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नागपुर में ‘वर्नाक्युलर ब्रांडिंग’ पुस्तक का विमोचन, डिज़ाइन जगत की 50 साल की यात्रा का दस्तावेज

Vernacular Branding Book Launch: नागपुर में भारतीय डिज़ाइन संस्कृति पर विशेष पुस्तक का विमोचन
Vernacular Branding Book Launch: नागपुर में भारतीय डिज़ाइन संस्कृति पर विशेष पुस्तक का विमोचन
नागपुर के शासकीय कला एवं डिज़ाइन कॉलेज में 'Vernacular Branding' पुस्तक का विमोचन हुआ। प्रो. भूलेश्वर माटे और कौशांबी माटे द्वारा लिखित यह पुस्तक भारतीय लोक-दृश्य संस्कृति और डिज़ाइन की 50 वर्षीय यात्रा को दर्शाती है। कार्यक्रम में डॉ. माधवी खोड़े-चावरे और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। पुस्तक 2026 की शुरुआत में उपलब्ध होगी।
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नागपुर के शासकीय कला एवं डिज़ाइन कॉलेज में हाल ही में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और शैक्षणिक आयोजन संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में ‘Vernacular Branding: Reading Identity Through Design and Visibility’ नामक पुस्तक का विमोचन किया गया। यह पुस्तक भारतीय डिज़ाइन परंपरा, लोक-संस्कृति और दृश्य-पहचान के विभिन्न पहलुओं को समझने का एक अनूठा प्रयास है। इस आयोजन में शहर के प्रमुख अधिकारी, शिक्षाविद, कला प्रेमी और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

विमोचन समारोह में उपस्थित गणमान्य अतिथि

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. माधवी खोड़े-चावरे, अतिरिक्त प्रभागीय आयुक्त नागपुर थीं। उन्होंने इस पुस्तक को भारतीय डिज़ाइन और संस्कृति के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान बताते हुए कहा कि ऐसी कृतियाँ हमारी लोक-परंपराओं को नई पीढ़ी तक पहुँचाने में सहायक होती हैं। विशेष अतिथि के रूप में श्रीमती आस्था गोडबोले कारलेकर, निदेशक दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र नागपुर भी उपस्थित रहीं। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम करेगी।

प्रो. डॉ. विश्वनाथ साबले, अधिष्ठाता शासकीय कला एवं डिज़ाइन कॉलेज ने इस अवसर पर कहा कि यह पुस्तक हमारी संस्था के लिए गौरव का विषय है। इससे न केवल विद्यार्थियों को सीखने का मौका मिलेगा, बल्कि भारतीय डिज़ाइन की समझ को भी नई दिशा मिलेगी।

Vernacular Branding Book Launch: नागपुर में भारतीय डिज़ाइन संस्कृति पर विशेष पुस्तक का विमोचन
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प्रो. भूलेश्वर माटे का शानदार करियर

पुस्तक के मुख्य लेखक प्रो. भूलेश्वर “अरुण” माटे डिज़ाइन और अनुप्रयुक्त कला के क्षेत्र में पाँच दशकों से सक्रिय हैं। अपने 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे प्रो. माटे का यह लेखन उनके लंबे और समृद्ध करियर का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। उन्होंने अपने करियर में हॉलिडे इन और हयात रीजेंसी दिल्ली जैसे प्रतिष्ठित होटलों में डिज़ाइन विभाग का नेतृत्व किया। इसके अलावा उन्होंने तिरुवनंतपुरम में अधिष्ठाता के पद पर कार्य किया और असम विश्वविद्यालय में प्र-उपकुलपति और कुलपति जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे।

IFFI 1993 सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की परियोजनाओं में उनके डिज़ाइन योगदान को सराहा गया है। वर्तमान में वे नागपुर में Envisionar Design Atelier के संस्थापक और निदेशक हैं, जहाँ से वे युवा डिज़ाइनरों को प्रशिक्षण और मार्गदर्शन देते हैं।

Vernacular Branding Book Launch: नागपुर में भारतीय डिज़ाइन संस्कृति पर विशेष पुस्तक का विमोचन
Vernacular Branding Book Launch: नागपुर में भारतीय डिज़ाइन संस्कृति पर विशेष पुस्तक का विमोचन

भारतीय दृश्य-संस्कृति का अनूठा दस्तावेज़

यह पुस्तक सह-लेखक कौशांबी माटे के सहयोग से तैयार की गई है। इसमें भारत की दृश्य-पहचान कैसे बनती है, इसका गहन अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। सड़कों पर लिखी जाने वाली अक्षरशैली, दुकानों और बाज़ारों के रंग-बिरंगे साइनबोर्ड, स्थानीय त्योहारों की सजावट, पारंपरिक ग्राफिक्स और स्थानीय कारीगरों की रचनात्मकता को इस पुस्तक में विस्तार से दर्शाया गया है।

लेखकों ने इस पुस्तक के माध्यम से यह समझाने का प्रयास किया है कि भारतीय डिज़ाइन केवल किताबों या संस्थानों तक सीमित नहीं है। यह हमारे आसपास की गलियों, दुकानों, मंदिरों, बाज़ारों और रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में छिपी हुई है। यह लोक-कला, कल्पनाशीलता और सामान्य जनजीवन से आकार लेती है।

लेखकों के विचार

विमोचन कार्यक्रम के दौरान प्रो. माटे ने अपने विचार साझा करते हुए कहा, “भारत की डिज़ाइन परंपरा लोक-कला, कल्पनाशीलता और जन-जीवन से आकार लेती है। हमारी गलियाँ और हमारे आसपास का वातावरण ही इस विषय के सर्वोत्तम शिक्षक हैं। हमने इस पुस्तक में उन्हीं तत्वों को पकड़ने की कोशिश की है जो हमारे दैनिक जीवन में हर जगह मौजूद हैं, लेकिन अक्सर हम उन्हें अनदेखा कर देते हैं।”

सह-लेखक कौशांबी माटे ने कहा, “यह पुस्तक उन अनाम रचनाकारों को सम्मान देती है, जो हर दिन हमारे दृश्य-पर्यावरण को नई पहचान देते हैं। वे साइनबोर्ड पेंटर हों, दुकानदार हों या स्थानीय कारीगर, सभी का योगदान अमूल्य है।”

विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण

यह पुस्तक डिज़ाइन, कला, संस्कृति और मानविकी के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए एक बेहद उपयोगी संसाधन साबित होगी। इसमें सिर्फ सिद्धांत नहीं, बल्कि वास्तविक उदाहरणों, तस्वीरों और केस स्टडीज़ के माध्यम से भारतीय लोक-दृश्य संस्कृति को समझाया गया है। यह पुस्तक विद्यार्थियों को अपनी जड़ों से जुड़ने और स्थानीय संस्कृति को समझने के लिए प्रेरित करती है।

शैक्षणिक संस्थानों में ऐसी पुस्तकों की आवश्यकता है जो सिर्फ पश्चिमी डिज़ाइन सिद्धांतों पर निर्भर न हों, बल्कि भारतीय परिप्रेक्ष्य को भी महत्व दें। यह पुस्तक उसी दिशा में एक सार्थक कदम है।

कार्यक्रम में विद्यार्थियों की सहभागिता

विमोचन कार्यक्रम में शासकीय कला एवं डिज़ाइन कॉलेज के विद्यार्थियों, शिक्षकों और पूर्व छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। विद्यार्थियों ने लेखकों से सवाल पूछे और भारतीय डिज़ाइन परंपरा को लेकर अपनी जिज्ञासाएँ साझा कीं। कार्यक्रम के दौरान डिज़ाइन के संरक्षण, दस्तावेज़ीकरण और आधुनिक समय में इसकी प्रासंगिकता पर गहन चर्चा हुई।

शिक्षकों ने इस पुस्तक को पाठ्यक्रम में शामिल करने की संभावना पर भी विचार किया। उनका मानना है कि ऐसी सामग्री विद्यार्थियों को सिद्धांत और व्यवहार के बीच संतुलन बनाने में मदद करेगी।

पुस्तक की उपलब्धता

यह पुस्तक 2026 की शुरुआत में शासकीय कला एवं डिज़ाइन कॉलेज नागपुर के माध्यम से उपलब्ध होगी। इसके अलावा प्रो. माटे के Envisionar Design Atelier से भी इसे प्राप्त किया जा सकेगा। प्रकाशन की योजना के अनुसार, इसे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से उपलब्ध कराया जाएगा।

समापन

नागपुर में हुए इस कार्यक्रम ने भारतीय डिज़ाइन और संस्कृति के महत्व को एक बार फिर रेखांकित किया। यह पुस्तक न केवल एक शैक्षणिक योगदान है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत को संजोने और अगली पीढ़ियों तक पहुँचाने का एक सार्थक प्रयास भी है। प्रो. भूलेश्वर माटे और कौशांबी माटे के इस प्रयास की जितनी सराहना की जाए, कम है।

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Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।