District Collector Vipin Itankar emphasises social positivity to curb illegal trades in Nagpur
जिलाधिकारी Dr. Vipin Itankar ने कहा कि कोई भी अवैध रास्ता व्यक्ति को अधोगति की ओर ले जाता है और यह किसी जागरूक समाज का लक्षण नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो लोग गलत रास्तों पर चले गए हैं, उन्हें पुनः समाज की मुख्यधारा में लाना शासन और समाज दोनों की जिम्मेदारी है। इसी दिशा में नागपुर जिले के तिडंगी गांव में एक अनूठी पहल की जा रही है, जहां अवैध शराब जैसे धंधों में लिप्त लोगों को वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराकर जीवन की नई दिशा देने का प्रयास हो रहा है।
इस पहल का उद्देश्य केवल अवैध धंधों पर रोक लगाना नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मकता और आत्मनिर्भरता की भावना को मजबूत करना है। जिलाधिकारी ने बताया कि यह अभियान पालक मंत्री Chandrashekhar Bawankule के मार्गदर्शन में चलाया जा रहा है और प्रशासन इस दिशा में गंभीरता से काम कर रहा है।

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तिडंगी गांव में जागरूकता और रोजगार का संगम
आज तिडंगी गांव में Adivasi Pardhi Vikas Parishad के प्रतिनिधिमंडल के साथ जिलाधिकारी की बैठक हुई। इस बैठक में विधायक Dr. Ashish Deshmukh, निवासी उपजिलाधिकारी अनुप खांडे और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। चर्चा में यह तय किया गया कि आदिवासी समाज के लिए योजनाओं को उनके पारंपरिक जीवन और रुचि के अनुसार लागू किया जाएगा।
जिलाधिकारी Dr. Vipin Itankar ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रत्येक परिवार की स्थिति का आकलन करते हुए उन्हें उपयुक्त रोजगार विकल्प दिए जाएं। किसी को बकरी पालन, किसी को कुटीर उद्योग, तो किसी को बागवानी या सिलाई मशीन जैसी योजना का लाभ मिले। उन्होंने बताया कि तिडंगी गांव में जल्द ही विशेष शिविर आयोजित किया जाएगा, ताकि ग्रामीणों को शासन की योजनाओं का सीधा लाभ मिल सके।
महिला सशक्तिकरण पर विशेष जोर
इस अभियान में महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता दी जा रही है। District Collector Vipin Itankar ने कहा कि “यदि घर की महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी, तो पूरा परिवार स्थिरता की ओर बढ़ेगा।” उन्होंने कहा कि सिलाई मशीन, कढ़ाई-काम, और हस्तशिल्प जैसी योजनाओं को प्रत्येक पारधी बस्ती में पहुंचाने की योजना है। जिले की 42 पारधी बस्तियों में विशेष कैम्प लगाए जाएंगे, जहां महिलाओं को प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता दोनों दी जाएंगी।
अवैध धंधों से मुक्ति की राह
जिलाधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी व्यक्ति को दंडित करने से अधिक आवश्यक है, उसे सही दिशा देना। “शासन और समाज दोनों को मिलकर ऐसी परिस्थितियाँ बनानी होंगी, जहां व्यक्ति के पास रोजगार के सकारात्मक विकल्प हों। जब किसी के पास सम्मानजनक आजीविका होती है, तो वह अवैध रास्तों की ओर नहीं जाता,” उन्होंने कहा।
Chandrashekhar Bawankule के मार्गदर्शन में यह पहल नागपुर जिले में एक मॉडल के रूप में देखी जा रही है। यदि यह अभियान सफल होता है, तो इसे अन्य जिलों में भी लागू किया जा सकता है। यह पहल सिर्फ एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि सामाजिक सुधार का उदाहरण बन सकती है।
प्रशासन और समाज की संयुक्त जिम्मेदारी
इस पहल की सबसे खास बात यह है कि शासन और समाज दोनों समान रूप से इसमें भागीदारी निभा रहे हैं। Adivasi Pardhi Vikas Parishad के सदस्य गांव-गांव जाकर लोगों को समझा रहे हैं कि अवैध कार्यों से बाहर निकलना ही उनके बच्चों के भविष्य के लिए सही कदम है। वहीं प्रशासन योजनाओं को सरल और सुलभ बनाने की दिशा में काम कर रहा है।
जिलाधिकारी ने कहा कि “समाज तभी जागरूक कहलाता है जब वह अपने कमजोर तबके को संभालने की जिम्मेदारी उठाए। केवल प्रशासन की कार्रवाई से बदलाव नहीं आएगा, बल्कि समाज की सकारात्मक सोच ही स्थायी परिवर्तन ला सकती है।”
इस प्रकार, नागपुर प्रशासन का यह प्रयास न केवल अवैध गतिविधियों के खिलाफ कदम है, बल्कि यह सामाजिक पुनरुत्थान की दिशा में भी एक ठोस शुरुआत है।