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दिल्ली-एनसीआर में GRAP-IV लागू, स्कूल हाइब्रिड मोड में और निर्माण कार्य बंद

GRAP 4 Delhi NCR: प्रदूषण बढ़ने पर लागू हुआ GRAP-IV, स्कूल हाइब्रिड मोड में, जानें 5 सूत्रीय कार्ययोजना
GRAP 4 Delhi NCR: प्रदूषण बढ़ने पर लागू हुआ GRAP-IV, स्कूल हाइब्रिड मोड में, जानें 5 सूत्रीय कार्ययोजना (Photo: RB)
दिल्ली का AQI 441 पहुंचने पर CAQM ने GRAP-IV तुरंत लागू किया। BS-IV ट्रकों पर रोक, निर्माण कार्य बंद, स्कूल हाइब्रिड मोड में संचालित होंगे। प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों के कारण प्रदूषण में अचानक वृद्धि हुई। नागरिकों से घर में रहने की अपील।
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दिल्ली की हवा फिर जहरीली हो गई है। शुक्रवार शाम तक राष्ट्रीय राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 441 के खतरनाक स्तर पर पहुंच गया, जिसके बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने आपातकालीन बैठक बुलाकर पूरे दिल्ली-एनसीआर में GRAP (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) के चरण-IV को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया। यह फैसला हर साल की तरह फिर से हमें याद दिलाता है कि हम प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में कितने पीछे हैं।

जब मैं इस खबर को पढ़ता हूं, तो मन में कई सवाल उठते हैं। क्या हर साल यही दोहराव चलता रहेगा? क्या हम सिर्फ प्रतिक्रिया करने में ही माहिर हैं, या कभी रोकथाम पर भी ध्यान देंगे? लेकिन फिलहाल तो स्थिति यह है कि दिल्ली-एनसीआर के करोड़ों लोग फिर से जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं।

AQI में अचानक उछाल – क्या हुआ

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, शुक्रवार दोपहर 4 बजे दिल्ली का औसत AQI 431 दर्ज किया गया था। लेकिन महज दो घंटों में यह बढ़कर 441 पहुंच गया। यह अचानक उछाल चिंताजनक था, क्योंकि 450 से ऊपर के AQI को ‘गंभीर प्लस’ श्रेणी में रखा जाता है।

दिलचस्प बात यह है कि इस बार AQI बढ़ने का मुख्य कारण उत्सर्जन नहीं, बल्कि प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियां हैं। उत्तर-पश्चिम भारत की ओर बढ़ रहा कमजोर पश्चिमी विक्षोभ, हवा की गति में उल्लेखनीय कमी, हवा की दिशा में बदलाव (पश्चिम से पूर्व की ओर), और निचले वायुमंडल में नमी की मात्रा में वृद्धि – इन सभी कारकों ने मिलकर स्थिति को बिगाड़ दिया।

मौसम का खेल और प्रदूषण का जाल

मेरी समझ में, यह सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। सर्दियों में जब हवा की गति धीमी हो जाती है – कभी-कभी तो शांत अवस्था में भी पहुंच जाती है – तो प्रदूषक कण तितर-बितर नहीं हो पाते। वे सतह के निकट फंस जाते हैं। ऊपर से कोहरा और स्मॉग बनने लगता है, जो एक घना आवरण बना देता है।

यह ठीक वैसा ही है जैसे किसी बंद कमरे में धुआं भर जाए। अगर खिड़कियां बंद हों और हवा न चले, तो धुआं बाहर नहीं निकल सकता। दिल्ली-एनसीआर की स्थिति भी कुछ ऐसी ही बन जाती है सर्दियों में। भले ही उत्सर्जन समान हो, लेकिन मौसमी परिस्थितियों के कारण प्रदूषक जमा होते रहते हैं।

GRAP-IV की 5 सूत्रीय कार्ययोजना

CAQM की उप-समिति ने आपात बैठक में मौसम विशेषज्ञों (IMD/IITM) से जानकारी लेने के बाद GRAP के चरण-IV को तत्काल लागू करने का फैसला किया। आइए समझते हैं कि इस 5 सूत्रीय कार्ययोजना में क्या-क्या शामिल है:

पहला कदम – BS-IV ट्रकों पर रोक

दिल्ली में BS-IV डीजल ट्रकों के प्रवेश पर पूर्ण रोक लगा दी गई है। हालांकि, आवश्यक वस्तुओं का परिवहन करने वाले या आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाले ट्रकों को छूट दी गई है। सभी LNG/CNG/इलेक्ट्रिक/BS-VI डीजल ट्रक दिल्ली में प्रवेश कर सकते हैं।

यह कदम समझ में आता है, क्योंकि पुराने डीजल ट्रक भारी मात्रा में प्रदूषक उत्सर्जित करते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या इस प्रतिबंध को सख्ती से लागू किया जाएगा? अक्सर हम देखते हैं कि कागजों पर प्रतिबंध तो होते हैं, लेकिन जमीन पर उनका पालन नहीं होता।

दूसरा कदम – दिल्ली-पंजीकृत पुराने वाहनों पर पाबंदी

दिल्ली में पंजीकृत BS-IV और उससे नीचे की श्रेणी के भारी माल वाहकों (HGV) के संचालन पर सख्त प्रतिबंध लगाया गया है। फिर से, आवश्यक सेवाओं को छूट है। यह कदम स्थानीय प्रदूषण को कम करने के लिए जरूरी है।

तीसरा कदम – निर्माण और विध्वंस कार्यों पर रोक

यह शायद सबसे व्यापक प्रतिबंध है। GRAP-III के अनुसार, राजमार्ग, सड़क, फ्लाईओवर, ओवरब्रिज, विद्युत पारेषण, पाइपलाइन, दूरसंचार जैसी रेखीय सार्वजनिक परियोजनाओं सहित सभी निर्माण और विध्वंस (C&D) गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है।

निर्माण कार्य से बड़ी मात्रा में धूल और कणीय पदार्थ हवा में फैलते हैं। इसलिए यह कदम तार्किक है। लेकिन इसका आर्थिक प्रभाव भी बड़ा है – हजारों मजदूर बेरोजगार हो जाते हैं, परियोजनाएं देरी से पूरी होती हैं।

चौथा कदम – स्कूलों में हाइब्रिड मोड

यह कदम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ा है। एनसीटी दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर में कक्षा VI से IX और XI तक के विद्यार्थियों के लिए स्कूलों में कक्षाएं अनिवार्य रूप से “हाइब्रिड” मोड में संचालित होंगी – यानी भौतिक और ऑनलाइन दोनों माध्यमों में।

महत्वपूर्ण बात यह है कि ऑनलाइन शिक्षा का विकल्प विद्यार्थियों और अभिभावकों के विवेक पर निर्भर होगा। अगर कोई अभिभावक चाहे तो अपने बच्चे को घर पर रख सकता है और ऑनलाइन कक्षाओं में भाग ले सकता है।

मेरे विचार में, यह एक संतुलित दृष्टिकोण है। एक ओर बच्चों को जहरीली हवा से बचाना जरूरी है, दूसरी ओर सभी परिवारों के पास ऑनलाइन शिक्षा के साधन नहीं होते। हाइब्रिड मोड इन दोनों जरूरतों को संतुलित करता है।

पांचवां कदम – राज्यों के लिए अतिरिक्त उपाय

राज्य सरकारों को अतिरिक्त आपात उपायों पर विचार करने की छूट दी गई है, जैसे:

  • कॉलेज और शैक्षिक संस्थानों को बंद करना
  • गैर-आपातकालीन व्यावसायिक गतिविधियों को बंद करना
  • वाहनों के परिचालन की अनुमति विषम-सम संख्या प्रणाली पर देना

यह लचीलापन जरूरी है क्योंकि स्थानीय परिस्थितियां अलग-अलग हो सकती हैं।

नागरिकों के लिए सलाह और सावधानियां

CAQM ने नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे GRAP के नागरिक चार्टर का पालन करें। विशेष रूप से:

बच्चे, बुजुर्ग और बीमार व्यक्तियों के लिए: श्वसन, हृदय, मस्तिष्क रक्त वाहिनी या अन्य दीर्घकालिक रोगों से ग्रस्त लोगों को यथासंभव बाहरी गतिविधियों से बचना चाहिए और घर के अंदर ही रहना चाहिए। अगर बाहर जाना जरूरी हो, तो मास्क अवश्य पहनें।

यह सलाह बेहद महत्वपूर्ण है। प्रदूषित हवा सबसे ज्यादा संवेदनशील लोगों को प्रभावित करती है – छोटे बच्चे जिनके फेफड़े विकसित हो रहे हैं, बुजुर्ग जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, और पहले से बीमार लोग।

GRAP क्या है और यह कैसे काम करता है

GRAP यानी ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान एक चरणबद्ध योजना है जो AQI के स्तर के अनुसार अलग-अलग उपाय लागू करती है। यह एक व्यावहारिक दृष्टिकोण है – प्रदूषण जितना बढ़ता है, प्रतिबंध उतने ही सख्त होते जाते हैं।

चरण-I (मध्यम, AQI 201-300): बुनियादी निवारक उपाय चरण-II (खराब, AQI 301-400): अतिरिक्त प्रतिबंध चरण-III (बहुत खराब, AQI 401-450): सख्त प्रतिबंध चरण-IV (गंभीर प्लस, AQI >450): आपातकालीन उपाय

फिलहाल हालांकि AQI 441 है (450 से कम), लेकिन इसकी बढ़ती प्रवृत्ति और प्रतिकूल मौसमी पूर्वानुमान को देखते हुए चरण-IV को निवारक रूप से लागू किया गया है।

दीर्घकालिक समाधान की जरूरत

हर साल यही कहानी दोहराई जाती है। अक्टूबर-नवंबर आते ही दिल्ली की हवा जहरीली हो जाती है। पराली जलाना, दीवाली के पटाखे, निर्माण धूल, वाहन प्रदूषण – सब मिलकर एक जहरीला मिश्रण तैयार करते हैं। फिर GRAP लागू होता है, कुछ दिनों या हफ्तों तक प्रतिबंध रहते हैं, और फिर सब सामान्य हो जाता है।

लेकिन यह टिकाऊ समाधान नहीं है। हमें दीर्घकालिक उपाय चाहिए:

सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करना: अगर लोगों के पास अच्छे, सुविधाजनक और किफायती सार्वजनिक परिवहन के विकल्प होंगे, तो वे निजी वाहनों का कम उपयोग करेंगे।

हरित ऊर्जा की ओर संक्रमण: इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना, सोलर एनर्जी का उपयोग बढ़ाना, और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना जरूरी है।

शहरी वनीकरण: दिल्ली-एनसीआर में व्यापक पैमाने पर पेड़ लगाने की जरूरत है। पेड़ प्राकृतिक एयर प्यूरिफायर का काम करते हैं।

पराली जलाने का वैकल्पिक समाधान: किसानों को पराली प्रबंधन के लिए किफायती और प्रभावी तकनीक उपलब्ध करानी होगी।

व्यक्तिगत जिम्मेदारी

सरकारी उपायों के अलावा, हम सबकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी है। कार-पूलिंग करें, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग बढ़ाएं, पटाखे न जलाएं, कचरा न जलाएं – ये छोटे-छोटे कदम मिलकर बड़ा असर डाल सकते हैं।

मेरे विचार में, प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई सिर्फ सरकार की नहीं, हम सबकी है। हर बार जब हम अपनी कार की जगह मेट्रो लेते हैं, जब हम पटाखे नहीं जलाते, जब हम कचरा सही तरीके से निपटाते हैं – हम इस लड़ाई में अपना योगदान देते हैं।


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Gangesh Kumar

Rashtra Bharat में Writer, Author और Editor। राजनीति, नीति और सामाजिक विषयों पर केंद्रित लेखन। BHU से स्नातक और शोधपूर्ण रिपोर्टिंग व विश्लेषण के लिए पहचाने जाते हैं।