नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क।
देश के मशहूर कोचिंग संस्थान दृष्टि IAS (Drishti IAS) पर सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने संस्थान पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। आरोप है कि UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2022 के नतीजों को लेकर दृष्टि IAS ने भ्रामक प्रचार किया। संस्थान ने दावा किया था कि उसने 216 से अधिक उम्मीदवारों को UPSC परीक्षा में सफल कराया, लेकिन जांच में यह दावा गलत साबित हुआ।
जांच में क्या सामने आया
CCPA की जांच में पाया गया कि 216 में से लगभग 162 छात्रों (लगभग 75%) ने केवल प्रीलिम्स और मेन्स पास करने के बाद दृष्टि IAS का फ्री इंटरव्यू प्रैक्टिस प्रोग्राम जॉइन किया था। यानि इन छात्रों की सफलता में संस्थान की भूमिका सीमित थी। असल में केवल 54 छात्रों ने ही दृष्टि IAS के मुख्य कोर्स (IGP और अन्य) जॉइन किए थे।
जानकारी छिपाने का आरोप
सार्वजनिक सूचना कार्यालय (PIB) के अनुसार, दृष्टि IAS ने इस अहम जानकारी को छुपाया और प्रचार किया कि सभी 216 छात्रों की सफलता केवल संस्थान की वजह से हुई। यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 2(28) के तहत भ्रामक विज्ञापन माना गया।
दृष्टि IAS पर पहले भी जुर्माना लगाया जा चुका है।
यह पहला मामला नहीं है। सितंबर 2024 में भी दृष्टि IAS पर जुर्माना लगाया गया था। तब संस्थान ने दावा किया था कि UPSC CSE 2021 में 150 से अधिक चयन उसी के छात्रों के हुए। जांच में पाया गया कि 161 उम्मीदवारों में से अधिकांश ने केवल फ्री या सीमित कोर्स किए थे। उस समय CCPA ने 3 लाख रुपए का जुर्माना लगाया और भ्रामक विज्ञापन रोकने का आदेश दिया।
कोचिंग सेक्टर में सख्ती
CCPA ने कहा कि चेतावनी के बावजूद दृष्टि IAS ने 2022 में वही गलती दोहराई। अब तक 54 कोचिंग संस्थानों को ऐसे भ्रामक प्रचार पर नोटिस भेजा जा चुका है। इनमें से 26 संस्थानों पर 90.6 लाख रुपए से अधिक का जुर्माना लगाया गया है।
CCPA का कहना है कि जब कोचिंग सेंटर इस तरह की जानकारी छुपाते हैं तो छात्र और अभिभावक गुमराह हो जाते हैं। वे मान लेते हैं कि पूरी सफलता संस्था की वजह से मिली, जबकि वास्तविकता कुछ और होती है। ऐसे दावे छात्रों को झूठी उम्मीदें दिखाते हैं और उनके फैसलों को प्रभावित करते हैं।
दृष्टि IAS पर जुर्माने का मामला यह संकेत देता है कि सरकार और CCPA कोचिंग उद्योग में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठा रही है। छात्रों को सही जानकारी देना और भ्रामक प्रचार से बचाना अब प्राथमिकता बन गई है।