नागपुर, 7 दिसंबर। महाराष्ट्र में सहकारी पतसंस्थाओं की MIS प्रणाली को लेकर लंबे समय से चली आ रही समस्याओं का समाधान करने की मांग जोर पकड़ रही है। भाजपा नागपुर महानगर सहकार आघाड़ी ने महाराष्ट्र राज्य गैर-कृषि सहकारी पतसंस्था नियामक मंडल, पुणे को एक विस्तृत निवेदन सौंपकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने का आग्रह किया है।
रविवार को नंदनवन में आयोजित भाजपा नागपुर महानगर सहकार आघाड़ी के सहकार मेले में यह निवेदन औपचारिक रूप से सौंपा गया। आघाड़ी के अध्यक्ष विजय फडणवीस ने मंडल के सरकारी सदस्य सीए श्रीकांत दुबे को यह निवेदन सौंपा और प्रणाली में मौजूद खामियों को विस्तार से समझाया।
इस महत्वपूर्ण अवसर पर माजी सांसद अजय संचेती, भाजपा नागपुर महानगर अध्यक्ष दयाशंकर तिवारी और सहकार आघाड़ी के महामंत्री राजेंद्र घाटे उपस्थित रहे। सभी नेताओं ने एक स्वर में इस मुद्दे की गंभीरता को रेखांकित किया।
MIS प्रणाली में आ रही कठिनाइयाँ
महाराष्ट्र राज्य गैर-कृषि सहकारी पतसंस्था नियामक मंडल द्वारा लागू की गई MIS यानी प्रबंधन सूचना प्रणाली में जानकारी भरते समय सहकारी संस्थाओं को कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यह प्रणाली जो मूल रूप से जानकारी एकत्र करने और प्रबंधन को सरल बनाने के लिए बनाई गई थी, वह व्यावहारिक कठिनाइयों का कारण बन गई है।
संस्थाओं के प्रतिनिधियों का कहना है कि प्रणाली में कई जगहों पर स्पष्टता की कमी है, जिसके कारण सही जानकारी भरने में भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है। इससे न केवल समय की बर्बादी होती है बल्कि गलत जानकारी दर्ज होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
चुनाव तिथियों को लेकर भ्रम
निवेदन में विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि MIS प्रणाली में संस्था की चुनाव तिथियों को लेकर कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं है। चुनाव की तारीखें भरते समय किस प्रारूप में जानकारी दी जाए, यह स्पष्ट नहीं है। इससे कई बार गलत जानकारी दर्ज हो जाती है और बाद में उसे सुधारने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
वित्तीय जानकारी में जटिलता
प्रणाली में वित्तीय जानकारी भरते समय सबसे अधिक समस्याएं आती हैं। स्थापना व्यय का चल भांडवल, आरक्षित निधि, भवन निधि जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां भरने के लिए कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश उपलब्ध नहीं है।
ओवरड्राफ्ट की शेष राशि को किस तरह दर्ज किया जाए, इसको लेकर भी संस्थाओं में भ्रम बना रहता है। कई बार एक ही जानकारी को अलग-अलग संस्थाएं अलग-अलग तरीके से भरती हैं, जिससे तुलनात्मक विश्लेषण मुश्किल हो जाता है।
प्रशिक्षित सदस्यों की संख्या का मुद्दा
सहकारी संस्थाओं में प्रशिक्षित सदस्यों की संख्या एक महत्वपूर्ण जानकारी है। लेकिन MIS प्रणाली में यह स्पष्ट नहीं है कि किस प्रकार के प्रशिक्षण को मान्य माना जाए। क्या केवल सरकारी प्रशिक्षण को ही गिना जाए या निजी संस्थाओं द्वारा दिए गए प्रशिक्षण को भी शामिल किया जाए, यह स्पष्ट नहीं है।
सुधार की मांग
भाजपा नागपुर महानगर सहकार आघाड़ी ने अपने निवेदन में कई ठोस सुझाव दिए हैं। विजय फडणवीस और राजेंद्र घाटे ने मांग की है कि MIS प्रणाली में मौजूद सभी त्रुटियों और अस्पष्टताओं को जल्द से जल्द दूर किया जाए।
उन्होंने कहा कि प्रणाली को इस तरह से सुधारा जाए कि सही, शुद्ध और नियमबद्ध जानकारी भरना आसान हो। इसके लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएं और संस्थाओं के प्रतिनिधियों को उचित प्रशिक्षण दिया जाए।
सहकार मेले में उठाया गया मुद्दा
रविवार को नंदनवन में आयोजित सहकार मेले में सैकड़ों सहकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे। इस अवसर पर कई संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने अपनी समस्याएं साझा कीं और MIS प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया।
मंडल के सरकारी सदस्य सीए श्रीकांत दुबे ने आश्वासन दिया कि वह इस निवेदन को गंभीरता से लेंगे और उच्च अधिकारियों तक इसे पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि सहकारी संस्थाओं की सुविधा के लिए प्रणाली को और बेहतर बनाया जाएगा।
सहकारी आंदोलन को मजबूती
भाजपा नागपुर महानगर अध्यक्ष दयाशंकर तिवारी ने कहा कि सहकारी आंदोलन देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। महाराष्ट्र में लाखों लोग सहकारी संस्थाओं से जुड़े हुए हैं और उनकी आजीविका इस पर निर्भर है।
उन्होंने कहा कि सरकार को सहकारी संस्थाओं को मजबूत बनाने के लिए हर संभव कदम उठाने चाहिए। MIS प्रणाली में सुधार इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
माजी सांसद अजय संचेती ने कहा कि सहकारी क्षेत्र में पारदर्शिता बहुत जरूरी है। लेकिन जटिल प्रणाली के कारण पारदर्शिता लाना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने मांग की कि प्रणाली को सरल और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाया जाए।
भविष्य की योजना
सहकार आघाड़ी के महामंत्री राजेंद्र घाटे ने बताया कि यदि निर्धारित समय में इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वे इसे राज्य स्तर पर उठाएंगे। आवश्यकता पड़ने पर वे मुख्यमंत्री और सहकार मंत्री से भी मुलाकात करेंगे।
उन्होंने कहा कि सहकारी संस्थाएं आम लोगों की संस्थाएं हैं और उन्हें चलाने वाले अधिकतर लोग साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं। इसलिए प्रणाली इतनी सरल होनी चाहिए कि कोई भी आसानी से उसे समझ सके और जानकारी भर सके।
सहकारी पतसंस्था MIS प्रणाली में सुधार की यह मांग न केवल नागपुर बल्कि पूरे महाराष्ट्र की सहकारी संस्थाओं की जरूरत है। यदि इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाते हैं तो सहकारी क्षेत्र में पारदर्शिता और दक्षता दोनों बढ़ेंगी। अब देखना होगा कि नियामक मंडल इस निवेदन पर क्या कार्रवाई करता है।