राजस्थान के राजसमंद जिले में शुक्रवार सुबह एक बड़ा सड़क हादसा उस समय हुआ जब यात्रियों से भरी बस अचानक अनियंत्रित होकर पुलिया से नीचे बनास नदी में जा गिरी। यह दर्दनाक घटना खमनोर थाना क्षेत्र के मोलेला पुलिया पर हुई जहां एक निजी बस नाथद्वारा से मचिंद की ओर जा रही थी। बस में बैठे 25 से 30 यात्रियों के लिए एक क्षण ने ही भयावह दृश्य पैदा कर दिया। बताया जा रहा है कि एक्सल टूटने से बस का संतुलन बिगड़ गया और वह तेजी से पुलिया से नीचे जा गिरी।
इस हादसे के बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई। ग्रामीणों ने तुरंत अपनी जान जोखिम में डालकर सभी यात्रियों को बचाने में अहम भूमिका निभाई। बस गिरी तो जरूर, लेकिन नदी में पानी का बहाव कम होने के कारण कोई बड़ी जनहानि नहीं हुई। अगर नदी में पानी अधिक होता, तो स्थिति और भयावह हो सकती थी। स्थानीय लोगों के जागरूकता और तत्परता ने इस हादसे के प्रभाव को कम करने में मदद की।
बस का एक्सल टूटने से बिगड़ा संतुलन
बस हादसे के पीछे मुख्य कारण निर्मित सड़क सुरक्षा खामियां और वाहन की तकनीकी खराबी बताई जा रही है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पुलिया पर पहुंचते ही बस के नीचे से जोरदार आवाज आई और इससे पहले कि चालक कुछ समझ पाता, बस अचानक एक तरफ झुक कर नीचे गिर गई। सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का भी कहना है कि पुराने वाहनों की समय-समय पर मैकेनिकल जांच नहीं की जाती, जिससे ऐसे हादसे लगातार बढ़ रहे हैं।
राजसी सड़क संरचना पर भी सवाल उठते हैं। कई क्षेत्रों में पुलिया और सड़कों का निर्माण पुरानी तकनीक के आधार पर किया गया है, जहां भारी वाहनों के वजन की क्षमता नहीं होती। इस वजह से हादसे का खतरा हमेशा बना रहता है, जैसा कि इस मामले में देखने को मिला।
घायलों को ग्रामीणों ने बचाया, अस्पताल में भर्ती
हादसे के बाद ग्रामीणों ने बिना किसी देरी के बचाव कार्य शुरू किया। पानी कम होने के कारण वे सीधे बस के पास पहुंचे और खिड़कियों तथा पिछले दरवाजे से लोगों को बाहर निकालने लगे। बस के अंदर फंसे यात्रियों में से अधिकांश महिलाएं थीं। घबराहट और चोट के कारण कई को तुरंत चिकित्सा सहायता की जरूरत थी। सभी 15 घायलों को खमनोर सीएचसी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां प्राथमिक उपचार दिया गया।
घायलों में 13 महिलाएं, 1 बच्चा और 1 पुरुष शामिल हैं। इनमें से दो को सिर में गंभीर चोटें आईं, जिन्हें डॉक्टरों ने तुरंत उदयपुर रेफर किया। घायलों के नामों में हगामी बाई, लीला, रूपा, रोहित, राकेश, पूजा, कमला, पूनम, पेमा राम, हमेरी बाई, सूरज कंवर, लीला देवी, नर्मदा देवी, अनिता और लीला शामिल हैं।
स्थानीय प्रशासन ने शुरू की कार्रवाई
जैसे ही सूचना प्रशासन तक पहुंची, पुलिस और बचाव दल मौके पर पहुंचे और नदी से बस को निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी। प्रशासन का कहना है कि बस की तकनीकी जांच की जाएगी और यह पता लगाया जाएगा कि रखरखाव में कोई लापरवाही हुई या वाहन कई वर्षों से उपयोग में होने के बावजूद उसे फिटनेस प्रमाणपत्र दिया गया था।
अधिकारियों ने बताया कि हादसे के बाद यात्रियों और उनके परिजनों की सहायता के लिए व्यवस्था की जा रही है। प्रशासन के अनुसार जिस निजी संचालक की बस है, उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। तकनीकी खराबी से हुए हादसे में वाहन मालिक की जिम्मेदारी सबसे अधिक होती है क्योंकि वह नियमित सर्विसिंग और परीक्षण सुनिश्चित करने के लिए बाध्य होता है।
दुर्घटनाएं रोकने के लिए क्या होना चाहिए
राजसमंद हादसा एक चेतावनी है कि सड़क परिवहन और वाहन सुरक्षा सिर्फ प्रशासन की नहीं, बल्कि हर वाहन मालिक की जिम्मेदारी है। विशेषज्ञों का कहना है कि निजी परिवहन संचालकों को नियमित रूप से अपने वाहनों की फिटनेस जांच करानी चाहिए, साथ ही पुराने हिस्सों को समय पर बदलना भी जरूरी है। सड़क सुरक्षा अभियान, पुलिया और संकरे मार्गों पर चेतावनी बोर्ड, स्पीड लिमिट और नियमित पुलिस निगरानी दुर्घटनाओं को कम कर सकती है।
सामाजिक स्तर पर भी जागरूकता आवश्यक है ताकि लोग बिना फिटनेस वाले वाहनों में यात्रा करने से बचें और शिकायत दर्ज कराने में संकोच न करें। जब तक प्रशासन, वाहन मालिक और आम जनता एकजुट होकर सुरक्षा पर ध्यान नहीं देंगे, तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे।