जयदीप कवाडे ने SC-ST Subclassification Committee को भंग करने की मांग की | महाराष्ट्र राजनीतिक खबर
महाराष्ट्र की राजनीति में SC-ST Subclassification Committee को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति के उपवर्गीकरण के मुद्दे पर राज्य में बढ़ते तनाव के बीच, पीपल्स रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष और महाराष्ट्र लघु उद्योग विकास महामंडल के उपाध्यक्ष (राज्यमंत्री दर्जा) जयदीपभाई जोगेंद्र कवाडे ने राज्य सरकार से इस समिति को तुरंत भंग करने की मांग की है।
जयदीप कवाडे ने अपने प्रेस बयान में कहा कि राज्य सरकार द्वारा गठित यह समिति न केवल सामाजिक सौहार्द को कमजोर कर रही है बल्कि जातीय तनाव को भी बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि “समाज को बांटकर न्याय नहीं किया जा सकता। न्याय तभी संभव है जब सभी वर्गों में समानता और एकता बनी रहे। यह समिति सामाजिक विभाजन का कारण बन रही है, जिससे असंतोष का माहौल पैदा हो सकता है।”
कवाडे ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार वास्तव में Social Justice के सिद्धांतों पर काम करना चाहती है, तो उसे SC-ST Subclassification Committee को तुरंत समाप्त करना चाहिए। उनके अनुसार, यह समिति आरक्षण प्रणाली के भीतर नई असमानताएं पैदा करने का कार्य कर रही है, जो सामाजिक न्याय की भावना के विपरीत है।
सामाजिक सौहार्द पर खतरा
जयदीप कवाडे ने कहा कि महाराष्ट्र जैसे सामाजिक रूप से संवेदनशील राज्य में उपवर्गीकरण की नीति से समाज में दरारें बढ़ेंगी। “एक ओर सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ की बात करती है, वहीं दूसरी ओर उपवर्गीकरण जैसी नीतियां समाज को बांटने का काम कर रही हैं। यह विरोधाभास राज्य की सामाजिक एकता के लिए खतरनाक है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कई सामाजिक संगठनों और विचारकों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि Subclassification Policy का परिणाम सामाजिक वैमनस्य के रूप में सामने आएगा। “राज्य सरकार को इस संवेदनशील विषय पर व्यापक संवाद शुरू करना चाहिए, न कि एकतरफा निर्णय लेना चाहिए,” उन्होंने जोड़ा।
केंद्र सरकार से भी अपील
जयदीप कवाडे ने केंद्र सरकार से भी आग्रह किया कि वह आगामी शीतकालीन संसदीय सत्र (Winter Session of Parliament) में कानून लाकर SC-ST Subclassification Committee को पूरी तरह रद्द करे।
उन्होंने कहा कि “यह निर्णय सामाजिक न्याय, समानता और संविधान के मूल सिद्धांतों की रक्षा के लिए आवश्यक है। अगर यह समिति बनी रहती है, तो संविधान की भावना को ठेस पहुंचेगी और आरक्षण व्यवस्था की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग जाएगा।”
संवैधानिक दृष्टिकोण
कवाडे ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने SC और ST वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान करते समय किसी भी प्रकार के उपवर्गीकरण की परिकल्पना नहीं की थी। “यह संविधान की भावना के खिलाफ है। Subclassification से सामाजिक न्याय का उद्देश्य विकृत होगा और राजनीतिक लाभ के लिए समाज को तोड़ा जाएगा,” उन्होंने कहा।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार को Equality before Law और Social Harmony को प्राथमिकता देनी चाहिए, न कि राजनीतिक दबाव में आकर ऐसी समितियों का गठन करना चाहिए।
आगे की रणनीति
पीपल्स रिपब्लिकन पार्टी ने संकेत दिया है कि यदि राज्य सरकार ने उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं की, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे। कवाडे ने कहा कि “हम सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करने से पीछे नहीं हटेंगे। अगर सरकार ने समिति को नहीं भंग किया, तो जनता सड़कों पर उतरेगी।”
वेब स्टोरी:
राज्य में पहले से ही SC-ST Subclassification Committee के विरोध में कई जगह प्रदर्शन हो चुके हैं। ऐसे में कवाडे का यह बयान इस मुद्दे को और अधिक राजनीतिक रूप से संवेदनशील बना सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा महाराष्ट्र की आगामी सियासत में एक बड़ा सामाजिक एजेंडा बन सकता है, जिससे विभिन्न दलों की रणनीतियों पर भी असर पड़ेगा।