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15 साल की कानूनी लड़ाई के बाद काटोल संतरा केंद्र को मिली नई जिंदगी, अब किसानों को मिलेगा फायदा

Katol Orange Processing Center: 15 साल की कानूनी लड़ाई के बाद MAAIDC को हस्तांतरित, किसानों को मिलेगी राहत
Katol Orange Processing Center: 15 साल की कानूनी लड़ाई के बाद MAAIDC को हस्तांतरित, किसानों को मिलेगी राहत
महाराष्ट्र के काटोल का संतरा प्रसंस्करण केंद्र 15 साल की कानूनी लड़ाई के बाद एमएआईडीसी को हस्तांतरित हुआ। सलील देशमुख ने उप मुख्यमंत्री अजित पवार से धनराशि उपलब्ध कराने की मांग की। इस परियोजना से विदर्भ के संतरा किसानों को उचित दाम, युवाओं को रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
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महाराष्ट्र के काटोल क्षेत्र में संतरा किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। पंद्रह साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार काटोल का संतरा प्रसंस्करण केंद्र महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम यानी एमएआईडीसी को हस्तांतरित कर दिया गया है। इस ऐतिहासिक फैसले के पीछे सलील देशमुख की अथक मेहनत और संघर्ष रहा है, जिन्होंने इस मामले को अदालत में लगातार आगे बढ़ाया। अब इस परियोजना को फिर से शुरू करने के लिए एमएआईडीसी ने कृषि विभाग से जरूरी धनराशि की मांग की है।

विधानसभा सत्र में उप मुख्यमंत्री से मुलाकात

नागपुर में चल रहे शीतकालीन विधानसभा सत्र के दौरान सलील देशमुख ने उप मुख्यमंत्री अजित पवार से मुलाकात की। इस मुलाकात में उन्होंने काटोल संतरा परियोजना के लिए तुरंत आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराने की मांग का एक लिखित निवेदन सौंपा। सलील देशमुख का कहना है कि यह परियोजना न केवल किसानों के लिए बल्कि पूरे विदर्भ क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद जरूरी है।

देशमुख परिवार का लगातार संघर्ष

काटोल संतरा परियोजना को शुरू करना अनिल देशमुख और सलील देशमुख दोनों का सपना रहा है। यह केंद्र शुरू में एमएआईडीसी ने नांदेड़ की सायटेक्निक इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को संचालन के लिए दिया था। लेकिन यह कंपनी अपने दायित्वों को पूरा करने में विफल रही और अपेक्षित काम नहीं कर पाई। इसका सीधा असर काटोल, नरखेड़ और पूरे विदर्भ के संतरा उत्पादक किसानों पर पड़ा। उन्हें अपनी उपज का उचित दाम नहीं मिल पा रहा था और प्रसंस्करण की सुविधा न होने से वे मजबूरी में बिचौलियों के हाथों अपना माल सस्ते दामों पर बेचने को विवश थे।

पंद्रह साल की न्यायिक लड़ाई

इस गंभीर समस्या को देखते हुए अनिल देशमुख ने सबसे पहले इस मुद्दे को अदालत में उठाया। उन्होंने कानूनी लड़ाई शुरू की, जिसे बाद में सलील देशमुख ने बड़ी मजबूती और दृढ़ता के साथ आगे बढ़ाया। पिछले पंद्रह वर्षों में सलील देशमुख ने मुंबई के कृषि उद्योग भवन में कई अहम बैठकों में भाग लिया। वे मुंबई उच्च न्यायालय की खंडपीठ में हर तारीख पर खुद उपस्थित रहे और इस मामले को जिंदा रखा। उनकी यह लगातार कोशिश अब रंग लाई है और काटोल का संतरा प्रसंस्करण केंद्र अब एमएआईडीसी के अधिकार में आ गया है।

किसानों को क्या होगा फायदा

सलील देशमुख का कहना है कि अगर यह संतरा प्रसंस्करण केंद्र जल्द से जल्द शुरू हो जाता है, तो इससे किसानों को कई तरह के लाभ मिलेंगे। सबसे पहले, किसानों को अपनी उपज का सही और उचित दाम मिल सकेगा। अभी किसान अपना संतरा बिचौलियों को कम दाम पर बेचने को मजबूर होते हैं, लेकिन प्रसंस्करण केंद्र चालू होने से उन्हें बाजार भाव के अनुसार उचित दाम मिल सकेगा।

दूसरे, इस परियोजना से स्थानीय युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। विदर्भ में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या रही है और इस तरह की परियोजनाएं युवाओं को अपने ही क्षेत्र में रोजगार देने में सक्षम हैं। इससे पलायन भी रुकेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।

दो चरणों में होगा काम

सलील देशमुख ने बताया कि इस परियोजना को दो चरणों में शुरू किया जाएगा। पहले चरण में संतरे की ग्रेडिंग और पैकिंग का काम शुरू होगा। इसका मतलब है कि संतरों को उनकी गुणवत्ता के आधार पर अलग किया जाएगा और उन्हें उचित तरीके से पैक किया जाएगा, जिससे उनकी बाजार में कीमत बढ़ेगी और किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे।

दूसरे चरण में संतरे का प्रसंस्करण करके अन्य उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इसमें संतरे का रस, जैम, मुरब्बा, कैंडी और अन्य मूल्य वर्धित उत्पाद शामिल हो सकते हैं। यह किसानों की आय को दोगुना करने में मदद करेगा और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

विदर्भ के संतरा उत्पादकों के लिए उम्मीद की किरण

विदर्भ महाराष्ट्र का एक प्रमुख संतरा उत्पादक क्षेत्र है। यहां के किसान लंबे समय से प्रसंस्करण सुविधा की कमी से परेशान थे। उन्हें अपनी फसल को तुरंत बेचना पड़ता था, नहीं तो वह खराब हो जाती थी। लेकिन अब इस केंद्र के शुरू होने से उन्हें अपने उत्पाद को संरक्षित करने और बेहतर दाम पाने का मौका मिलेगा।

काटोल, नरखेड़ और आसपास के क्षेत्रों में हजारों किसान संतरे की खेती करते हैं। इस परियोजना से उन सभी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभ होगा। किसानों के बीच इस फैसले को लेकर काफी उत्साह है और वे जल्द से जल्द इस केंद्र को शुरू होते देखना चाहते हैं।

धनराशि की जरूरत और सरकार से अपील

अब जबकि कानूनी अड़चनें दूर हो गई हैं, सबसे बड़ी जरूरत है धनराशि की। एमएआईडीसी ने कृषि विभाग से जरूरी बजट की मांग की है। सलील देशमुख ने उप मुख्यमंत्री अजित पवार से आग्रह किया है कि इस परियोजना के लिए तुरंत धनराशि जारी की जाए, ताकि बिना किसी देरी के काम शुरू हो सके।

सलील देशमुख का मानना है कि अगर सरकार इस परियोजना को प्राथमिकता देती है, तो यह विदर्भ की कृषि अर्थव्यवस्था में एक नया अध्याय लिख सकता है। यह न केवल किसानों की आय बढ़ाएगा बल्कि पूरे क्षेत्र में विकास की नई लहर लाएगा।

पंद्रह साल की लंबी और कठिन कानूनी लड़ाई के बाद काटोल संतरा प्रसंस्करण केंद्र का एमएआईडीसी को हस्तांतरण एक बड़ी जीत है। यह किसानों, युवाओं और पूरे विदर्भ क्षेत्र के लिए खुशी की खबर है। अब जरूरत है सरकार की ओर से त्वरित कार्रवाई की, ताकि यह परियोजना जल्द से जल्द धरातल पर उतर सके और किसानों को इसका वास्तविक लाभ मिल सके। सलील देशमुख का यह संघर्ष और दृढ़ संकल्प निश्चित रूप से विदर्भ के किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने वाला है।

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Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।