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Delhi Air Pollution: दिल्ली की हवा फिर जहरीली — कई इलाकों में AQI 400 के पार, राहुल गांधी बोले “सांस लेना मुश्किल हो गया है”

Delhi Air Pollution: राजधानी में हवा बेहद खराब, राहुल गांधी बोले – सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन (Photo: PTI)
Delhi Air Pollution: राजधानी में हवा बेहद खराब, राहुल गांधी बोले – सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन | Delhi Smog | (Photo: PTI)
नवम्बर 3, 2025

दिल्ली की हवा फिर “बेहद खराब” श्रेणी में, जनता परेशान

दिल्ली में वायु गुणवत्ता लगातार बिगड़ती जा रही है। कई इलाकों में AQI 400 के करीब पहुंच गया है। राहुल गांधी ने प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा कि उन्हें सांस लेने में कठिनाई और आंखों में जलन हो रही है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने वायु निगरानी स्टेशनों की लापरवाही पर अधिकारियों को फटकार लगाई।


दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक ने तोड़ी सीमा

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) रविवार को कई इलाकों में “बेहद खराब” श्रेणी में दर्ज किया गया।
पर्यावरण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार —

क्षेत्र AQI स्तर
बुरारी 400
बवाना 376
अलीपुर 387
जहांगीरपुरी 389
नरेला 393
पटपड़गंज 342
पंजाबी बाग 353
शादीपुर 335
सोनिया विहार 371
वजीरपुर 390

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि दिल्ली का अधिकांश भाग “गंभीर प्रदूषण” श्रेणी में पहुंच चुका है। मौसम विभाग के अनुसार, हवा की गति में कमी और नमी के स्तर में वृद्धि के कारण प्रदूषक तत्व वायुमंडल में फंसे हुए हैं।


राहुल गांधी ने जताई चिंता — “आंखों में जलन, सांस में तकलीफ”

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से इस प्रदूषण का असर महसूस हो रहा है। उन्होंने एक वीडियो साझा किया जिसमें वे इंडिया गेट के पास एक पर्यावरणविद् के साथ बातचीत कर रहे हैं।

राहुल ने कहा — “सांस लेने में तकलीफ हो रही है, आंखें जल रही हैं, पिछले सप्ताह तो स्थिति और भी भयावह थी। मैं मां (सोनिया गांधी) को दिल्ली से बाहर भेजने पर विचार कर रहा हूं क्योंकि यहां रहना अब असुरक्षित हो गया है।”

उन्होंने केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि, “हर साल हवा जहरीली होती जा रही है, लेकिन सरकारें सिर्फ बहाने बदलती हैं। अब दोनों जगह उनकी सरकार है, जनता को बहाने नहीं, साफ हवा चाहिए।”


सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी — “डेटा के बिना प्लान कैसे लागू होगा?”

बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्त रुख अपनाया। कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान यह खुलासा हुआ कि दिल्ली के कई वायु निगरानी स्टेशन काम नहीं कर रहे हैं। इस पर न्यायालय ने अधिकारियों से पूछा —
“जब निगरानी स्टेशन ही बंद हैं तो ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) को प्रभावी ढंग से कैसे लागू किया जा सकता है?”

सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को चेतावनी दी कि वे जल्द से जल्द सभी निगरानी केंद्रों को पुनः चालू करें और विस्तृत रिपोर्ट पेश करें। कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण केवल “राजधानी की समस्या” नहीं, बल्कि “जनजीवन के अधिकार” से जुड़ा संवैधानिक मुद्दा है।


दिल्लीवालों की मुश्किलें बढ़ीं — मास्क और एयर प्यूरीफायर की मांग बढ़ी

दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण अस्पतालों में सांस और आंखों से जुड़ी बीमारियों के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। फार्मेसियों पर मास्क और एयर प्यूरीफायर की मांग अचानक बढ़ गई है।
कई स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए आउटडोर गतिविधियाँ स्थगित कर दी गई हैं। डॉक्टरों का कहना है कि लंबे समय तक ऐसे माहौल में रहना बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकता है।


क्या सिर्फ पराली और वाहन हैं जिम्मेदार?

राहुल गांधी ने अपने वक्तव्य में सवाल उठाया कि, “क्या केवल पराली और वाहन ही जिम्मेदार हैं? दिल्ली के निर्माण कार्य, औद्योगिक प्रदूषण और बढ़ती जनसंख्या का दबाव भी उतना ही बड़ा कारण है।”
विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में पराली जलाने की घटनाएँ 30% तक प्रदूषण में योगदान देती हैं, पर शेष 70% प्रदूषण स्थानीय कारणों से उत्पन्न होता है।


सरकारों की जिम्मेदारी और जनता की भूमिका

पर्यावरणविदों का मानना है कि केवल सरकार की पहल पर्याप्त नहीं होगी। नागरिकों को भी प्रदूषण नियंत्रण में अपनी भूमिका निभानी होगी। विशेषज्ञों ने लोगों से निजी वाहनों का कम प्रयोग करने, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग बढ़ाने और पेड़ लगाने की अपील की है।
केंद्र सरकार ने इस बीच “वायु मिशन 2.0” के तहत राज्यों को कड़े दिशानिर्देश जारी किए हैं।


दिल्ली की हवा एक बार फिर ज़हरीली हो चुकी है। यह केवल प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम नहीं बल्कि सामूहिक असफलता का प्रतीक है। राहुल गांधी का बयान राजनीतिक विमर्श से आगे बढ़कर जनस्वास्थ्य की चिंता को सामने लाता है। सुप्रीम कोर्ट की फटकार और वैज्ञानिक आंकड़े दोनों यही कहते हैं — अगर अब भी कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दिनों में दिल्ली “गैस चैंबर” में बदल जाएगी।


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Aryan Ambastha

Writer & Thinker | Finance & Emerging Tech Enthusiast | Politics & News Analyst | Content Creator. Nalanda University Graduate with a passion for exploring the intersections of technology, finance, Politics and society. | Email: aryan.ambastha@rashtrabharat.com

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