Mohan Bhagwat on US Tariff: नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ को लेकर अपना पक्ष रखा।
उन्होंने कहा कि दुनिया में कई देशों को यह डर सताता है – “अगर कोई बड़ा होगा तो मेरा क्या होगा”। इसी मानसिकता के चलते बड़े राष्ट्र अक्सर टैरिफ जैसे आर्थिक अवरोध खड़े करते हैं।
भागवत का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत-अमेरिका व्यापार संबंध वैश्विक सुर्खियों में हैं। अमेरिका ने हाल के वर्षों में भारत के कई उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाया है। वहीं भारत ने भी WTO के नियमों के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए काउंटर-टैरिफ लगाए हैं।
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Global Politics और International Trade का संदर्भ
Mohan Bhagwat on US Tariff: मोहन भागवत के इस बयान को सिर्फ भारत-अमेरिका संबंधों तक सीमित नहीं देखा जा रहा, बल्कि इसे व्यापक वैश्विक राजनीति और इंटरनेशनल ट्रेड पॉलिसी से जोड़ा जा रहा है।
आज की दुनिया में हर देश अपनी आर्थिक शक्ति और सुरक्षा को लेकर सतर्क है। बड़े राष्ट्र अक्सर उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को नियंत्रित करने के लिए टैरिफ, सैंक्शन और ट्रेड बैरियर्स का सहारा लेते हैं।
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भारत की भूमिका | Mohan Bhagwat on US Tariff
भारत पिछले एक दशक में एक उभरती आर्थिक शक्ति के रूप में सामने आया है। आईटी, फार्मा, स्पेस टेक्नोलॉजी और डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में लगातार बढ़ते कदमों से भारत को एक बड़े खिलाड़ी के रूप में देखा जाने लगा है।
ऐसे में अमेरिका जैसे विकसित देशों की चिंता स्वाभाविक है। लेकिन भागवत के अनुसार, यह चिंता डर और असुरक्षा से पैदा होती है।
विश्लेषण
Mohan Bhagwat on US Tariff: भागवत का यह बयान संकेत देता है कि भारत को आर्थिक आत्मनिर्भरता और वैश्विक साझेदारी दोनों पर संतुलन साधना होगा।
भारत जितना ज्यादा आत्मनिर्भर होगा, उतना ही कम वह टैरिफ और सैंक्शन जैसी बाहरी नीतियों से प्रभावित होगा।
निष्कर्ष
नागपुर से RSS प्रमुख का यह बयान सिर्फ एक राजनीतिक टिपणी नहीं, बल्कि एक आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय संदेश भी है।
यह दर्शाता है कि भारत की बढ़ती ताकत को दुनिया मान रही है, लेकिन इसी के साथ बड़े राष्ट्र अपनी सुरक्षा नीति और व्यापार रणनीति में बदलाव भी ला रहे हैं।