न्याय की ज्योति: नागपुर के चिकित्सक समुदाय की मौन पुकार
सरकारी मेडिकल कॉलेज, नागपुर (जीएमसी नागपुर) के डॉक्टरों ने रविवार की शाम एक गहन संवेदनशील और शांतिपूर्ण मोमबत्ती मार्च आयोजित किया। इस मार्च का उद्देश्य था—एसडीएच फलटण की मेडिकल अधिकारी दिवंगत डॉ. संपदा मुंडे को श्रद्धांजलि देना और उनके लिए न्याय की माँग को सशक्त स्वर देना।
डॉ. संपदा मुंडे की असामयिक और दुखद मृत्यु ने न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश के चिकित्सा समुदाय को झकझोर दिया है। उनकी मृत्यु को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं—क्या यह किसी व्यवस्था की विफलता का परिणाम है? क्या डॉक्टरों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को प्रशासन पर्याप्त गंभीरता से लेता है?
ओवल गार्डन में गूँजा मौन – जिम्मेदारी की माँग के साथ
शाम लगभग 5:30 बजे नागपुर के ओवल गार्डन में सैकड़ों डॉक्टरों, रेजिडेंट्स और इंटर्न्स ने काली पट्टियाँ बाँधकर, हाथों में मोमबत्तियाँ लिए मौन धारण किया। यह मौन किसी डर या कमजोरी का नहीं, बल्कि न्याय की माँग में उठी एक सशक्त आवाज़ थी।
मार्च में भाग लेने वाले डॉक्टरों ने कहा —
“यह केवल श्रद्धांजलि का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह एक प्रण है कि अब और किसी डॉक्टर को असुरक्षा या प्रशासनिक उपेक्षा के कारण अपनी जान नहीं गंवानी पड़े। हम डॉ. संपदा के लिए न्याय चाहते हैं, और इस घटना के लिए ज़िम्मेदार लोगों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।”
एमएआरडी की दृढ़ माँग – “सुरक्षा और गरिमा की गारंटी हो”
मार्च के दौरान महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (MARD) के प्रतिनिधियों ने मीडिया से बातचीत में कहा,
“हम बार-बार इस बात की ओर ध्यान दिलाते रहे हैं कि डॉक्टरों की कार्य परिस्थितियाँ अत्यधिक तनावपूर्ण हैं। लंबी ड्यूटी, अपर्याप्त सुरक्षा, और मानसिक स्वास्थ्य के लिए समर्थन का अभाव – ये सब ऐसी घटनाओं की पृष्ठभूमि तैयार करते हैं। डॉ. संपदा मुंडे की मृत्यु एक चेतावनी है कि अब सुधार का समय आ गया है।”
प्रतिनिधियों ने प्रशासन से यह भी माँग की कि प्रत्येक सरकारी चिकित्सा संस्थान में मनोवैज्ञानिक सहायता कक्ष, सुरक्षा निगरानी तंत्र, और कठोर जवाबदेही प्रणाली लागू की जाए।
चिकित्सा समुदाय की संवेदना और संकल्प
मोमबत्ती मार्च के समापन पर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए मौन प्रार्थना की गई। पूरे परिसर में वातावरण अत्यंत भावुक था। कई डॉक्टरों की आँखें नम थीं, और हर व्यक्ति के मन में एक ही संकल्प था—
“हम अपने साथियों की सुरक्षा, सम्मान और न्याय के लिए संघर्ष जारी रखेंगे।”
मार्च के बाद जारी एक संयुक्त वक्तव्य में चिकित्सा समुदाय ने कहा,
“डॉ. संपदा मुंडे के साथ जो हुआ, वह किसी एक व्यक्ति की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे चिकित्सा तंत्र पर सवाल है। अगर डॉक्टर स्वयं सुरक्षित नहीं, तो वे दूसरों की जान कैसे बचाएँगे?”
न्याय की माँग और व्यवस्था से उम्मीद
यह घटना राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग के लिए एक चेतावनी है। डॉक्टरों के कार्यस्थलों पर बढ़ती असुरक्षा और प्रशासनिक उदासीनता को अब नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ऐसी घटनाओं के दोषियों पर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो चिकित्सा सेवा क्षेत्र में विश्वास और सुरक्षा दोनों खतरे में पड़ सकते हैं।
समापन विचार – संवेदना से संकल्प तक
डॉ. संपदा मुंडे की याद में जलायी गई हर मोमबत्ती एक प्रश्न छोड़ गई —
क्या हमारे सिस्टम में वह संवेदनशीलता और जवाबदेही है, जो एक डॉक्टर के जीवन की रक्षा कर सके?
नागपुर की यह रात न केवल शोक की, बल्कि सामूहिक संकल्प की रात थी —
जहाँ हर डॉक्टर ने मौन रहते हुए भी यह वचन दिया कि वे अपने साथी के न्याय के लिए तब तक संघर्ष करते रहेंगे, जब तक न्याय नहीं मिलता।