हिंगोली में नगर पालिका मतगणना पर संकट
हिंगोली शहर की नगर पालिका के लिए तीन दिसंबर को मतगणना होनी है, लेकिन इस बार मतगणना को लेकर बड़ा संकट खड़ा हो गया है। शहर में इस चुनाव को लेकर पहले से ही काफी चर्चा थी, लेकिन अब मतगणना के समय को लेकर उठे विवाद ने राजनीतिक माहौल को और भी गरमा दिया है। शहर के नेता, उम्मीदवार, पक्ष-विपक्ष के कार्यकर्ता और आम नागरिक सभी इस मामले पर कड़ी नजर रखे हुए हैं।
अदालत में सुनवाई होने से बढ़ी उत्सुकता
मतगणना पर संकट इसलिए आया है क्योंकि एक याचिका औरंगाबाद उच्च न्यायालय में दाखिल की गई है। इस याचिका में मांग की गई है कि नगर पालिका चुनाव की सभी सीटों की मतगणना एक साथ की जाए। यह सुनवाई इक्कीस दिसंबर को होने वाली है। इसके चलते तीन दिसंबर को होने वाली मतगणना पर सवाल खड़े हो गए हैं।
कई लोगों का कहना है कि जब अदालत इस मामले पर विचार कर रही है, तब तक मतगणना रोक देना ही उचित होगा। वहीं कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि चुनाव की प्रक्रिया पहले से तय है, इसलिए समय पर मतगणना होनी चाहिए।
नागरिकों में भ्रम का माहौल
शहर में आम नागरिकों के बीच भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कई लोग पूछ रहे हैं कि क्या तीन दिसंबर की मतगणना तय समय पर होगी या अदालत के फैसले तक टल जाएगी। चुनाव में वोट डाल चुके नागरिक अब परिणाम जानने के लिए बेसब्र हैं, लेकिन अदालत की सुनवाई ने उनकी उत्सुकता को और भी बढ़ा दिया है।
हिंगोली शहर में राजनीति हमेशा से सक्रिय रही है, मगर इस बार नगर पालिका चुनाव के परिणाम पूरे शहर के विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। इसी कारण नागरिक लगातार स्थानीय समाचारों और अधिकारियों के बयानों का इंतजार कर रहे हैं।
नेता और उम्मीदवार भी चिंतित
नगर पालिका चुनाव में खड़े उम्मीदवार भी इस संकट को लेकर काफी चिंता में हैं। सभी अपने-अपने क्षेत्रों में प्रचार-प्रसार में सक्रिय थे और अब परिणामों का इंतजार उन्हें बेचैन कर रहा है। कई उम्मीदवारों का मानना है कि यदि मतगणना में देरी हुई तो इससे राजनीतिक माहौल प्रभावित होगा।
कुछ उम्मीदवारों का यह भी कहना है कि अदालत का फैसला जो भी होगा, वह सभी के लिए उचित होगा। लेकिन उनका यह भी कहना है कि चुनाव के परिणाम जितनी जल्दी आएं, उतना अच्छा है।
राजनीतिक दलों का आरोप-प्रत्यारोप
मतगणना के संकट के बीच राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हो गए हैं। एक पक्ष का आरोप है कि मतगणना को एकसाथ कराने का उद्देश्य किसी विशेष दल को लाभ पहुंचाना है, जबकि दूसरे पक्ष का कहना है कि यह मांग केवल पारदर्शिता के लिए की गई है।
हालांकि अदालत में यह मामला कानूनी रूप से विचाराधीन है, इसलिए राजनीतिक बयानबाजी का असर आम नागरिकों में अलग-अलग तरह की चर्चाओं को जन्म दे रहा है।
प्रशासन की तैयारी पर भी प्रश्नचिह्न
मतगणना की तैयारियों को लेकर भी लोगों में कई सवाल हैं। चुनाव अधिकारी यह दावा कर रहे हैं कि तीन दिसंबर की मतगणना के लिए सब कुछ तैयार है, लेकिन जब अदालत का फैसला लंबित है, तब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सकता। प्रशासन का कहना है कि वे अदालत के आदेश का पालन करेंगे और उसी के अनुसार आगे की प्रक्रिया तय करेंगे।
अदालत का फैसला होगा निर्णायक
इक्कीस दिसंबर को होने वाली सुनवाई इस पूरे मामले में सबसे अहम है। अदालत यह तय करेगी कि मतगणना समय पर होनी चाहिए या सभी सीटों की मतगणना एक साथ की जाए।
अदालत के फैसले पर न सिर्फ उम्मीदवारों और दलों की उम्मीदें टिकी हैं, बल्कि आम नागरिक भी यह जानने के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं कि आखिर इस बार की मतगणना कब होगी।
शहर का विकास भी जुड़ा है फैसले से
नगर पालिका चुनाव सिर्फ राजनीति का मुद्दा नहीं है, बल्कि शहर के विकास से भी सीधा जुड़ा हुआ है। नए चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों पर शहर के आने वाले कई वर्षों के विकास का ज़िम्मा होगा। इसी कारण इस चुनाव का परिणाम और मतगणना का समय, दोनों ही मुद्दे शहरवासियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।