जरूर पढ़ें

छात्रों के विज्ञान दौरे मामले में वित्त विभाग पर सेना के मंत्री दादा भूसे नाराज

Dada Bhuse Angry on Finance Department: छात्रों के विज्ञान दौरे पर विवाद, वित्त विभाग की भूमिका पर सवाल
Dada Bhuse Angry on Finance Department: छात्रों के विज्ञान दौरे पर विवाद, वित्त विभाग की भूमिका पर सवाल (X Photo)
सेना के मंत्री दादा भूसे ने छात्रों के विज्ञान दौरे मामले में वित्त विभाग पर नाराजगी जताई। वित्त विभाग ने इस शैक्षिक कार्यक्रम में धनराशि जारी करने में देरी की और प्रशासनिक अड़चनें पैदा कीं। मंत्री ने कहा कि शिक्षा से जुड़े मामलों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी और इस मुद्दे को उच्च स्तर पर उठाया जाएगा।
Updated:

महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया विवाद सामने आया है। सेना के मंत्री दादा भूसे ने छात्रों के विज्ञान दौरे से जुड़े एक मामले में वित्त विभाग पर अपनी नाराजगी जताई है। यह मामला तब सामने आया जब विद्यार्थियों के लिए आयोजित विज्ञान यात्रा कार्यक्रम में बजट और अनुमति को लेकर समस्याएं खड़ी हो गईं। मंत्री भूसे का कहना है कि वित्त विभाग की ओर से बिना किसी ठोस कारण के इस महत्वपूर्ण शैक्षिक गतिविधि में रुकावट पैदा की जा रही है।

क्या है पूरा मामला

छात्रों के शैक्षिक विकास के लिए राज्य सरकार हर साल विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करती है। इसी क्रम में स्कूली छात्रों के लिए एक विज्ञान दौरे की योजना बनाई गई थी। इस दौरे का उद्देश्य विद्यार्थियों को विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में व्यावहारिक ज्ञान देना था। कई महीनों की योजना के बाद जब यह कार्यक्रम शुरू होने वाला था, तभी वित्त विभाग की ओर से इसमें अड़चन डाली गई।

सूत्रों के अनुसार, वित्त विभाग ने इस कार्यक्रम के लिए आवश्यक धनराशि जारी करने में देरी की। साथ ही कुछ प्रशासनिक औपचारिकताओं का हवाला देते हुए इस दौरे पर रोक लगाने की कोशिश की गई। इस स्थिति से नाराज होकर सेना के मंत्री दादा भूसे ने खुलकर अपनी बात रखी और वित्त विभाग के रवैये पर सवाल उठाए।

मंत्री दादा भूसे का बयान

मंत्री दादा भूसे ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि शिक्षा और विद्यार्थियों के विकास से जुड़े मामलों में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि छात्रों का भविष्य सबसे महत्वपूर्ण है और ऐसे कार्यक्रम उनके समग्र विकास के लिए जरूरी हैं। मंत्री ने यह भी कहा कि सरकारी विभागों को आपस में तालमेल बनाकर काम करना चाहिए, न कि एक-दूसरे के काम में अनावश्यक रुकावट डालनी चाहिए।

उन्होंने वित्त विभाग पर यह आरोप लगाया कि कई बार महत्वपूर्ण योजनाओं में धन की मंजूरी देने में जानबूझकर देरी की जाती है। इससे न केवल कार्यक्रम प्रभावित होते हैं बल्कि सरकार की छवि पर भी असर पड़ता है। मंत्री भूसे ने स्पष्ट किया कि वे इस मामले को उच्च स्तर पर उठाएंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में ऐसी समस्याएं न आएं।

विज्ञान दौरे का महत्व

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में केवल किताबी ज्ञान ही पर्याप्त नहीं है। छात्रों को व्यावहारिक अनुभव देना भी उतना ही जरूरी है। विज्ञान दौरे इसी उद्देश्य से आयोजित किए जाते हैं। इन दौरों में छात्रों को प्रयोगशालाओं, अनुसंधान केंद्रों और औद्योगिक इकाइयों में ले जाया जाता है। वहां वे सीधे तौर पर विज्ञान और तकनीक के व्यावहारिक पहलुओं को समझ पाते हैं।

ऐसे कार्यक्रम छात्रों में वैज्ञानिक सोच विकसित करते हैं और उन्हें भविष्य के लिए प्रेरित करते हैं। खासकर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों के विद्यार्थियों के लिए ये अवसर बेहद कीमती होते हैं। इसलिए किसी भी कारण से इन कार्यक्रमों में रुकावट डालना शिक्षा व्यवस्था के साथ खिलवाड़ माना जाता है।

वित्त विभाग का पक्ष

हालांकि वित्त विभाग ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि विभाग नियमों और प्रक्रियाओं का पालन कर रहा था। किसी भी सरकारी खर्च के लिए कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं और संभवतः इसी कारण देरी हुई। लेकिन मंत्री भूसे का तर्क है कि महत्वपूर्ण शैक्षिक कार्यक्रमों के मामले में प्रक्रिया को तेज किया जाना चाहिए।

यह विवाद सरकारी विभागों के बीच समन्वय की कमी को भी उजागर करता है। कई बार एक विभाग की योजना को दूसरे विभाग की अनुमति की जरूरत होती है और इसमें अनावश्यक विलंब हो जाता है। इससे न केवल योजनाएं प्रभावित होती हैं बल्कि जनता का विश्वास भी कम होता है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

इस मामले पर विपक्षी दलों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। कुछ नेताओं ने कहा कि यह सरकार के भीतर मतभेद का संकेत है। उनका आरोप है कि अलग-अलग विभाग अपने-अपने हिसाब से काम कर रहे हैं और इससे प्रशासन में अस्तव्यस्तता बढ़ रही है। हालांकि सत्तापक्ष के नेताओं ने इसे सामान्य प्रशासनिक मुद्दा बताया है जिसे जल्द सुलझा लिया जाएगा।

कुछ शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस मामले पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि शिक्षा से जुड़े मामलों को राजनीतिक और प्रशासनिक खींचतान से बाहर रखना चाहिए। छात्रों का हित सर्वोपरि होना चाहिए।

आगे क्या होगा

मंत्री दादा भूसे ने साफ कर दिया है कि वे इस मामले को यूं ही नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ नेताओं से इस बारे में चर्चा करने की बात कही है। उम्मीद है कि जल्द ही इस मुद्दे का समाधान निकल आएगा और छात्रों का विज्ञान दौरा सफलतापूर्वक आयोजित हो सकेगा।

इस घटना ने यह भी रेखांकित किया है कि सरकारी विभागों के बीच बेहतर समन्वय की कितनी जरूरत है। शिक्षा, स्वास्थ्य और जनकल्याण से जुड़ी योजनाओं में किसी भी तरह की देरी या लापरवाही स्वीकार्य नहीं होनी चाहिए। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी विभाग मिलकर जनता के हित में काम करें।

छात्रों के विज्ञान दौरे पर वित्त विभाग की कथित रुकावट और इस पर सेना के मंत्री दादा भूसे की नाराजगी एक गंभीर मुद्दा है। यह केवल एक प्रशासनिक मामला नहीं है बल्कि छात्रों के भविष्य और शिक्षा व्यवस्था से जुड़ा सवाल है। उम्मीद की जानी चाहिए कि संबंधित विभाग जल्द से जल्द इस मामले को सुलझाएंगे और ऐसी स्थितियां भविष्य में न आएं। शिक्षा को राजनीतिक और प्रशासनिक अड़चनों से मुक्त रखना हर सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।

Rashtra Bharat
Rashtra Bharat पर पढ़ें ताज़ा खेल, राजनीति, विश्व, मनोरंजन, धर्म और बिज़नेस की अपडेटेड हिंदी खबरें।

Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।