दुबई में करोड़ों की संपत्तियों पर ईडी की सख्त कार्रवाई
नई दिल्ली, 18 नवंबर। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बार फिर बैंक धोखाधड़ी मामलों पर निर्णायक प्रहार करते हुए दुबई में स्थित नौ विलासितापूर्ण संपत्तियों को अंतरिम रूप से जब्त कर लिया है। इन संपत्तियों का कुल मूल्य 51.7 करोड़ रुपये बताया गया है और इनका सीधा संबंध भारतीय स्टेट बैंक को हुए 1,266 करोड़ रुपये के भारी वित्तीय नुकसान से जोड़ा गया है। यह कदम मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत उठाया गया है।
बैंक धोखाधड़ी का पूरा परिदृश्य
ईडी ने यह कार्रवाई एम/एस एडवांटेज ओवरसीज़ प्राइवेट लिमिटेड (AOPL) और उससे जुड़े निदेशकों, गारंटरों तथा संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ चल रही जांच के तहत की है। इस पूरी वित्तीय हेराफेरी का केंद्र बिंदु कंपनी के मुख्य निदेशक और लाभकारी स्वामी श्रीकांत भसी बताए जा रहे हैं, जिन पर अवैध व्यापारीक लेनदेन, बैंक धन का दुरुपयोग, दस्तावेजों की जालसाजी और फर्जी व्यापारिक प्रवाह तैयार कर अरबों रुपये के अवैध धन को सफेद बनाने का आरोप है।
जब्त की गई संपत्तियों का विस्तृत विवरण
ईडी ने अपने आधिकारिक बयान में बताया कि जिन संपत्तियों को जब्त किया गया है, वे दुबई के प्रतिष्ठित इलाकों — सेंटुरियन रेसिडेंस (दुबई इन्वेस्टमेंट पार्क सेकंड), दुबई सिलिकॉन ओएसिस, लीवा हाइट्स (अल धन्या फिफ्थ), बिजनेस बे और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर रेसिडेंसेज — में स्थित हैं। ये सभी संपत्तियां फ्लैट्स और वाणिज्यिक स्थानों के रूप में हैं, जिन्हें श्रीकांत भसी द्वारा अवैध आय के माध्यम से खरीदा गया था।
ईडी का कहना है कि इन संपत्तियों को वर्ष 2022 और 2023 में श्रीकांत भसी ने जानबूझकर अपनी बेटी को उपहार के रूप में ट्रांसफर कर दिया था, ताकि ‘आय से अधिक संपत्ति’ के प्रमाणों को छिपाया जा सके। इस प्रक्रिया को एजेंसी ने प्रॉपर्टी के स्रोतों को छिपाने के उद्देश्य से की गई साजिश करार दिया है।
धोखाधड़ी की शुरुआत कैसे हुई
जांच में सामने आया है कि कंपनी AOPL और उससे जुड़ी संस्थाओं ने अवैध मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेन, फर्जी बिलिंग, सर्कुलर ट्रेडिंग और बैंक निधियों के गलत उपयोग के माध्यम से अवैध धन उत्पन्न किया। यह धन बाद में अलग-अलग कंपनियों और खातों के माध्यम से ‘लेयरिंग’ की प्रक्रिया से गुजारा गया, जिससे इसके स्रोत को छिपाया जा सके।
सबसे बड़ा खुलासा यह है कि कंपनी द्वारा जारी किए गए 12 विदेशी एलसी (Foreign Letters of Credit) जिनकी कीमत 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर, अर्थात लगभग 1,266 करोड़ रुपये थी, अप्रैल–मई 2018 के दौरान डिवॉल्व हो गए। कंपनी आवश्यक मार्जिन नहीं जमा कर सकी और न ही एलसी के नवीनीकरण के समय धन उपलब्ध करा सकी। परिणामस्वरूप, एसबीआई को विदेशी सप्लायरों को भुगतान करना पड़ा और भारी वित्तीय नुकसान उठा पड़ा।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक को भारी क्षति
एलसी के डिवॉल्व होने के कारण एसबीआई शहडोरा शाखा को भारी नुकसान उठाना पड़ा। कंपनी द्वारा समय पर दायित्व पूरा न करने और एफडी मार्जिन के घट जाने से बैंक को विदेशी विक्रेताओं को भुगतान करने पर मजबूर होना पड़ा। इस तरह सार्वजनिक धन पर सीधा प्रहार हुआ।
ईडी के अनुसार, डिवॉल्व हुई इन एलसी में शामिल धन ही आगे चलकर ‘अवैध कमाई’ में परिवर्तित हुआ, जिसे बाद में विभिन्न कंपनियों के जरिए घुमाकर विदेशी संपत्तियों में निवेश किया गया।
ईडी की जांच में क्या-क्या सामने आया
जांच में यह भी पता चला है कि श्रीकांत भसी ने AOPL और इसकी सहयोगी कंपनियों पर रणनीतिक नियंत्रण स्थापित किया हुआ था। यही कारण है कि वह आसानी से लेनदेन का दिशा-निर्देशन कर सके और अवैध कमाई को विदेशी निवेश में बदल सके।
इसके अलावा, एजेंसी ने भारत और दुबई में कई ऐसी संस्थाओं की पहचान की है जो ‘लेयरिंग’ और ‘डाइवर्जन ऑफ फंड्स’ की प्रक्रिया में शामिल थीं। इन संस्थाओं की भूमिका इसी उद्देश्य से बनाई गई थी कि असली लेनदेन और अवैध व्यापार को छिपाया जा सके।
उपहार में दी गई संपत्तियों की सच्चाई
सभी विदेशी संपत्तियां, जिन्हें बाद में भसी ने अपनी बेटी को गिफ्ट डीड के माध्यम से स्थानांतरित कर दिया था, बिना किसी प्रतिफल के दी गईं। ईडी का कहना है कि यह कदम पूरी तरह अपराध की कमाई को छिपाने, जांच को भटकाने और संपत्ति को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से उठाया गया था। इस तरीके से संपत्ति का वास्तविक स्वामी सीधे तौर पर कानूनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करता है।
आगे की कार्रवाई क्या होगी
ईडी ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई केवल शुरुआती चरण है। आगे की जांच में उन सभी घरेलू और विदेशी कंपनियों की भूमिका की जांच की जाएगी, जिनके माध्यम से धन को एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता रहा। एजेंसी ने संकेत दिए हैं कि आने वाले समय में और संपत्तियों की पहचान और जब्ती संभव है।
यह मामला एक बार फिर उस गहरी सच्चाई की ओर इशारा करता है कि बड़े कारोबारी घरानों द्वारा वित्तीय तंत्र का दुरुपयोग, फर्जी व्यापार और अवैध लेनदेन के माध्यम से सार्वजनिक धन को भारी नुकसान पहुंचाया जाता रहा है। देशभर में बैंक धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के बीच ईडी की यह कार्रवाई एक महत्वपूर्ण संदेश के रूप में देखी जा रही है कि किसी भी स्तर पर आर्थिक अपराध को बख्शा नहीं जाएगा।
भारत में वित्तीय संस्थानों पर बढ़ते दबाव और बढ़ती बैंक धोखाधड़ी की घटनाओं के बीच यह घटना बेहद महत्वपूर्ण है। अवैध तरीके से विदेशों में निवेश और धन छिपाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए आवश्यक है कि ऐसी जांचें तेज़ी से आगे बढ़ें। ईडी का यह कदम न सिर्फ कानून के प्रति सख्ती का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ देश अब किसी भी ढिलाई को बर्दाश्त नहीं करेगा।
यह समाचार IANS एजेंसी के इनपुट के आधार पर प्रकाशित किया गया है।