असरानी का सफर: हंसी से भरे किरदारों से भावनात्मक अभिनय तक
मुंबई, दिनांक 20 अक्टूबर – हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता असरानी का नाम आते ही चेहरे पर मुस्कान और दिल में अपनापन महसूस होता है। पांच दशकों से अधिक समय तक हिंदी सिनेमा पर राज करने वाले असरानी ने अपने बेमिसाल अभिनय से हर पीढ़ी के दर्शकों को मनोरंजन का नया अर्थ सिखाया। उनकी कॉमिक टाइमिंग, संवाद अदायगी और भावनाओं से भरे अभिनय ने उन्हें एक अमर कलाकार के रूप में स्थापित किया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने असरानी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि “असरानी मतलब गारंटीड मनोरंजन।” उन्होंने कहा कि हास्य के साथ-साथ गंभीर भूमिकाओं में भी असरानी ने अपनी प्रतिभा का जादू बिखेरा और हर भूमिका को जीवंत कर दिया।
आरंभिक जीवन और अभिनय की नींव
असरानी का जन्म राजस्थान के जयपुर में हुआ था। बचपन से ही उन्हें अभिनय का शौक था, जो आगे चलकर उनका जीवन बना। पुणे फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से अभिनय की शिक्षा लेने के बाद असरानी ने 1960 के दशक में फिल्म जगत में कदम रखा। शुरुआती दिनों में उन्होंने छोटे-छोटे किरदारों से अपनी पहचान बनाई, लेकिन जल्द ही उनकी प्रतिभा ने सबको आकर्षित किया।
उनकी पहली बड़ी सफलता फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ और ‘आंधी’ जैसी फिल्मों से मिली। असरानी ने हास्य के साथ-साथ भावनात्मक किरदारों को भी बखूबी निभाया।
शोले के ‘जेलर’ से बनी अमर पहचान
फिल्म ‘शोले’ में असरानी द्वारा निभाया गया ‘जेलर’ का किरदार आज भी भारतीय सिनेमा के इतिहास में हास्य का स्वर्ण अध्याय माना जाता है। “हम अंग्रेजों के ज़माने के जेलर हैं” वाला उनका डायलॉग आज भी हर सिनेप्रेमी की ज़ुबान पर है।
यह किरदार असरानी की बहुमुखी प्रतिभा का प्रमाण था – वह न केवल हंसी ला सकते थे, बल्कि समाज की सच्चाइयों को व्यंग्य के माध्यम से दिखाने की कला भी जानते थे।
हास्य के साथ संवेदना का संगम
असरानी के अभिनय की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि वे दर्शकों को केवल हंसाते नहीं थे, बल्कि दिलों को छूते भी थे। ‘छोटी सी बात’, ‘गोलमाल’, ‘चुपके चुपके’, और ‘अभिमान’ जैसी फिल्मों में उनके पात्र दर्शकों के जीवन का हिस्सा बन गए।
उनके अभिनय में सामान्य जीवन के संघर्ष, सादगी और ह्यूमर का ऐसा संतुलन था, जो शायद ही किसी अन्य कलाकार में देखने को मिला हो।
सिनेमा से परे असरानी का योगदान
असरानी केवल अभिनेता नहीं, बल्कि एक प्रेरणास्रोत भी थे। उन्होंने अभिनय की बारीकियों को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का कार्य किया। बतौर निर्देशक और लेखक भी उन्होंने योगदान दिया और कई युवा कलाकारों के लिए मार्गदर्शक बने।
उनकी पत्नी मंजू भटनागर भी एक अभिनेत्री थीं, और दोनों ने साथ मिलकर कई नाटकों और फिल्मों में यादगार जोड़ी बनाई।
मुख्यमंत्री की श्रद्धांजलि और फिल्म जगत की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने संदेश में कहा कि असरानी जैसे कलाकार का जाना सिनेमा के एक युग का अंत है। उन्होंने कहा कि “उनका सजीव अभिनय, विनोदी स्वभाव और समाज के प्रति संवेदनशीलता हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।”
फिल्म जगत के कई दिग्गजों ने सोशल मीडिया पर असरानी को श्रद्धांजलि दी। अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र, हेमा मालिनी, और जॉनी लीवर ने उन्हें “कॉमेडी का स्कूल” बताया।
हंसी की विरासत हमेशा रहेगी ज़िंदा
असरानी भले अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका काम आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत रहेगा। उनकी हंसी, उनके संवाद और उनकी सादगी दर्शकों के दिलों में सदैव जीवित रहेंगे।
उनकी ज़िंदगी यह संदेश देती है कि सच्चा कलाकार वही है जो मंच पर और मंच से परे – दोनों जगह जीवन को सुंदरता से जीना सिखाए। असरानी का नाम हिंदी सिनेमा के स्वर्ण अक्षरों में सदैव अंकित रहेगा।
असरानी के निधन से न केवल फिल्म इंडस्ट्री बल्कि हर भारतीय दर्शक ने एक अपने जैसा कलाकार खो दिया है। उनका जीवन एक ऐसी प्रेरणादायक कहानी है, जो हंसी, संघर्ष, सादगी और आत्मविश्वास से भरी हुई है।
उनकी यादें, उनके किरदार और उनकी कला हमें हमेशा याद दिलाती रहेंगी – कि “मनोरंजन केवल हंसी नहीं, बल्कि जीवन को मुस्कान के साथ जीने की कला है।”