नागपुर शहर के नरसाला गाँव की झोपड़पट्टी में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। श्मशान घाट के पास नाले के पीछे बसी इस अस्थायी बस्ती में रहने वाले एक मजदूर परिवार की 6 से 8 माह की मासूम बच्ची की रात के समय किसी जंगली जानवर ने हमला कर दिया। इस हमले में बच्ची के शरीर का करीब 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा, जिसमें छाती और दोनों हाथ शामिल थे, जानवर ने खा लिया। इस भयानक घटना के बाद बच्ची की मौके पर ही मौत हो गई। यह हादसा उस क्षेत्र में रहने वाले गरीब मजदूर परिवारों की असुरक्षित स्थिति को उजागर करता है।
घटना का पूरा विवरण
नरसाला गाँव के पीछे स्थित श्मशान घाट के निकट एक नाला बहता है। इस नाले के पीछे वाले इलाके में स्थानीय ठेकेदारों ने निर्माण कार्य के लिए मजदूरों को रखा हुआ है। ये मजदूर आसपास के गाँवों से रोजगार की तलाश में यहाँ आते हैं और अपने परिवारों के साथ अस्थायी झोपड़ियों में रहते हैं। इन झोपड़ियों की हालत बेहद खराब है और यहाँ न तो बिजली की व्यवस्था है और न ही किसी प्रकार की सुरक्षा।
कल रात इसी झोपड़पट्टी में रहने वाले एक मजदूर परिवार की 6 से 8 महीने की बच्ची अपनी माँ के साथ सो रही थी। रात के अंधेरे में कोई जंगली जानवर झोपड़ी में घुस आया और सोती हुई मासूम बच्ची पर हमला कर दिया। जानवर ने बच्ची के शरीर के ऊपरी हिस्से को बुरी तरह नोच डाला। बच्ची की छाती और दोनों हाथों को जानवर ने खा लिया। घटना इतनी तेजी से हुई कि परिवार के सदस्य कुछ समझ पाते, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
परिवार और स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद पूरी झोपड़पट्टी में दहशत का माहौल है। मजदूर परिवार सदमे में है और उन्हें समझ नहीं आ रहा कि क्या करें। बच्ची की माँ रो-रोकर बेहाल हो गई है। परिवार के अन्य सदस्य भी इस हादसे से पूरी तरह टूट गए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस इलाके में पहले भी जंगली जानवरों के आने की घटनाएँ हो चुकी हैं, लेकिन इस तरह का भयानक हमला पहली बार हुआ है।
झोपड़पट्टी में रहने वाले अन्य मजदूरों ने बताया कि यहाँ की स्थिति बेहद खराब है। रात में अंधेरा होने के कारण जानवरों का खतरा बना रहता है। झोपड़ियाँ कच्ची हैं और इनमें किसी तरह की सुरक्षा नहीं है। लोगों को डर है कि ऐसी घटना फिर से हो सकती है।
प्रशासन और पुलिस की भूमिका
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुँची। पुलिस ने बच्ची के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। अधिकारियों ने इलाके का निरीक्षण किया और जानवर की पहचान करने की कोशिश की जा रही है। प्रारंभिक जाँच में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि हमला किसी बड़े जंगली जानवर, संभवतः तेंदुए या जंगली कुत्तों के झुंड द्वारा किया गया हो सकता है।
वन विभाग की टीम को भी मौके पर बुलाया गया है। वन अधिकारियों ने इलाके में जानवरों के पैरों के निशान और अन्य सबूतों की तलाश शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि वे जल्द से जल्द जानवर की पहचान कर उसे पकड़ने की कोशिश करेंगे।
मजदूरों की असुरक्षित जिंदगी
यह घटना उन गरीब मजदूरों की असुरक्षित और कठिन जिंदगी को उजागर करती है जो रोजगार के लिए अपने गाँव छोड़कर शहरों में आते हैं। ये मजदूर ठेकेदारों के लिए काम करते हैं, लेकिन उन्हें रहने के लिए सुरक्षित जगह नहीं दी जाती। वे कच्ची झोपड़ियों में अपने परिवारों के साथ रहने को मजबूर होते हैं।
नरसाला की इस झोपड़पट्टी में रहने वाले मजदूरों के पास न तो पीने के पानी की सुविधा है और न ही शौचालय। बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है। रात के समय घना अंधेरा होता है, जिससे जानवरों का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है।
सरकार से मदद की गुहार
घटना के बाद स्थानीय सामाजिक संगठनों ने सरकार से मजदूरों के लिए सुरक्षित आवास की व्यवस्था करने की माँग की है। उनका कहना है कि जो लोग शहर के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं, उन्हें कम से कम रहने के लिए सुरक्षित जगह तो मिलनी ही चाहिए। झोपड़पट्टी क्षेत्रों में बिजली, पानी और सुरक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी अपील की गई है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और प्रशासन को मजदूरों के लिए बेहतर व्यवस्था करने के लिए निर्देश दें। मृतक बच्ची के परिवार को आर्थिक मदद देने की भी माँग की जा रही है।
जानवरों के हमले की बढ़ती घटनाएँ
पिछले कुछ समय से नागपुर और आसपास के इलाकों में जंगली जानवरों के हमले की घटनाएँ बढ़ी हैं। शहरीकरण के कारण जंगलों का क्षेत्र कम हो रहा है और जानवर आबादी वाले इलाकों में आ रहे हैं। खासकर झोपड़पट्टी और गाँवों के इलाकों में जानवरों का खतरा ज्यादा है।
वन विभाग को चाहिए कि वह ऐसे इलाकों की पहचान करे जहाँ जानवरों के आने की संभावना ज्यादा है और वहाँ सुरक्षा के उपाय करे। स्थानीय लोगों को जागरूक करना भी जरूरी है कि वे जानवरों से कैसे बचाव करें।
नागपुर के नरसाला गाँव की यह घटना एक मासूम की जान ले गई और समाज के सामने कई सवाल खड़े कर गए। गरीब मजदूरों की असुरक्षित जिंदगी, प्रशासन की लापरवाही और जंगली जानवरों के बढ़ते हमले – ये सभी मुद्दे ध्यान देने योग्य हैं। जरूरत है कि सरकार और प्रशासन इन मजदूरों के लिए बेहतर व्यवस्था करे और ऐसी दर्दनाक घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। इस मासूम की मौत व्यर्थ न जाए और इससे सबक लेते हुए भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।