🔔 नोटिस : इंटर्नशिप का सुनहरा अवसर. पत्रकार बनना चाहते हैं, तो राष्ट्रभारत से जुड़ें. — अपना रिज़्यूमे हमें digital@rashtrabharat.com पर भेजें।

Delhi High Court: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एफएसएसएआई के ‘ओआरएस’ ब्रांडिंग पर रोक के आदेश में हस्तक्षेप से किया इनकार

ORS Ban 2025: दिल्ली हाई कोर्ट ने एफएसएसएआई के आदेश में हस्तक्षेप से किया इनकार, कहा जन स्वास्थ्य सर्वोपरि है
ORS Ban 2025: दिल्ली हाई कोर्ट ने एफएसएसएआई के आदेश में हस्तक्षेप से किया इनकार, कहा जन स्वास्थ्य सर्वोपरि है (File Photo)
अक्टूबर 31, 2025

दिल्ली उच्च न्यायालय ने ‘ओआरएस’ शब्द पर एफएसएसएआई की रोक को सही ठहराया

नई दिल्ली, 31 अक्टूबर — दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को यह स्पष्ट किया कि वह भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के उस आदेश में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा, जिसमें पेय पदार्थों और अन्य उत्पादों में “ओआरएस” (Oral Rehydration Solution) शब्द के प्रयोग पर रोक लगाई गई है।

न्यायमूर्ति सच्चिन दत्ता की पीठ ने कहा कि यह आदेश सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है और अदालत इस पर रोक या ढील नहीं दे सकती। अदालत ने यह भी कहा कि अगर दवा कंपनी ‘डॉ. रेड्डीज़ लेबोरेट्रीज़ लिमिटेड’ अपने मौजूदा उत्पादों पर नया स्टिकर लगाकर उन्हें पुनः बाजार में लाना चाहती है, तो इस पर एफएसएसएआई को कोई आपत्ति नहीं है।


जन स्वास्थ्य को सर्वोपरि बताते हुए अदालत ने जारी रखा प्रतिबंध

न्यायमूर्ति दत्ता ने सुनवाई के दौरान कहा, “यह एक जन स्वास्थ्य का विषय है, और ऐसा खतरा जारी नहीं रह सकता। जब तक उत्पाद मानक चिकित्सा संरचना के अनुरूप नहीं होते, तब तक ‘ओआरएस’ शब्द का प्रयोग अनुचित है।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि अदालत किसी ऐसे “वाया मीडिया” का समर्थन नहीं कर सकती जिससे जन स्वास्थ्य के साथ समझौता हो। इसीलिए, एफएसएसएआई के आदेश को यथावत रखा गया है और मौजूदा रोक जारी रहेगी।


कंपनी को पुराने स्टॉक पर पुनः लेबल लगाने की अनुमति

डॉ. रेड्डीज़ लेबोरेट्रीज़ ने अदालत से आग्रह किया था कि उन्हें अपने पहले से निर्मित उत्पादों को बेचने की अनुमति दी जाए। कंपनी ने यह भी कहा कि वे अब “Rebalanz VITORS” ब्रांड के अंतर्गत कोई नया उत्पाद तैयार नहीं कर रहे हैं।

कंपनी के वकील ने अदालत को बताया, “हम अपने पास रखे सभी उत्पादों को दोबारा लेबल करने के लिए तैयार हैं। यदि हम डीलरों से पुराना स्टॉक वापस ले पाते हैं, तो उस पर भी नया स्टिकर लगाएंगे।”

अदालत ने इस पर कहा कि कंपनी एफएसएसएआई को अपनी कठिनाइयों से अवगत करा सकती है और उचित रास्ता निकालने के लिए आवेदन कर सकती है, परंतु कोई भी निर्णय जन स्वास्थ्य से समझौता किए बिना लिया जाएगा।


एफएसएसएआई ने ‘ओआरएस’ शब्द को लेकर सख्त रुख अपनाया

एफएसएसएआई ने 14 अक्टूबर को एक आदेश जारी कर सभी खाद्य एवं पेय कंपनियों को ‘ओआरएस’ शब्द के उपयोग से रोक दिया था, जब तक कि उनके उत्पाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा स्वीकृत मानक चिकित्सा फॉर्मूले पर आधारित न हों।

एफएसएसएआई का कहना है कि कई कंपनियां अपने मीठे पेय पदार्थों या इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक्स को “ओआरएस” नाम से बेच रही थीं, जिससे उपभोक्ता भ्रमित हो रहे थे। यह व्यवहार खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2006 का उल्लंघन है।


अदालत ने कहा – “सार्वजनिक स्वास्थ्य से समझौता नहीं”

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा, “जन स्वास्थ्य की दृष्टि से यह विषय अत्यंत गंभीर है। अदालत कोई ऐसा आदेश नहीं दे सकती जो एफएसएसएआई के जनहितकारी कदमों के विपरीत हो।”

इसके साथ ही अदालत ने कहा कि वह एफएसएसएआई को निर्देश देगी कि वह डॉ. रेड्डीज़ लेबोरेट्रीज़ की याचिका पर एक निश्चित समय सीमा में निर्णय ले।


ओआरएस का सही अर्थ और उसका महत्व

ओआरएस (Oral Rehydration Solution) एक चिकित्सा समाधान है, जिसका प्रयोग शरीर में पानी और लवण की कमी को पूरा करने के लिए किया जाता है। यह डब्ल्यूएचओ द्वारा स्वीकृत एक मानक फॉर्मूला है, जो विशेष रूप से डायरिया, उल्टी और निर्जलीकरण की स्थिति में उपयोग किया जाता है।

एफएसएसएआई का मानना है कि सामान्य पेय पदार्थों में ‘ओआरएस’ शब्द का प्रयोग उपभोक्ताओं को गुमराह करता है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को, जो इसे चिकित्सकीय समाधान समझ लेते हैं।


दिल्ली उच्च न्यायालय का यह निर्णय स्पष्ट करता है कि व्यावसायिक हितों से अधिक महत्त्व जन स्वास्थ्य का है। एफएसएसएआई का उद्देश्य उपभोक्ताओं को भ्रम से बचाना और असली चिकित्सा उत्पादों की विश्वसनीयता बनाए रखना है। अदालत का यह फैसला खाद्य सुरक्षा और सार्वजनिक हित की दिशा में एक सशक्त कदम माना जा रहा है।


Rashtra Bharat
Rashtra Bharat पर पढ़ें ताज़ा खेल, राजनीति, विश्व, मनोरंजन, धर्म और बिज़नेस की अपडेटेड हिंदी खबरें।

Aryan Ambastha

Writer & Thinker | Finance & Emerging Tech Enthusiast | Politics & News Analyst | Content Creator. Nalanda University Graduate with a passion for exploring the intersections of technology, finance, Politics and society. | Email: aryan.ambastha@rashtrabharat.com

Breaking