मुख्यमंत्री सहायता निधि को लेकर विधान परिषद में उठे सवालों के जवाब में सरकार ने साफ किया है कि केवल एक महीने के आंकड़े देकर भ्रम फैलाना उचित नहीं है। सरकार ने अंबादास दानवे को संबोधित करते हुए कहा कि अक्टूबर महीने के आंकड़े बताकर अनावश्यक भ्रम पैदा किया गया है और जो जानकारी दी गई वह गलत भी है। इस मामले में जांच शुरू कर दी गई है और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
भ्रामक जानकारी पर सख्त रुख
सरकार ने स्पष्ट किया है कि मुख्यमंत्री सहायता निधि के संबंध में जो जानकारी सामने आई है वह पूरी तरह से सही नहीं है। केवल अक्टूबर महीने के आंकड़े देकर यह दिखाने की कोशिश की गई कि सरकार किसानों की मदद नहीं कर रही है, जबकि हकीकत इससे बिल्कुल अलग है।
सरकार ने कहा कि इस तरह की गलत जानकारी क्यों दी गई, इसकी पूरी जांच की जा रही है। जो लोग जानबूझकर या लापरवाही से गलत तथ्य पेश कर रहे हैं, उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया जा रहा है कि जनता के सामने सही और पूरी जानकारी आए।
तीन महीने में 61 करोड़ से अधिक की मदद
सरकार ने विधान परिषद में बताया कि मुख्यमंत्री सहायता निधि से केवल अक्टूबर नहीं बल्कि अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर इन तीन महीनों में कुल 61 करोड़ 51 लाख 698 रुपये की मदद वितरित की गई है। यह आंकड़ा साफ करता है कि सरकार लगातार जरूरतमंदों की मदद कर रही है।
यह राशि विभिन्न कारणों से मदद मांगने वाले लोगों को दी गई है। इसमें किसान, गरीब परिवार, आपदा पीड़ित और चिकित्सा सहायता चाहने वाले लोग शामिल हैं। मुख्यमंत्री सहायता निधि का उद्देश्य ही यही है कि समाज के कमजोर वर्गों को तुरंत राहत मिल सके।
रोजाना बढ़ती है सहायता की राशि
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री सहायता निधि से रोजमर्रा के आधार पर खर्च किया जाता है। हर दिन नए आवेदन आते हैं और जरूरतमंदों को तुरंत सहायता दी जाती है। इसलिए प्रतिदिन इस खर्च की राशि बढ़ती रहती है।
ऐसे में केवल एक महीने की जानकारी लेकर कोई निष्कर्ष निकालना बिल्कुल सही नहीं है। यह पूरी तस्वीर नहीं दिखाता। अगर किसी को सरकार के काम का सही आकलन करना है तो कम से कम तीन से छह महीने के आंकड़े देखने चाहिए।
मुख्यमंत्री सहायता निधि की व्यवस्था इस तरह से बनाई गई है कि जरूरतमंद को जल्द से जल्द मदद मिल सके। इसमें कोई लंबी प्रक्रिया नहीं है और सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय से मंजूरी मिलती है।
केवल मुख्यमंत्री सहायता निधि ही नहीं
सरकार ने एक और महत्वपूर्ण बात कही कि किसानों और जरूरतमंदों को सिर्फ मुख्यमंत्री सहायता निधि से ही मदद दी जाती है, ऐसा नहीं है। कई अन्य विभाग भी सहायता प्रदान करते हैं।
मदद और पुनर्वास विभाग, कृषि विभाग, सामाजिक न्याय विभाग, महिला और बाल विकास विभाग सहित कई विभाग अपने स्तर से लगातार मदद कर रहे हैं। इन सभी विभागों की योजनाओं को मिलाकर देखें तो सरकार की ओर से दी जाने वाली कुल सहायता राशि बहुत बड़ी है।
इसलिए सिर्फ मुख्यमंत्री सहायता निधि के आंकड़े देखकर यह कहना कि सरकार कुछ नहीं कर रही, बिल्कुल गलत है। यह पूरी व्यवस्था का सिर्फ एक छोटा हिस्सा है।
किसानों को मिली 14000 करोड़ से अधिक की सहायता
सबसे बड़ी बात यह है कि अब तक विशेष पैकेज के माध्यम से 14,000 करोड़ रुपये से अधिक की रकम सीधे किसानों के खातों में जमा की गई है। यह आंकड़ा बताता है कि सरकार किसानों की मदद के लिए कितनी गंभीर है।
यह राशि विभिन्न योजनाओं जैसे फसल बीमा, कर्ज माफी, आपदा राहत, अनुदान और अन्य सहायता के रूप में दी गई है। और यह प्रक्रिया अभी भी जारी है, मतलब आने वाले दिनों में और अधिक किसानों को फायदा मिलेगा।
सीधे खाते में राशि जमा करने की व्यवस्था से पारदर्शिता बढ़ी है और बिचौलियों की भूमिका खत्म हुई है। अब किसान को पूरी राशि बिना किसी कटौती के मिल रही है।
पारदर्शिता और जवाबदेही
सरकार ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री सहायता निधि सहित सभी योजनाओं में पूरी पारदर्शिता है। हर पैसे का हिसाब है और किसको कब कितनी राशि दी गई, इसका पूरा रिकॉर्ड रखा जाता है।
अगर किसी को कोई शिकायत है या कोई जानकारी चाहिए तो वह सूचना के अधिकार के तहत मांग सकता है। लेकिन अधूरी और गलत जानकारी देकर भ्रम फैलाना सही नहीं है।
सरकार ने साफ किया कि वह जनता के प्रति जवाबदेह है और हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार है। लेकिन सवाल भी पूरे तथ्यों पर आधारित होने चाहिए, न कि अधूरी जानकारी पर।
विपक्ष की आलोचना का जवाब
अंबादास दानवे द्वारा उठाए गए सवाल विपक्ष की ओर से सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश के रूप में देखे जा रहे हैं। हालांकि, सरकार ने तथ्यों के साथ जवाब देकर साफ कर दिया है कि आरोप निराधार हैं।
राजनीति में सवाल उठाना लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन सवाल भी जिम्मेदारी से उठाने चाहिए। गलत आंकड़े देकर या अधूरी जानकारी के आधार पर आरोप लगाना न तो सही है और न ही लोकहित में है।
सरकार ने कहा कि वह रचनात्मक आलोचना का स्वागत करती है और जहां कमी है वहां सुधार के लिए तैयार है। लेकिन राजनीतिक फायदे के लिए झूठे आरोप लगाने की कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
आगे क्या होगा
सरकार ने आश्वासन दिया है कि मुख्यमंत्री सहायता निधि से मदद देने की प्रक्रिया लगातार जारी रहेगी। जो भी जरूरतमंद है, उसे समय पर मदद मिलेगी।
साथ ही, गलत जानकारी देने वालों के खिलाफ जांच भी पूरी की जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए है कि भविष्य में ऐसी गलतियां न हों।
किसानों के लिए चल रहे विशेष पैकेज के तहत आने वाले दिनों में और अधिक राशि वितरित की जाएगी। सरकार का लक्ष्य है कि हर जरूरतमंद किसान को उसका हक मिले और राज्य की कृषि व्यवस्था मजबूत हो।