नागपुर उच्च न्यायालय ने नायलॉन मांजा के बढ़ते खतरे को देखते हुए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए कठोर दंड का प्रस्ताव रखा है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई नाबालिग बच्चा नायलॉन मांजा से पतंग उड़ाते पाया जाता है तो उसके माता-पिता पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यह निर्णय उन लगातार घटनाओं के मद्देनजर आया है जिनमें नायलॉन मांजा के कारण पक्षियों की मौत के साथ-साथ मानव जीवन भी खतरे में पड़ा है।
न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति रजनीश व्यास की खंडपीठ ने नायलॉन मांजा से संबंधित याचिका की सुनवाई के दौरान यह गंभीर सवाल उठाया कि जब उच्च न्यायालय के पिछले आदेशों के बावजूद इस खतरनाक मांजा पर प्रभावी रोक नहीं लग पा रही है तो क्यों न सख्त आर्थिक दंड के माध्यम से इसे नियंत्रित किया जाए।
नायलॉन मांजा: एक जानलेवा खतरा
नायलॉन मांजा पिछले कुछ वर्षों में एक बड़ी समस्या बन गया है। यह साधारण धागे की तुलना में अत्यधिक मजबूत और तेज धार वाला होता है। इसमें कांच के बारीक कण और रासायनिक पदार्थ मिलाए जाते हैं जो इसे और भी खतरनाक बना देते हैं। जब यह मांजा हवा में लहराता है या टूटकर इधर-उधर फैल जाता है तो यह एक अदृश्य जाल की तरह काम करता है।
पक्षियों के लिए यह मांजा किसी मौत के फंदे से कम नहीं है। कई पक्षी इसमें उलझकर घायल हो जाते हैं या दम तोड़ देते हैं। पशु कल्याण संगठनों के अनुसार हर साल सैकड़ों पक्षी इस मांजा के कारण अपनी जान गंवाते हैं। विशेषकर पतंगबाजी के मौसम में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है।
मनुष्यों के लिए भी यह कम खतरनाक नहीं है। सड़कों पर वाहन चालकों के गले में यह मांजा फंसने से कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। दोपहिया वाहन चालक विशेष रूप से इसके शिकार होते हैं। कुछ मामलों में तो लोगों की गर्दन पर गहरे घाव हो गए और कुछ घटनाओं में जान भी चली गई। छतों पर खेल रहे बच्चे भी इससे घायल हुए हैं।
न्यायालय का प्रस्तावित दंड विधान
उच्च न्यायालय ने इस बार सिर्फ सुझाव देने की बजाय ठोस कार्रवाई का प्रस्ताव रखा है। न्यायालय ने तीन स्तरों पर दंड का प्रावधान सुझाया है।
पहले स्तर पर यदि कोई नाबालिग बच्चा नायलॉन मांजा से पतंग उड़ाते पकड़ा जाता है तो उसके माता-पिता या अभिभावकों पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। न्यायालय का मानना है कि बच्चों की देखरेख और उनके कार्यों की जिम्मेदारी अभिभावकों की होती है। यदि बच्चा गलत काम कर रहा है तो इसके लिए माता-पिता जवाबदेह होने चाहिए।
दूसरे स्तर पर यदि कोई वयस्क व्यक्ति नायलॉन मांजा का उपयोग करते पाया जाता है तो उस पर भी 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है। वयस्क व्यक्ति को कानून और उसके परिणामों की जानकारी होती है इसलिए उनके लिए भी समान दंड निर्धारित किया गया है।
तीसरे और सबसे महत्वपूर्ण स्तर पर विक्रेताओं पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है। जो दुकानदार या व्यापारी नायलॉन मांजा बेचते पाए जाएंगे या भंडार रखते पाए जाएंगे उन पर प्रत्येक उल्लंघन के लिए 2 लाख 50 हजार रुपये का भारी जुर्माना लगाया जाएगा। न्यायालय का मानना है कि समस्या की जड़ विक्रेता हैं जो लाभ के लिए इस खतरनाक वस्तु की आपूर्ति करते हैं।
पूर्व के आदेश और उनकी विफलता
यह पहली बार नहीं है जब न्यायालय ने नायलॉन मांजा पर रोक के आदेश दिए हैं। पिछले कई वर्षों में उच्च न्यायालय ने विभिन्न मामलों में इस मांजा के उपयोग और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार को भी इस दिशा में कदम उठाने के आदेश मिले हैं।
लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि ये आदेश प्रभावी ढंग से लागू नहीं हो पाए हैं। बाजारों में अभी भी नायलॉन मांजा आसानी से उपलब्ध है। कुछ दुकानदार इसे छुपाकर बेचते हैं तो कुछ खुलेआम। प्रशासनिक तंत्र की ढिलाई के कारण कानून का उल्लंघन जारी है।
इसी निराशाजनक स्थिति को देखते हुए न्यायालय ने इस बार आर्थिक दंड का सख्त प्रावधान सुझाया है। न्यायालय का मानना है कि जब सामान्य आदेश काम नहीं कर रहे तो भारी जुर्माने का डर लोगों को इस खतरनाक मांजा से दूर रखेगा।
आगामी सुनवाई और अंतिम निर्णय
न्यायालय ने 5 जनवरी को अगली सुनवाई निर्धारित की है। इस तारीख पर सभी पक्षों को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाएगा। यदि किसी को इस प्रस्तावित दंड विधान पर कोई आपत्ति है या कोई वैकल्पिक सुझाव देना है तो वह न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है।
न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई पक्ष इस तारीख पर उपस्थित नहीं होता या अपना पक्ष नहीं रखता तो यह माना जाएगा कि उसे प्रस्तावित दंड पर कोई आपत्ति नहीं है। इस स्थिति में न्यायालय इस प्रस्ताव को अंतिम आदेश के रूप में जारी कर सकता है।
जिलाधिकारियों को जागरूकता अभियान के निर्देश
न्यायालय ने सिर्फ दंड का प्रावधान ही नहीं किया बल्कि जनजागरूकता पर भी जोर दिया है। सभी जिलाधिकारियों को व्यापक प्रचार अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। लोगों को नायलॉन मांजा के खतरों और कानूनी परिणामों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए।
यह जागरूकता अभियान विभिन्न माध्यमों से चलाया जाना चाहिए। स्कूलों में बच्चों को शिक्षित किया जाना चाहिए। अभिभावकों को भी इसके परिणामों की जानकारी दी जानी चाहिए। बाजारों में दुकानदारों को चेतावनी दी जानी चाहिए। सोशल मीडिया और पारंपरिक मीडिया दोनों का उपयोग इस अभियान में होना चाहिए।
समाज की जिम्मेदारी
नायलॉन मांजा पर रोक लगाना केवल सरकार या न्यायालय की जिम्मेदारी नहीं है। यह पूरे समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। माता-पिता को अपने बच्चों को समझाना चाहिए कि पतंगबाजी का आनंद साधारण धागे से भी लिया जा सकता है। नायलॉन मांजा का उपयोग न केवल गैरकानूनी है बल्कि अनैतिक भी है।
दुकानदारों को भी अपने व्यावसायिक लाभ से ऊपर उठकर सोचना चाहिए। कुछ अतिरिक्त कमाई के लिए किसी की जान जोखिम में डालना उचित नहीं है। सामाजिक संगठनों को भी इस मुद्दे पर सक्रिय होना चाहिए और लोगों को जागरूक करना चाहिए।
यह निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है जो न केवल पक्षियों और पर्यावरण की रक्षा करेगा बल्कि मानव जीवन को भी सुरक्षित बनाएगा। आइए हम सब मिलकर नायलॉन मांजा के खिलाफ इस अभियान में योगदान दें और एक सुरक्षित समाज का निर्माण करें।