हिंगोली जिले की कृषी उपज बाजार समिती (APMC) में चल रहा विवाद अब पुलिस थाने तक पहुंच गया है। Hingoli APMC Dispute उस समय और गहराया जब प्रशासक के रूप में नियुक्त महिला अधिकारी को धमकाने और शासकीय कामकाज में बाधा डालने के आरोप में 10 पूर्व संचालकों पर केस दर्ज हुआ।
चुनावी पृष्ठभूमि और सत्ता समीकरण
वर्ष 2023 में हिंगोली APMC चुनाव बेहद चर्चा में रहे। कांग्रेस, भाजपा और दोनों शिवसेना गुटों ने मिलकर ‘संत नामदेव पैनल’ बनाया और 18 में से 10 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं, राकांपा (शरद पवार गुट) समर्थित ‘परिवर्तन पैनल’ ने 6 सीटों पर कब्जा किया। दो निर्दलीय भी विजयी रहे।
विजेताओं में पूर्व विधायक गजानन घुगे और निर्दलीय बुरहान सहित कई नामी चेहरे शामिल थे। बहुमत के आधार पर राजेश पाटील गोरेगांवकर सभापति बने और संत नामदेव पैनल ने सत्ता पर पकड़ बनाई।
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विलनीकरण और मंडल की बर्खास्तगी
पांच दिन पहले कलमनुरी तहसील की सिरसम बु. ग्राम की कृषी उपज बाजार समिती का हिंगोली APMC में विलनीकरण हुआ। इसके चलते नियमानुसार हिंगोली APMC का संचालक मंडल मात्र दो साल में ही बर्खास्त कर दिया गया।
नए बदलाव के तहत जिला सहकारी उपनिबंधक सुरेखा फुपाटे को प्रशासक नियुक्त किया गया और उनके साथ बी.डी. पठाडे को प्रशासकीय मंडल सदस्य बनाया गया। इस प्रशासनिक फेरबदल ने Hingoli APMC Dispute को और तेज कर दिया।
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विवाद की शुरुआत
सूत्र बताते हैं कि मंडल की बर्खास्तगी के पीछे केवल विलनीकरण ही नहीं बल्कि विधानसभा चुनाव के दौरान हुई कड़ी राजनीतिक टक्कर भी एक कारण रही। सत्ता से बाहर हुए संचालक इस फैसले से असंतुष्ट थे।
सोमवार को दोपहर 12 बजे 10 पूर्व संचालक – गजानन घ्यार, बबन नेतने, परमेश्वर मांडगे, मनिष आखरे, माधव कोरडे, शामराव जगताप, उत्तमराव वाबले, साहेबराव देशमुख, संतोष टेकाले और डॉ. रमेश शिंदे – जिला उपनिबंधक कार्यालय पहुंचे। चर्चा का माहौल जल्द ही गरमा गया और आरोप है कि इन नेताओं ने प्रशासक से कहा – “कृऊबा पर प्रशासक क्यों नियुक्त किया गया? तानाशाही चल रही है, फोन रिकॉर्डिंग की जांच होनी चाहिए।”
प्रशासक की शिकायत और केस दर्ज
प्रशासक सुरेखा फुपाटे ने तुरंत शहर पुलिस थाने में शिकायत दी। शिकायत के अनुसार, पूर्व संचालकों ने धमकी दी और सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाई।
पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ धारा 132, 221, 356(2), 190, 351(2) के तहत अपराध दर्ज किया। फिलहाल प्रकरण की जांच एपीआई परेगवार कर रहे हैं।
राजनीतिक हलचल और आगे की राह
यह प्रकरण अब सिर्फ प्रशासनिक नहीं बल्कि राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। हिंगोली में कांग्रेस, भाजपा, शिवसेना और राकांपा गुटों के बीच पहले से ही गहरी खींचतान है। ऐसे में यह Hingoli APMC Dispute आने वाले चुनावों में बड़ा राजनीतिक हथियार साबित हो सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि एक ओर महिला प्रशासक की सुरक्षा और शासकीय कामकाज की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हैं, वहीं दूसरी ओर पूर्व संचालक इस निर्णय को तानाशाही कदम बता रहे हैं।
फिलहाल पुलिस जांच जारी है और जिले की निगाहें इस विवाद के आगे बढ़ते घटनाक्रम पर टिकी हैं।
Hingoli APMC Dispute अब केवल प्रशासनिक हलचल तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसका असर पूरे जिले की राजनीति पर साफ़ दिखाई दे रहा है। सत्ता परिवर्तन और मंडल की अचानक बर्खास्तगी ने स्थानीय नेताओं में असंतोष बढ़ा दिया है। महिला प्रशासक को दी गई धमकी ने इस विवाद को और गंभीर बना दिया है, जिससे कानून-व्यवस्था और लोकतांत्रिक प्रक्रिया दोनों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
हिंगोली कृषी उपज बाजार समिती के इस विवाद ने किसानों और व्यापारियों के बीच भी चिंता बढ़ा दी है। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर सत्ता संघर्ष और Hingoli APMC Dispute के बीच बाजार की स्थिरता और पारदर्शिता कैसे बनी रहेगी? प्रशासन का कहना है कि सभी कदम नियमों के अनुसार उठाए जा रहे हैं, जबकि पूर्व संचालक इसे तानाशाही करार दे रहे हैं।