IITF 2025 में झारखण्ड की हरित चमक: सिसल और जूट से उभर रही पर्यावरण–सक्षम अर्थव्यवस्था

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IITF 2025: झारखण्ड की हरित अर्थव्यवस्था और ग्रामीण विकास का नया मॉडल
IITF 2025 में झारखण्ड पवेलियन सिसल और जूट आधारित हरित उद्योगों से आकर्षण का केंद्र बना है। सिसल खेती ग्रामीण आजीविका, बायो–ऊर्जा और प्राकृतिक फाइबर उद्योग को बढ़ावा दे रही है। जूट कारीगरी राज्य की सांस्कृतिक पहचान के साथ नए बाजार अवसर प्रदान कर रही है।
नवम्बर 19, 2025

आईआईटीएफ 2025 में झारखण्ड की हरित चमक

भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2025 में झारखण्ड पवेलियन इस वर्ष राष्ट्रव्यापी चर्चा का केंद्र बना हुआ है। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के नेतृत्व में स्थापित यह पवेलियन राज्य की हरित अर्थव्यवस्था, ग्रामीण स्वालंबन, आर्थ‍िक उन्नति और सतत विकास की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को प्रभावी रूप से प्रस्तुत कर रहा है।
विशेष रूप से सिसल (एगेव) आधारित उद्योग और जूट की पारंपरिक कारीगरी, झारखण्ड के इस प्रदर्शन को और अधिक आकर्षक बना रही है। यह न केवल प्राकृतिक संसाधनों के बुद्धिमानी उपयोग का उदाहरण है, बल्कि ग्रामीण उद्योगों की नई संभावनाओं का भी सशक्त परिचय दे रहा है।

सिसल की बढ़ती क्षमता: बंजर भूमि से हरियाली और आजीविका

सिसल या एगेव पौधे की लोकप्रियता झारखण्ड में तेजी से बढ़ रही है। यह पौधा कम पानी, प्रतिकूल तापमान और बंजर भूमि में भी आसानी से पनपता है, इसलिए इसे भूमि संरक्षण और जलवायु–अनुकूल खेती का महत्वपूर्ण घटक माना जा रहा है। यह पौधा प्राकृतिक फाइबर का प्रमुख स्रोत होने के साथ-साथ पर्यावरण–सुरक्षा और आर्थिक लाभ दोनों प्रदान करता है।

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IITF 2025: झारखण्ड की हरित अर्थव्यवस्था और ग्रामीण विकास का नया मॉडल

ग्रामीण अर्थव्यवस्था का नया आधार

सिसल फाइबर का उपयोग रस्सी, मैट, बैग, कालीन और गृह सज्जा उत्पादों के निर्माण में व्यापक रूप से किया जाता है। इसके अलावा, इसके रस से बायो–एथेनॉल और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की संभावनाएँ भी विकसित हो रही हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में न केवल उद्योग आधारित रोजगार का विस्तार हो रहा है, बल्कि स्थानीय उद्यमिता को भी मजबूती मिल रही है।

विभाग की पहल से बढ़ रहा उत्पादन

सिसल परियोजना से जुड़े अधिकारी अनितेश कुमार (SBO) ने बताया कि राज्य में वर्तमान वर्ष तक 450 हेक्टेयर में सिसल रोपण पूरा किया जा चुका है और आगामी वित्तीय वर्ष में इसे 100 हेक्टेयर और बढ़ाने का लक्ष्य है।
उन्होंने यह भी बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में 150 मीट्रिक टन उत्पादन दर्ज किया गया था, जबकि इस वर्ष 82 मीट्रिक टन का लक्ष्य रखा गया है। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की पहल से हर वर्ष लगभग 90,000 मानव–दिवस रोजगार भी सृजित किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण परिवारों की आजीविका स्थिर हो रही है और हरित अर्थव्यवस्था सशक्त हो रही है।

जूट उत्पाद: परंपरा और नवाचार का अद्भुत संगम

IITF 2025 के झारखण्ड पवेलियन में प्रदर्शित जूट उत्पाद राज्य की प्राचीन हस्तशिल्प परंपरा को आधुनिक बाजार के अनुरूप प्रस्तुत कर रहे हैं। स्थानीय कारीगरों द्वारा निर्मित जूट बैग, गृह सज्जा सामग्री, हैंडिक्राफ्ट और उपयोगी वस्तुएँ अपनी सूक्ष्म बुनाई, कलात्मक गुणों और पर्यावरण–अनुकूलपन के कारण दर्शकों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं।

सिसल आधारित ऊर्जा: बायो–एथेनॉल उत्पादन की नई दिशा

सिसल पौधे के रस से बायो–एथेनॉल उत्पादन की संभावना झारखण्ड में हरित ऊर्जा के नए अध्याय की शुरुआत कर रही है। यह जैव–ईंधन पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम कर पर्यावरण की रक्षा में सहायक होगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि राज्य में बड़े पैमाने पर प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित की जाती हैं, तो यह न केवल ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ाएगा, बल्कि ग्रामीण उद्योग को भी दीर्घकालिक आय का मजबूत स्रोत प्रदान करेगा। इससे झारखण्ड की ऊर्जा–नीति में हरित तकनीक की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण होती जाएगी।

जूट उद्योग में महिला कारीगरों की अहम भागीदारी

जूट हस्तशिल्प को बढ़ावा देने में महिला कारीगरों की भूमिका अत्यंत निर्णायक बनी है। झारखण्ड के विभिन्न जिलों में स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाएँ जूट बैग, गृह सज्जा वस्तुएँ, फैशन आइटम और उपयोगी हस्तनिर्मित उत्पाद तैयार कर रही हैं। इन उत्पादों को IITF 2025 में विशेष आकर्षण के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इससे महिलाओं को स्वरोजगार, प्रशिक्षण और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुँच का अवसर मिल रहा है, जो ग्रामीण महिला उद्यमिता को सशक्त पहचान दे रहा है।

हरित निवेश की ओर बढ़ रहा है झारखण्ड

IITF 2025 के मंच ने झारखण्ड को हरित निवेश की दिशा में नए साझेदारी अवसर प्रदान किए हैं। कई निजी कंपनियाँ, स्टार्टअप व निर्यातक सिसल और जूट आधारित उत्पादों में निवेश करने की इच्छा जता चुकी हैं। सरकार के सहयोग और संसाधन–आधारित नीतियों के साथ, झारखण्ड हरित उद्योगों के लिए सुरक्षित और लाभकारी गंतव्य के रूप में उभर रहा है। यदि निवेश की यह गति आगे बढ़ती रही, तो अगले कुछ वर्षों में राज्य अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्राकृतिक फाइबर और हरित उत्पादों का प्रमुख केंद्र बन सकता है।

कारीगरों को नए बाजार अवसर

इन उत्पादों का प्रदर्शन न केवल झारखण्ड की सांस्कृतिक पहचान को सुदृढ़ करता है, बल्कि घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नए रोजगार अवसर भी प्रदान करता है। इससे कारीगरों को आर्थिक सुरक्षा, नियमित आय और कला आधारित व्यवसाय को बढ़ावा मिलने की संभावनाएं तेज हो रही हैं।

राष्ट्रीय मंच पर झारखण्ड की हरित पहचान

IITF 2025 में झारखण्ड का स्टॉल, हरित उद्योग, पर्यावरण–सुरक्षा, हस्तशिल्प, ग्रामीण उद्योग और निवेश–आधारित विकास को एक मंच पर प्रस्तुत कर रहा है। राज्य का उद्देश्य इन कलात्मक और प्राकृतिक संसाधनों से बने उत्पादों को वैश्विक बाजार तक पहुँचाना और सिसल–जूट आधारित उद्योगों के लिए निवेश को आकर्षित करना है।
झारखण्ड सरकार इन उद्योगों को ग्रामीण विकास की धुरी बनाकर रोजगार, आर्थिक उत्थान और पर्यावरण–सुरक्षा को एक साथ गति देने का लक्ष्य बना रही है।

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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.