Bokaro Thermal Plant: राख के संकट से थमा बोकारो थर्मल पावर स्टेशन
झारखंड के बोकारो जिले के बेरमो स्थित दमोदर वैली कॉर्पोरेशन (DVC) के बोकारो थर्मल पावर स्टेशन (BTPS) में राख की गंभीर समस्या के कारण बिजली उत्पादन पूरी तरह ठप हो गया है। विस्थापितों और ठेका मजदूरों के आंदोलन के चलते राख निस्तारण का कार्य कई महीनों से रुका हुआ है, जिससे संयंत्र की गतिविधियां ठप हो गईं।
राख निस्तारण ठप, उत्पादन पूरी तरह बंद
डीवीसी के बोकारो थर्मल पावर स्टेशन की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 500 मेगावाट है। प्रबंधन सूत्रों के अनुसार, प्लांट बंद होने के समय 360 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा था। राख निस्तारण ठप होने के कारण ऐश पौंड के सभी टैंक लबालब भर गए हैं। अब प्लांट में नई राख जमा करने की कोई जगह नहीं बची, जिससे उत्पादन बंद करना पड़ा।
इस स्थिति के कारण डीवीसी को प्रतिदिन लगभग छह करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। चार माह से जारी इस गतिरोध का सीधा असर केवल झारखंड और बिहार पर ही नहीं, बल्कि दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों की बिजली आपूर्ति पर भी पड़ा है।
मजदूरों का वेतन विवाद बना अड़चन
सूत्रों के मुताबिक, बीटीपीएस के ऐश पौंड से राख उठाव का कार्य जुलाई से ही बंद पड़ा है। विस्थापितों और हाइवा ओनर एसोसिएशन के विरोध के साथ-साथ 55 ठेका मजदूर अपने चार माह के बकाया वेतन की मांग पर अड़े हुए हैं। 1 नवंबर को बेरमो के एसडीएम मुकेश मछुआ की अध्यक्षता में वार्ता हुई थी, जिसमें राख उठाव शुरू करने की सहमति बनी थी, परंतु मजदूरों ने वेतन भुगतान की मांग पूरी होने तक कार्य आरंभ करने से इंकार कर दिया।
डीवीसी प्रबंधन का कहना है कि मजदूर जिस ठेका कंपनी से बकाया मांग रहे हैं, वह कंपनी का अनुबंध समाप्त हो चुका है और वह यहां से जा चुकी है। इस कारण वेतन भुगतान की प्रक्रिया अटकी हुई है।
पंजाब, दिल्ली और बिहार में बिजली संकट का खतरा
Bokaro Thermal Plant: बोकारो थर्मल से बिजली आपूर्ति बंद होने के बाद डीवीसी अब अपने अन्य संयंत्रों से बिजली लेकर पंजाब सरकार को आपूर्ति कर रहा है। डीवीसी और पंजाब सरकार के बीच बिजली आपूर्ति को लेकर एमओयू (Memorandum of Understanding) है, जिससे अनुबंध पूरा करना अनिवार्य है।
यदि स्थिति एक सप्ताह में सामान्य नहीं हुई तो दिल्ली, बिहार और झारखंड समेत कई राज्यों में बिजली कटौती की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार को दी गई सूचना
डीवीसी प्रबंधन ने इस संकट की जानकारी झारखंड के मुख्य सचिव, ऊर्जा सचिव, बोकारो जिला उपायुक्त और बेरमो एसडीएम को दे दी है। अधिकारियों से आग्रह किया गया है कि मजदूरों के बकाया वेतन और राख निस्तारण विवाद को शीघ्र हल कराया जाए, ताकि बिजली उत्पादन पुनः आरंभ किया जा सके।
प्लांट प्रमुख सुशील कुमार अरजरिया ने बताया कि उन्होंने संयंत्र को चालू रखने के लिए अंतिम क्षण तक प्रयास किया, लेकिन राख के अत्यधिक जमाव के कारण संयंत्र को बंद करना पड़ा।
चार माह से बंद पड़ा राख उठाव, स्थिति गंभीर
बीटीपीएस के ऐश पौंड से राख उठाव का कार्य 15 जुलाई से बंद है। लगातार चार माह से अधिक समय तक यह स्थिति बनी रही, जिससे ऐश पौंड पूरी तरह भर गया। प्रशासनिक हस्तक्षेप के बावजूद समाधान नहीं निकल पाया।
यदि जल्द ही राख उठाव शुरू नहीं हुआ तो प्लांट की मशीनरी पर भी असर पड़ सकता है और ठेका श्रमिकों के रोजगार पर संकट गहराएगा।
बिजली संकट से लाखों उपभोक्ता प्रभावित
इस पावर स्टेशन से न केवल झारखंड, बल्कि बिहार, दिल्ली और पंजाब के लाखों उपभोक्ताओं को बिजली मिलती है। उत्पादन बंद होने से इन राज्यों में बिजली वितरण कंपनियों पर अतिरिक्त दबाव बढ़ गया है।
राज्य सरकारें वैकल्पिक स्रोतों से बिजली खरीदने पर मजबूर हैं, जिससे आर्थिक बोझ और बढ़ेगा।