नागपुर शहर में राजनीतिक माहौल एक बार फिर गर्म हो गया है। भाजपा आमदार कृष्णा खोपडे को जान से मारने की धमकी मिलने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं में आक्रोश की लहर देखने को मिली है। इस गंभीर मामले को लेकर पूर्व नागपुर के भाजपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस कमिश्नर को एक निवेदन पत्र सौंपा है। इस निवेदन में धमकी देने वाले व्यक्ति की तत्काल गिरफ्तारी और आमदार को सुरक्षा प्रदान करने की मांग की गई है।
निवेदन में क्या है मांग
भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपने निवेदन पत्र में साफ शब्दों में कहा है कि जो व्यक्ति फोन पर आमदार कृष्णा खोपडे को धमकी दे रहा है, उसे बिना किसी देरी के गिरफ्तार किया जाना चाहिए। यह मामला केवल एक धमकी भर नहीं है, बल्कि एक जनप्रतिनिधि की जान को खतरा है। लोकतंत्र में चुने हुए प्रतिनिधियों की सुरक्षा सबसे पहली जिम्मेदारी होती है और इस मामले में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती।
कार्यकर्ताओं ने पुलिस प्रशासन से यह भी मांग की है कि आमदार कृष्णा खोपडे को तत्काल पुलिस संरक्षण दिया जाए ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। जब तक इस मामले की गहराई से जांच नहीं हो जाती और असली दोषियों को पकड़ा नहीं जाता, तब तक आमदार की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत रहनी चाहिए।
तुकाराम मुंडे पर गंभीर आरोप
निवेदन पत्र में एक और महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया है जो नागपुर महानगर पालिका के पूर्व आयुक्त तुकाराम मुंडे से जुड़ा है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि कोरोना काल के दौरान तुकाराम मुंडे ने अपनी दादागिरी का इस्तेमाल करते हुए महिला अधिकारियों पर दबाव डाला था। इस दबाव में उन्होंने लगभग बीस करोड़ रुपये के बोगस बिल बनवाए और जबरदस्ती महिला अधिकारियों से उन पर हस्ताक्षर करवाए थे।
यह आरोप बेहद गंभीर हैं और इसकी शिकायत सदर पुलिस स्टेशन तथा बर्डी पुलिस स्टेशन में पहले ही दर्ज कराई जा चुकी है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद अभी तक तुकाराम मुंडे के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस देरी पर सवाल उठाते हुए तुकाराम मुंडे की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है।
कोरोना काल में भ्रष्टाचार के आरोप
कोरोना महामारी का समय पूरे देश के लिए बेहद कठिन था। उस दौरान प्रशासन की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई थी क्योंकि लोगों की जान बचाना सबसे बड़ी प्राथमिकता थी। लेकिन कुछ लोगों ने इस संकट को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया। तुकाराम मुंडे पर लगे आरोप इसी तरह के हैं।
बीस करोड़ रुपये का बोगस बिल कोई छोटा मामला नहीं है। यह जनता के पैसे की लूट है। महिला अधिकारियों पर दबाव डालकर गलत काम करवाना और भी गंभीर मामला है। इससे न केवल सरकारी खजाने को नुकसान हुआ बल्कि महिला कर्मचारियों को भी मानसिक और पेशेवर दबाव झेलना पड़ा।
पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
जब दो अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में शिकायत दर्ज हो और फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हो, तो यह चिंता का विषय है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने इसी बात को उठाया है। उनका सवाल जायज है कि जब शिकायत पहले ही दर्ज है और सबूत मौजूद हैं, तो फिर गिरफ्तारी में देरी क्यों है?
यह मामला केवल राजनीतिक नहीं है बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता का भी सवाल है। अगर किसी पूर्व अधिकारी के खिलाफ इतने गंभीर आरोप हों और फिर भी कार्रवाई नहीं हो, तो आम जनता का भरोसा प्रशासन से उठने लगता है।
बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की उपस्थिति
पुलिस कमिश्नर के पास निवेदन सौंपने के दौरान बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता मौजूद थे। इस मौके पर प्रदीप पोहने, राजू गोतमारे, राजेश ठाकुर, रामभाऊ अंबूलकर, सरिता कावरे, मनीषा अतकरे, वैशाली वैद्य, सीमा ढोमने, देवेंद्र मेहर, हितेश जोशी, महेंद्र राउत, दीपक वाडीभस्मे, बालू रारोकर, सेतराम सेलोकर, बालू लाकड़े, संघपाल मेश्रराम, सचिन वानखेडे, रजत रुइया, संतोष लड्ढा, संगीता गुप्ता, अनीता वानखेडे, उर्मिला बोंडे, रामदास साहू, विनोद बाँगड़े, विक्रम खुराना, राजकुमार काटेकर, सारिका टाटे, नीता शर्मा, वर्षा मिलमिले और पूर्व नागपुर के सभी कार्यकर्ता मौजूद थे।
इतनी बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की उपस्थिति यह दर्शाती है कि पार्टी इस मुद्दे को बेहद गंभीरता से ले रही है। यह एकजुटता दिखाती है कि जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा और न्याय के लिए पार्टी कार्यकर्ता किसी भी हद तक जा सकते हैं।
लोकतंत्र और सुरक्षा का सवाल
लोकतंत्र में चुने हुए प्रतिनिधियों की सुरक्षा का मामला बेहद संवेदनशील होता है। जब कोई आमदार या विधायक को धमकी मिलती है, तो यह केवल एक व्यक्ति का मामला नहीं रह जाता, बल्कि यह पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था को चुनौती देने जैसा है। जनता ने जिसे अपना प्रतिनिधि चुना है, उस पर हमला या धमकी का मतलब है जनता की आवाज को दबाने की कोशिश।
इसलिए पुलिस और प्रशासन की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह तुरंत और सख्त कार्रवाई करे। किसी भी तरह की ढिलाई या देरी न केवल संबंधित व्यक्ति के लिए खतरा है बल्कि यह पूरी व्यवस्था के लिए सवालिया निशान खड़ा करती है।
आगे की राह
इस मामले में अब पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह जल्द से जल्द कार्रवाई करे। धमकी देने वाले की पहचान कर उसे गिरफ्तार किया जाए और आमदार कृष्णा खोपडे को पर्याप्त सुरक्षा दी जाए। साथ ही तुकाराम मुंडे के खिलाफ लंबित शिकायतों पर भी तेजी से जांच होनी चाहिए और अगर आरोप सच साबित होते हैं तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
भ्रष्टाचार और धमकी जैसे मामलों में किसी भी तरह की राजनीतिक या प्रशासनिक रियायत नहीं होनी चाहिए। न्याय में देरी न्याय से इनकार के बराबर है। उम्मीद है कि पुलिस प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेगा और जल्द से जल्द सकारात्मक कार्रवाई करेगा।