Hingoli Farmers Protest: खरबी-ईसापुर लिंक परियोजना के खिलाफ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल
हिंगोली जिले में Hingoli Farmers Protest ने एक नई ऊँचाई हासिल कर ली है। लगभग 40 गांवों के किसान Kharbi-Isapur Link Project के खिलाफ indefinite hunger strike पर बैठे हैं। उनका आरोप है कि इस परियोजना के माध्यम से Kayadhu River का पानी अवैध रूप से ईसापुर बाँध और आगे Pengaṅga River की ओर मोड़ा जा रहा है।
किसानों का नेतृत्व कर रहे डॉ. रमेश शिंदे ने साफ किया है कि चाहे उनकी जान चली जाए, लेकिन वह किसी भी हाल में कयाधु नदी का पानी ईसापुर बाँध में जाने नहीं देंगे। भूख हड़ताल के तीसरे दिन, यानी 25 सितंबर को उनकी तबीयत गंभीर हो गई थी, लेकिन उनका संकल्प अब भी अडिग है।
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डॉ. शिंदे के अनुसार, महाराष्ट्र राज्य जल बोर्ड की 2019 की बैठक में कयाधु नदी उप-बेसिन को Normal Availability Sub-Basin के रूप में वर्गीकृत किया गया था। इसका मतलब है कि इस पानी को तभी बाहर ले जाया जा सकता है जब स्थानीय ज़रूरतों की पूर्ति के बाद अतिरिक्त पानी उपलब्ध हो। किसान संगठन का आरोप है कि इस परियोजना के लिए कोई अतिरिक्त पानी मौजूद नहीं है और यह पूरी तरह अवैध है।
Hingoli Farmers Protest केवल पानी की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह किसानों के कृषि जीवन और स्थानीय जल संसाधनों की रक्षा की लड़ाई है। डॉ. शिंदे ने चेतावनी दी है कि यदि सरकारी एजेंसियां बलपूर्वक परियोजना पर काम शुरू करती हैं, तो किसान आंदोलन को और तेज करेंगे। उन्होंने कहा—“पहले हमें गोली मारो, फिर परियोजना पर काम करो।”
स्थानीय लोग और किसान संगठन भी इस आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हैं। उनका कहना है कि Kharbi-Isapur Link Project से न केवल खेती प्रभावित होगी, बल्कि स्थानीय जल स्रोत और पर्यावरणीय संतुलन भी खतरे में पड़ सकते हैं। युवा और महिला किसान भी इस आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं, और वे अपनी आवाज़ सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया के माध्यम से पूरे राज्य और देश तक पहुंचा रहे हैं।
वेब स्टोरी:
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि परियोजना बिना स्थानीय समुदाय की सहमति के लागू की गई, तो यह सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टि से गंभीर विवाद खड़ा कर सकता है। किसान संगठनों का मानना है कि यह हड़ताल केवल एक विरोध नहीं, बल्कि जल अधिकार और स्थानीय संसाधनों की रक्षा की जंग है।
इस आंदोलन के चलते स्थानीय प्रशासन और जल बोर्ड अधिकारियों पर दबाव बढ़ गया है। अधिकारी फिलहाल किसानों से संवाद स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि कोई हिंसात्मक स्थिति उत्पन्न न हो।