महाराष्ट्र के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आज नागपुर में दो महत्वपूर्ण शैक्षणिक संस्थानों का दौरा किया। उन्होंने महाराष्ट्र पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय और डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि महाविद्यालय में जाकर विभिन्न विभागों का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने शैक्षणिक कार्यों की समीक्षा की और देशी नस्ल के गोवंश संरक्षण तथा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया।
पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में राज्यपाल की समीक्षा
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने अपने दौरे की शुरुआत सेमिनरी हिल्स में स्थित महाराष्ट्र पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय से की। यहां पहुंचकर उन्होंने विश्वविद्यालय में चल रहे विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी ली। विश्वविद्यालय द्वारा संचालित किए जा रहे शैक्षणिक उपक्रमों का गहन अध्ययन किया गया।
इस अवसर पर राज्यपाल के साथ राज्यपाल सचिव डॉ. प्रशांत नारनवरे, विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. नितीन पाटिल और विभिन्न विभागों के प्रमुख उपस्थित रहे। उन्होंने राज्यपाल को विश्वविद्यालय की गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

शोध कार्यों का निरीक्षण
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में वर्तमान में चल रहे शोधकार्यों की विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं का भ्रमण किया और वहां उपलब्ध सुविधाओं का जायजा लिया। प्रयोगशालाओं में चल रहे अनुसंधान कार्यों को देखकर राज्यपाल ने संतोष व्यक्त किया।
उन्होंने शोधकर्ताओं से सीधे संवाद किया और उनके काम की सराहना की। राज्यपाल ने कहा कि इस तरह के शोध कार्य पशुपालन क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से कहा कि शोध कार्यों को और अधिक व्यावहारिक बनाया जाए।

पशु पैदास प्रक्षेत्र का दौरा
राज्यपाल ने माफसू के अंतर्गत आने वाले पशु पैदास प्रक्षेत्र का भी दौरा किया। यहां उन्होंने पशुओं की देखभाल और रखरखाव की व्यवस्था का निरीक्षण किया। विशेष रूप से गोवंश संवर्धन के कार्यों को देखा और इस दिशा में सुझाव दिए।
राज्यपाल ने देशी नस्लों के संरक्षण पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि देशी नस्ल की गायों का संरक्षण और संवर्धन बेहद जरूरी है। इन नस्लों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है और ये भारतीय जलवायु के अनुकूल होती हैं। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय को इस दिशा में और अधिक काम करने के लिए प्रेरित किया।
कृषि महाविद्यालय में चर्चा
विश्वविद्यालय के दौरे के बाद राज्यपाल आचार्य देवव्रत महाराज बाग के पास स्थित डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि महाविद्यालय पहुंचे। यहां उन्होंने कृषि शिक्षा और शोध से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
महाविद्यालय के सहयोगी अधिष्ठाता डॉ. प्रकाश कडू ने राज्यपाल को विभिन्न विभागों का परिचय कराया। उन्होंने महाविद्यालय में चल रही गतिविधियों और शैक्षणिक कार्यक्रमों की जानकारी दी।
शोध प्रकल्पों की समीक्षा
राज्यपाल ने कृषि विषयक चल रहे शोध प्रकल्पों की विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने शोधकर्ताओं से इन शोधों के निष्कर्षों के बारे में जानकारी ली। राज्यपाल ने विशेष रूप से यह जानना चाहा कि इन शोधों के परिणाम किसानों तक कैसे पहुंचाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि शोध का असली लाभ तभी है जब उसके निष्कर्ष खेतों तक पहुंचें। किसानों को नई तकनीकों और शोध परिणामों से अवगत कराने के लिए प्रभावी तंत्र विकसित करने की जरूरत है। राज्यपाल ने महाविद्यालय से किसानों के साथ सीधे संपर्क बढ़ाने का सुझाव दिया।
प्राकृतिक खेती पर जोर
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि रासायनिक खादों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो रही है। प्राकृतिक खेती इसका सबसे अच्छा विकल्प है।
राज्यपाल ने महाविद्यालय से प्राकृतिक खेती की तकनीकों पर अधिक शोध करने और किसानों को इसके लिए प्रशिक्षित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से उत्पादन लागत कम होती है और किसानों की आय बढ़ती है। साथ ही पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है।
संशोधित किस्मों को अपनाने का आग्रह
राज्यपाल ने किसानों से अधिक उत्पादन देने वाली संशोधित किस्मों को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों ने विभिन्न फसलों की उन्नत किस्में विकसित की हैं जो अधिक पैदावार देती हैं और कम समय में तैयार होती हैं।
उन्होंने महाविद्यालय से कहा कि इन किस्मों की जानकारी किसानों तक पहुंचाई जाए। साथ ही इन किस्मों के बीज किसानों को आसानी से उपलब्ध कराए जाएं। इससे कृषि उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
प्राध्यापकों के साथ संवाद
राज्यपाल ने कृषि विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों के साथ विस्तृत संवाद किया। उन्होंने प्राध्यापकों से कृषि शिक्षा की गुणवत्ता और चुनौतियों के बारे में चर्चा की। प्राध्यापकों ने राज्यपाल को अपनी समस्याएं और सुझाव बताए।
राज्यपाल ने प्राध्यापकों से कहा कि वे छात्रों को केवल किताबी ज्ञान ही नहीं बल्कि व्यावहारिक कौशल भी सिखाएं। छात्रों को खेतों में जाकर किसानों के साथ काम करने का अवसर मिलना चाहिए। इससे उन्हें वास्तविक समस्याओं को समझने और उनका समाधान खोजने में मदद मिलेगी।
किसानों के हित में योजनाएं
राज्यपाल ने दोनों संस्थानों से कहा कि वे किसानों के हित में योजनाएं बनाएं। किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए काम करना चाहिए। कृषि और पशुपालन दोनों क्षेत्रों में नवाचार की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय और महाविद्यालय को किसानों की समस्याओं का अध्ययन करना चाहिए और उनके समाधान के लिए शोध करना चाहिए। स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल तकनीकें विकसित की जानी चाहिए।
राज्यपाल ने दोनों संस्थानों के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि वे महाराष्ट्र में कृषि और पशुपालन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि ये संस्थान भविष्य में और भी बेहतर काम करेंगे और किसानों की समृद्धि में योगदान देंगे।
राज्यपाल के इस दौरे से संस्थानों को नई दिशा मिलेगी और कृषि शिक्षा और शोध को बढ़ावा मिलेगा। प्राकृतिक खेती और देशी गोवंश संरक्षण पर दिए गए सुझाव क्षेत्र के विकास में सहायक होंगे।