जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम को लेकर एक अहम बयान दिया है। नई दिल्ली में आयोजित हिन्दुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि वह उन लोगों में शामिल नहीं हैं जो मानते हैं कि ईवीएम में हेराफेरी होती है। यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि विपक्षी पार्टियां लगातार ईवीएम पर सवाल उठाती रही हैं।
उमर अब्दुल्ला ने इस मौके पर अपने पिता और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला से अपनी असहमति भी जताई। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर उनकी अपने पिता से नहीं बनती क्योंकि फारुख अब्दुल्ला का मानना है कि मशीनों में गड़बड़ी होती है, लेकिन वह खुद इस बात को नहीं मानते।
पिता-पुत्र में मतभेद
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने समिट में कहा कि मैं ऐसा नहीं मानता कि मशीन में चोरी होती है। यह बात मुझे घर में भी परेशानी में डालती है क्योंकि मेरे पिता को लगता है कि मशीनों में गड़बड़ी होती है। उन्होंने हंसते हुए कहा कि अगर मेरे पिता इसे देख रहे हैं तो मैं उनसे माफी मांगता हूं।
उमर ने आगे कहा कि मेरे पिता उस पीढ़ी से हैं जो अपने फोन पर जो भी आता है उसे मान लेते हैं। लेकिन मैं इस बात को नहीं मानता। यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों और गलत सूचनाओं की तरफ इशारा करती है।
चुनाव में धोखाधड़ी के अन्य तरीके
हालांकि उमर अब्दुल्ला ने यह भी स्वीकार किया कि चुनाव प्रक्रिया के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह काम वोटर लिस्ट में बदलाव करके या फिर विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं में फेरबदल करके किया जा सकता है।
जम्मू-कश्मीर में हुई सीमा निर्धारण यानी डिमिलिटेशन की प्रक्रिया का जिक्र करते हुए उमर ने कहा कि यह एक तरह की छेड़छाड़ थी। उन्होंने कहा कि नई विधानसभा सीटें इस तरह से बनाई गईं कि एक ही पार्टी को फायदा मिले। उन्होंने कहा कि अगर सीमा निर्धारण सही तरीके से होता है तो हम साथ हैं, लेकिन अगर गलत इरादे से एक पार्टी को लाभ पहुंचाने के लिए किया जाता है तो यह सही नहीं है।
इंडिया गठबंधन पर चिंता
उमर अब्दुल्ला ने इंडिया गठबंधन को लेकर भी अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों को या तो एक साथ रहना होगा या फिर राज्यों के हिसाब से चुनाव लड़ना होगा। उनका मानना है कि हर राज्य में अलग-अलग गठबंधन के साथ चुनाव लड़ा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय पार्टियां कितना भी कोशिश कर लें, लेकिन केंद्र स्तर पर एक मजबूत गठबंधन बनाने के लिए कांग्रेस को साथ लेना जरूरी है। उन्होंने कहा कि गठबंधन कांग्रेस के आसपास ही बनेगा क्योंकि भाजपा के अलावा कांग्रेस ही एकमात्र पार्टी है जिसका पूरे देश में प्रभाव है।
भाजपा की चुनावी रणनीति की तारीफ
उमर अब्दुल्ला ने भाजपा की चुनावी रणनीति की तारीफ करते हुए कहा कि उनके नेता हर चुनाव को पूरी ताकत और समर्पण के साथ लड़ते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता ऐसे लड़ते हैं जैसे उनका पूरा जीवन इसी चुनाव पर निर्भर है।
बिहार विधानसभा चुनाव का उदाहरण देते हुए उमर ने कहा कि बिहार चुनाव के तुरंत बाद भाजपा के नेता अगले चुनाव वाले राज्यों में पहुंच गए, जबकि विपक्षी दल चुनाव से दो महीने पहले पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि इसी वजह से चुनाव के नतीजों में भी फर्क दिखता है।
राजनीतिक विश्लेषण
उमर अब्दुल्ला का यह बयान राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा का विषय बन गया है। एक तरफ जहां कई विपक्षी नेता ईवीएम पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं, वहीं उमर ने इस मुद्दे पर अलग रुख अपनाया है। उनका यह बयान विपक्ष की एकजुटता पर भी सवाल खड़े करता है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि उमर का यह बयान उनकी व्यावहारिक सोच को दर्शाता है। वह मशीनों को दोष देने की बजाय चुनावी रणनीति और तैयारी पर जोर दे रहे हैं। उनका मानना है कि हार-जीत का कारण ईवीएम नहीं बल्कि पार्टियों की तैयारी और जनता से जुड़ाव है।
आगे की राह
उमर अब्दुल्ला के इस बयान के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्षी दल ईवीएम मुद्दे पर अपना रुख कैसे तय करते हैं। क्या वे भी उमर की तरह मशीनों से हटकर अन्य मुद्दों पर ध्यान देंगे या फिर अपनी पुरानी मांग पर अडिग रहेंगे।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में उमर अब्दुल्ला की जिम्मेदारियां बढ़ी हैं और उनके बयान भी अब ज्यादा महत्व रखते हैं। उनकी स्पष्टवादिता और साफगोई को लोग सराह रहे हैं। हालांकि पिता से असहमति जताना भी उनकी स्वतंत्र सोच को दर्शाता है।
इस पूरे प्रसंग से यह साफ होता है कि राजनीति में पीढ़ीगत अंतर सिर्फ उम्र का नहीं बल्कि सोच और विचारधारा का भी होता है। उमर अब्दुल्ला का यह बयान इस बात का संकेत है कि युवा नेता पुरानी सोच से हटकर नए तरीके से राजनीति करना चाहते हैं।