दिल्ली की हवा बनी जानलेवा: एक वैश्विक रिपोर्ट का खुलासा
नई दिल्ली, 31 अक्तूबर 2025 (भाषा)।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की हवा अब सिर्फ सांस लेने में कठिनाई नहीं पैदा कर रही, बल्कि लोगों की जान भी ले रही है। हाल ही में जारी ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ (GBD) 2023 के आँकड़ों के अनुसार, दिल्ली में वर्ष 2023 में हुई कुल मौतों में लगभग 15 प्रतिशत मौतें वायु प्रदूषण से जुड़ी थीं।
यह विश्लेषण इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) द्वारा किया गया है, जिसमें बताया गया कि दिल्ली में वर्ष 2023 में प्रदूषित हवा के कारण लगभग 17,188 लोगों की मृत्यु हुई। इसका अर्थ यह है कि हर सात में से एक मौत का कारण प्रदूषण है।
वायु प्रदूषण: स्वास्थ्य संकट का सबसे बड़ा कारण
विश्लेषण के अनुसार, वायु प्रदूषण अब दिल्लीवासियों के लिए सबसे गंभीर स्वास्थ्य जोखिम बन चुका है।
इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि वायु प्रदूषण से होने वाली मौतें उच्च रक्तचाप, मधुमेह और मोटापे जैसी बीमारियों से होने वाली मौतों से भी अधिक हैं।
अन्य प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
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उच्च रक्तचाप: 14,874 मौतें (12.5%) 
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उच्च रक्त शर्करा (मधुमेह): 10,653 मौतें (9%) 
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उच्च कोलेस्ट्रॉल: 7,267 मौतें (6%) 
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मोटापा (BMI अधिक होना): 6,698 मौतें (5.6%) 
वर्षों से नहीं रुकी मौतों की रफ्तार
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) के विशेषज्ञों ने बताया कि वर्ष दर वर्ष प्रदूषण से जुड़ी मौतों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
वर्ष 2018 में 15,786 मौतें दर्ज की गई थीं, जो 2023 में बढ़कर 17,188 हो गईं।
CREA के विश्लेषक मनोज कुमार ने कहा,
“वायु प्रदूषण केवल पर्यावरणीय मुद्दा नहीं, बल्कि यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा है। जब तक दिल्ली की हवा में वास्तविक सुधार नहीं होता, तब तक प्रदूषण से जुड़ी बीमारियाँ और मौतें बढ़ती रहेंगी।”
सरकार का रुख: “सीधा संबंध साबित नहीं”
केंद्र सरकार ने संसद में कहा कि वायु प्रदूषण और मौतों के बीच प्रत्यक्ष संबंध स्थापित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं।
पर्यावरण राज्य मंत्री किरति वर्धन सिंह ने बताया कि,
“स्वास्थ्य पर प्रभाव कई कारणों से होता है — जैसे भोजन की आदतें, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, वंशानुगत कारण, प्रतिरोधक क्षमता और पर्यावरणीय प्रभाव।”
हालाँकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि वायु प्रदूषण श्वसन संबंधी बीमारियों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
स्वच्छ हवा की आवश्यकता: एक सार्वजनिक आंदोलन
CREA की रिपोर्ट यह भी बताती है कि प्रभावी वायु नियंत्रण नीति देश की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीति हो सकती है।
यदि सरकार और नागरिक मिलकर वायु प्रदूषण को कम करने में सफल होते हैं, तो इससे लाखों लोगों की आयु में वृद्धि और जीवन की गुणवत्ता में सुधार संभव है।
विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में स्वच्छ हवा सुनिश्चित करने के लिए निम्न कदम आवश्यक हैं—
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औद्योगिक उत्सर्जन पर सख्त नियंत्रण 
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वाहनों से निकलने वाले धुएँ में कमी 
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हरित क्षेत्र बढ़ाना और वृक्षारोपण 
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स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का प्रयोग 
वायु प्रदूषण केवल सांस की परेशानी नहीं, बल्कि यह एक धीरे-धीरे फैलता मौन संकट है जो हर साल हजारों लोगों की जान ले रहा है।
जब तक सरकार, उद्योग और नागरिक एकजुट होकर इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाते, तब तक दिल्ली की हवा लोगों के जीवन की सबसे बड़ी चुनौती बनी रहेगी।
यह समाचार पीटीआई(PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित किया गया है।
 
            

 
                 Asfi Shadab
Asfi Shadab 
         
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                    