महाराष्ट्र – पूरे महाराष्ट्र में इस समय गणेशोत्सव की रौनक देखने को मिल रही है। छोटे-बड़े शहरों से लेकर गाँवों तक गणपति बप्पा के जयकारों से वातावरण गूंज रहा है। जगह-जगह आकर्षक और भव्य पंडाल सजाए गए हैं, जिनकी सजावट लोगों को अपनी ओर खींच रही है।
Ganeshotsav 2025: इस बार कई मंडलों ने अपने गणपति मंडपों को विशेष थीम पर सजाया है। कहीं ऐतिहासिक स्थलों की झलक दिखाई जा रही है तो कहीं आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर अद्भुत दृश्य तैयार किए गए हैं। सजावट को लेकर अलग-अलग प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की जा रही हैं, जिसमें युवा बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
रात में बिजली की रंग-बिरंगी लाइटों से पूरा माहौल जगमगा उठता है, जबकि ढोल-ताशों की गूंज श्रद्धालुओं को भक्तिरस में सराबोर कर देती है। सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ गणपति पंडालों में दर्शन के लिए उमड़ रही है और श्रद्धा-भक्ति के इस माहौल में हर कोई “गणपति बप्पा मोरया” के जयकारे लगा रहा है।
गणेशोत्सव के इस अवसर पर न सिर्फ धार्मिक भावनाएँ प्रबल हो रही हैं, बल्कि समाज में एकता, उत्साह और सांस्कृतिक रंग भी बिखर रहे हैं।
गणेश चतुर्थी: क्यों मनाई जाती है और क्या है इसकी कहानी?
Ganeshotsav 2025 | गणेश चतुर्थी: क्यों मनाई जाती है और क्या है इसकी कहानी?
गणेश चतुर्थी का परिचय
गणेश चतुर्थी हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है जो पूरे भारत में खासकर महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और गोवा में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। यह त्योहार भगवान गणेश के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
भगवान गणेश कौन हैं?
Ganeshotsav 2025: भगवान गणेश, जिन्हें “विघ्नहर्ता” और “सुखकर्ता” कहा जाता है, भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं। उनका सिर हाथी का और शरीर मानव का है। गणेश जी को बुद्धि, विद्या, विवेक और नई शुरुआत का देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य से पहले गणपति पूजन का महत्व इसी कारण है।
गणेश जी के जन्म की कहानी
कहा जाता है कि माता पार्वती ने अपने शरीर के उबटन (हल्दी/चंदन) से गणेश जी को बनाया और उन्हें अपने द्वार पर पहरे के लिए खड़ा कर दिया। उसी समय भगवान शिव आए और जब गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोका तो शिवजी ने क्रोध में आकर उनका सिर काट दिया। माता पार्वती बहुत दुखी हुईं। तब भगवान शिव ने उन्हें शांत करने के लिए गणेश जी के शरीर पर हाथी का सिर लगाकर उन्हें जीवनदान दिया। तभी से गणेश जी को “गजानन” और “विनायक” कहा जाने लगा।
Ganeshotsav 2025: क्यों मनाई जाती है गणेश चतुर्थी?
गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्म की याद में मनाई जाती है। इस दिन भक्त घरों और पंडालों में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते हैं। पूजा, भजन और आरती के बाद गणपति को भोग (मोदक) लगाया जाता है।
10 दिनों तक चलने वाले इस पर्व का समापन “अनंत चतुर्दशी” के दिन गणेश विसर्जन के साथ होता है। विसर्जन का अर्थ है कि भगवान गणेश अपनी सवारी (चूहा) के साथ कैलाश लौट जाते हैं।
गणेश जी की महत्ता : Ganeshotsav 2025
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विघ्नहर्ता: जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने वाले।
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बुद्धि और विवेक के देवता: छात्रों और विद्वानों के लिए विशेष पूजनीय।
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नई शुरुआत का प्रतीक: किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश पूजन आवश्यक है।
निष्कर्ष – Ganeshotsav 2025
गणेश चतुर्थी सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि समाज में एकता, कला, संस्कृति और उत्साह का भी प्रतीक है। महाराष्ट्र से शुरू हुई इस परंपरा ने आज पूरे भारत और विदेशों तक अपनी धूम मचा दी है।
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Ganeshotsav 2025 Maharashtra: पंडाल की तस्वीरें
गणेशोत्सव के मौके पर सजाए गए पंडालों की तस्वीरें हर किसी का मन मोह लेती हैं। रंग-बिरंगी लाइटों, भव्य सजावट और अनोखी थीम से सजे गणपति मंडप न सिर्फ़ श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बनते हैं, बल्कि कला और संस्कृति का भी सुंदर संगम दिखाते हैं। पंडालों की इन तस्वीरों में भक्ति, उत्साह और रौनक साफ झलकती है।