महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष अण्णा बनसोडे ने रेलवे गौण खनिज के कथित 12 हजार करोड़ रुपये के घोटाले में सख्त कदम उठाते हुए यवतमाल जिले के कई अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में पूर्व और वर्तमान जिलाधिकारी, तहसीलदार समेत कई अधिकारियों को गुरुवार को नागपुर में व्यक्तिगत रूप से हाजिर रहने के निर्देश दिए गए हैं। यह मामला महाराष्ट्र के प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर रहा है।
यह घोटाला रेलवे की जमीन पर मौजूद गौण खनिजों की खुदाई और बिक्री से जुड़ा हुआ है। आरोप है कि यवतमाल जिले में रेलवे की संपत्ति पर अवैध रूप से खनन कार्य किया गया और इससे हजारों करोड़ रुपये का राजस्व चोरी हुआ। विधानसभा उपाध्यक्ष अण्णा बनसोडे ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए संबंधित अधिकारियों से सीधे जवाब मांगने का फैसला किया है।
घोटाले की पृष्ठभूमि
रेलवे गौण खनिज घोटाले की शुरुआत यवतमाल जिले से मानी जा रही है। जानकारी के अनुसार, रेलवे की जमीन पर पड़े गौण खनिजों जैसे रेत, मुरम और पत्थर की अवैध खुदाई की गई। इन खनिजों को बिना उचित अनुमति और रॉयल्टी चुकाए बाजार में बेचा गया। यह सिलसिला कई सालों तक चलता रहा और इस दौरान करोड़ों रुपये का राजस्व सरकारी खजाने में नहीं पहुंचा।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस घोटाले में प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है। कई ठेकेदारों और खनन माफिया ने कथित तौर पर अधिकारियों के सहयोग से यह काम अंजाम दिया। जब यह मामला सामने आया तो स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसकी शिकायत की और विधानसभा उपाध्यक्ष तक यह मुद्दा पहुंचा।
किन अधिकारियों को भेजा गया नोटिस
विधानसभा उपाध्यक्ष अण्णा बनसोडे द्वारा जारी किए गए नोटिस में यवतमाल जिले के वर्तमान और पूर्व जिलाधिकारी शामिल हैं। इसके अलावा तहसीलदार, खनन विभाग के अधिकारी और राजस्व विभाग से जुड़े कर्मचारी भी नोटिस के दायरे में हैं। इन सभी को गुरुवार को नागपुर में विधानसभा उपाध्यक्ष के समक्ष उपस्थित होने और अपने पक्ष में स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए गए हैं।
नोटिस में साफ तौर पर कहा गया है कि अधिकारियों को यह बताना होगा कि उनके कार्यकाल में रेलवे की जमीन पर अवैध खनन कैसे हुआ और इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए। अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस मामले ने महाराष्ट्र की राजनीति में भी हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने इसे सरकार की विफलता बताते हुए त्वरित जांच की मांग की है। कुछ नेताओं ने कहा है कि यह घोटाला प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का सीधा सबूत है। उन्होंने मांग की है कि इस मामले में उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया जाए और दोषियों को सजा दिलाई जाए।
दूसरी ओर, सत्तापक्ष के नेताओं ने कहा है कि विधानसभा उपाध्यक्ष द्वारा उठाया गया यह कदम सरकार की पारदर्शिता को दर्शाता है। उनका कहना है कि किसी भी गलत काम के लिए सरकार किसी को बख्शने वाली नहीं है और सभी दोषी अधिकारियों को कानून के कटघरे में लाया जाएगा।
जनता की प्रतिक्रिया
यवतमाल जिले की स्थानीय जनता इस घोटाले से काफी आहत है। लोगों का कहना है कि सरकारी संपत्ति पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा करके करोड़ों रुपये कमाए जबकि आम नागरिकों को बुनियादी सुविधाओं के लिए भी तरसना पड़ता है। स्थानीय सामाजिक संगठनों ने इस मामले में न्याय की मांग की है और कहा है कि जब तक सभी दोषी सजा नहीं पाते, आंदोलन जारी रहेगा।
किसान संगठनों ने भी इस मामले पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि अवैध खनन से पर्यावरण को भी नुकसान हुआ है और कृषि भूमि प्रभावित हुई है। उन्होंने मांग की है कि खनन कार्य पर सख्ती से नियंत्रण लगाया जाए और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
आगे क्या होगा
विधानसभा उपाध्यक्ष अण्णा बनसोडे द्वारा जारी किए गए नोटिस के बाद अब सभी की निगाहें गुरुवार को होने वाली नागपुर बैठक पर टिकी हैं। इस बैठक में अधिकारियों से सवाल-जवाब होंगे और उनके जवाबों के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। अगर अधिकारी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाते हैं तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ आपराधिक मामला भी दर्ज किया जा सकता है।
इसके अलावा, इस मामले में व्यापक जांच की भी संभावना है। विशेष जांच दल का गठन किया जा सकता है जो पूरे घोटाले की गहराई से छानबीन करेगा। यह भी देखा जाएगा कि क्या अन्य जिलों में भी इस तरह के मामले हैं और कितने लोग इस घोटाले में शामिल हैं।
रेलवे गौण खनिज घोटाले में विधानसभा उपाध्यक्ष अण्णा बनसोडे का हस्तक्षेप एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दर्शाता है कि जनप्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारी के प्रति गंभीर हैं और किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेंगे। अब यह देखना होगा कि अधिकारी इस नोटिस पर क्या जवाब देते हैं और इस मामले में न्याय कब तक मिलता है। यवतमाल की जनता और पूरे महाराष्ट्र की नजरें इस मामले पर टिकी हुई हैं।