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के आधार पर तय होगी।