“इससे भी बुरा अनुभव और क्या होगा?” – राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले का सवाल
Chandrashekhar Bawankule News: सावनेर उप–पंजीयक कार्यालय में औचक निरीक्षण, अधिकारी–कर्मचारी नदारद; दोषियों पर कार्रवाई के आदेश
नागपुर, 29 अगस्त।
राजस्व एवं पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के औचक निरीक्षण ने सावनेर स्थित उप–पंजीयक श्रेणी–1 कार्यालय की गंभीर लापरवाही को उजागर कर दिया। भूमि और संपत्ति से जुड़े लेन–देन को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से बनाए गए इस कार्यालय की स्थिति इतनी बदहाल निकली कि मंत्री खुद भी चौंक गए।
निरीक्षण के दौरान पूरे कार्यालय में केवल एक संविदा कर्मचारी मौजूद था। इस पर नाराज़गी जताते हुए मंत्री ने कहा –
“इससे भी बुरा अनुभव और क्या होगा, जो जनता को उप–पंजीयक कार्यालय से झेलना पड़े?”
बिना पहचान के निजी लोग कर रहे थे सरकारी काम
Chandrashekhar Bawankule News: निरीक्षण में यह भी पाया गया कि कार्यालय में कुछ बाहरी लोग बिना किसी पहचानपत्र के बैठकर सरकारी दस्तावेज़ों से जुड़े कामकाज कर रहे थे। इसे मंत्री ने बेहद गंभीर मानते हुए तुरंत राज्य के निबंधन महानिरीक्षक व मुद्रांक नियंत्रक रविंद्र बिनवडे को फ़ोन पर ही दोषी अधिकारियों–कर्मचारियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
निरीक्षण में खुली पोल
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उपस्थिति रजिस्टर अगस्त माह का पूरा खाली मिला।
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कर्मचारियों के नाम और हस्ताक्षर दर्ज ही नहीं थे।
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अधिकृत स्टाफ़ की जगह बाहरी लोग स्वतंत्र रूप से घूमते और काम करते पाए गए।
मंत्री बावनकुले ने मौके पर मौजूद उपविभागीय पुलिस अधिकारी सागर खर्डे को नियमों के तहत कार्रवाई करने और अनधिकृत व्यक्तियों के बयान दर्ज करने का आदेश दिया।
नागरिकों की शिकायतें भी सामने आईं
औचक दौरे के दौरान कुछ नागरिकों ने मंत्री से सीधे शिकायत की।
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सेवाओं की गुणवत्ता बेहद खराब है।
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पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी है।
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कर्मचारियों का व्यवहार असंतोषजनक है।
इन शिकायतों पर मंत्री ने जिलाधिकारी डॉ. विपीन इटनकर और एसडीपीओ खर्डे को तुरंत संज्ञान लेने और दोषियों पर कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
कार्यालय की वर्तमान स्थिति
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सावनेर उप–पंजीयक श्रेणी–1 कार्यालय में कुल चार पद स्वीकृत हैं।
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शिपाई का पद रिक्त है।
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एक लिपिक का पद स्वीकृत है, परंतु उप–पंजीयक सौ. एस.एस. जाधव अवकाश पर होने से सारा काम उसी लिपिक पर है।
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कंप्यूटर ऑपरेटर संविदा आधार पर काम कर रहा है।
संपादकीय सवाल
संपत्ति और ज़मीन के मामलों में पारदर्शिता और त्वरित सेवा सुनिश्चित करने के लिए बने इस दफ्तर की हकीकत अगर ऐसी है, तो आम नागरिक कहाँ जाएं? मंत्री बावनकुले की फटकार और कार्रवाई के आदेश क्या ज़मीनी हकीकत बदल पाएंगे, यह देखने वाली बात होगी।
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