महाराष्ट्र की राजनीति में एक और दुखद खबर सामने आई है। राज्य के पूर्व वन मंत्री और वरिष्ठ राजनेता नानासाहब एंबडवार का निधन हो गया है। उनके निधन की खबर से पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई है। राजनीतिक दलों के नेताओं से लेकर आम जनता तक सभी ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। नानासाहब एंबडवार एक सच्चे जननेता थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन जनसेवा में समर्पित कर दिया।
नानासाहब एंबडवार का राजनीतिक सफर
नानासाहब एंबडवार का जन्म महाराष्ट्र के एक साधारण परिवार में हुआ था। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत जमीनी स्तर से की थी। शुरुआती दिनों में वे स्थानीय समस्याओं को लेकर जनता के बीच काम करते थे। उनकी ईमानदारी और मेहनत ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाया। धीरे-धीरे उन्होंने राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ बनाई।
नानासाहब ने कई चुनाव लड़े और जीते। वे विधानसभा के सदस्य रहे और राज्य की राजनीति में अहम भूमिका निभाई। उनकी सादगी और जनता के प्रति समर्पण ने उन्हें एक अलग पहचान दी। वे हमेशा गरीब और वंचित वर्ग के लोगों के साथ खड़े रहे।
वन मंत्री के रूप में योगदान
नानासाहब एंबडवार को महाराष्ट्र सरकार में वन मंत्री बनाया गया था। इस पद पर रहते हुए उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने वन क्षेत्र के विकास और वृक्षारोपण के लिए विशेष योजनाएं शुरू कीं। उनके कार्यकाल में वन विभाग में कई सुधार हुए।
उन्होंने स्थानीय लोगों को वन संरक्षण से जोड़ने का काम किया। आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा करने में भी उनकी अहम भूमिका रही। वन क्षेत्र में रहने वाले लोगों के विकास के लिए उन्होंने कई परियोजनाएं शुरू कीं। उनका मानना था कि पर्यावरण की सुरक्षा और विकास दोनों साथ-साथ चल सकते हैं।
सामाजिक कार्यों में सक्रियता
नानासाहब एंबडवार केवल एक राजनेता ही नहीं बल्कि एक समाजसेवी भी थे। वे शिक्षा के क्षेत्र में विशेष रुचि रखते थे। उन्होंने अपने क्षेत्र में कई स्कूल और कॉलेज खोले। गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए उन्होंने छात्रवृत्ति योजनाएं शुरू कीं।
स्वास्थ्य सेवाओं के विकास में भी उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र खोलने में मदद की। किसानों की समस्याओं को लेकर भी वे हमेशा सक्रिय रहते थे। सिंचाई सुविधाओं और कृषि विकास के लिए उन्होंने कई योजनाएं शुरू कीं।
जनता से जुड़ाव
नानासाहब की सबसे बड़ी खासियत थी कि वे हमेशा जनता के बीच रहते थे। उन्होंने कभी भी अपने आप को जनता से अलग नहीं किया। वे नियमित रूप से अपने क्षेत्र में जाते थे और लोगों की समस्याओं को सुनते थे। उनका दरवाजा हमेशा आम लोगों के लिए खुला रहता था।
उनकी सादगी और विनम्रता से सभी प्रभावित थे। वे बड़े नेता होने के बावजूद बेहद सरल जीवन जीते थे। उनका व्यवहार सभी के साथ समान था। इसी कारण जनता उन्हें अपना मानती थी।
राजनीतिक जगत में शोक
नानासाहब एंबडवार के निधन पर राजनीतिक जगत में गहरा शोक है। विभिन्न दलों के नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका निधन राज्य की राजनीति के लिए बड़ी क्षति है। उन्होंने कहा कि नानासाहब एक ईमानदार और मेहनती नेता थे।
विपक्षी दलों के नेताओं ने भी उनके योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि नानासाहब ने राजनीति में रहते हुए भी अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। उनकी मृत्यु से महाराष्ट्र की राजनीति में एक खालीपन आ गया है।
परिवार और व्यक्तिगत जीवन
नानासाहब एंबडवार का व्यक्तिगत जीवन बेहद सरल था। वे एक संयुक्त परिवार में रहते थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी और बच्चे हैं। उन्होंने अपने बच्चों को भी सेवा भाव की शिक्षा दी। परिवार में वे एक प्यारे पिता और पति थे।
उनका मानना था कि राजनीति में रहते हुए भी पारिवारिक मूल्यों को बनाए रखना जरूरी है। वे अपने परिवार के साथ पर्याप्त समय बिताते थे। धार्मिक और सामाजिक कार्यों में भी उनकी गहरी आस्था थी।
विरासत और प्रेरणा
नानासाहब एंबडवार ने अपने पीछे एक समृद्ध विरासत छोड़ी है। उनका जीवन नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा है। उन्होंने सिद्ध कर दिया कि ईमानदारी और मेहनत से राजनीति में भी सफलता पाई जा सकती है। उनके द्वारा शुरू की गई योजनाएं आज भी जनता को लाभ पहुंचा रही हैं।
युवा राजनेताओं के लिए वे एक आदर्श थे। उन्होंने हमेशा युवाओं को राजनीति में आने के लिए प्रोत्साहित किया। उनका मानना था कि युवा शक्ति ही देश का भविष्य है।
अंतिम संस्कार और श्रद्धांजलि
नानासाहब एंबडवार के अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। हजारों की संख्या में लोग उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे। राजनीतिक नेताओं के साथ-साथ आम जनता ने भी उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। लोगों की आंखों में आंसू थे और चेहरों पर उदासी।
राज्य सरकार ने उनके सम्मान में राजकीय शोक की घोषणा की। सरकारी कार्यालयों में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहा। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
नानासाहब एंबडवार का निधन महाराष्ट्र की राजनीति के लिए एक बड़ा नुकसान है। उनकी कमी को पूरा करना मुश्किल होगा। उनकी यादें हमेशा जनता के दिलों में जीवित रहेंगी।