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उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के डिजिटाइजेशन में तेजी, 7.34 करोड़ मतदाताओं का काम पूरा

SIR in UP 2025: उत्तर प्रदेश में 7.34 करोड़ मतदाताओं का डिजिटाइजेशन पूरा, जानें पूरी जानकारी
SIR in UP 2025: उत्तर प्रदेश में 7.34 करोड़ मतदाताओं का डिजिटाइजेशन पूरा, जानें पूरी जानकारी (File Photo)
उत्तर प्रदेश में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के तहत 7.34 करोड़ मतदाताओं के गणना प्रपत्रों का डिजिटाइजेशन पूरा हो चुका है, जो कुल का 48 प्रतिशत है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने मतदाताओं से शीघ्र प्रपत्र और फोटो जमा करने की अपील की। औरैया, अंबेडकरनगर, चित्रकूट आदि 17 जिलों में 50 प्रतिशत से अधिक काम पूरा हुआ। जिला अधिकारियों को कम प्रगति वाले क्षेत्रों में अतिरिक्त कार्मिक तैनात करने के निर्देश दिए गए। शहरी क्षेत्रों में एनसीसी, एनएसएस और नगरीय निकायों का सहयोग लिया जाएगा।
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उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग द्वारा शुरू किए गए विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान में अब तक काफी प्रगति हुई है। राज्य भर में मतदाता सूची को अपडेट करने का यह महत्वपूर्ण कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। गुरुवार शाम तक प्रदेश में 7.34 करोड़ से अधिक मतदाताओं के गणना प्रपत्रों का डिजिटाइजेशन का काम पूरा हो चुका है। यह संख्या कुल मतदाताओं की संख्या का लगभग 48 प्रतिशत है, जो एक सकारात्मक संकेत है।

यह अभियान पूरे प्रदेश में एक साथ चलाया जा रहा है और इसका उद्देश्य मतदाता सूची को पूरी तरह से सटीक और अपडेट बनाना है। इस प्रक्रिया में हर मतदाता की जानकारी को डिजिटल रूप में सहेजा जा रहा है, ताकि आने वाले चुनावों में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी ना हो और हर पात्र नागरिक अपने मताधिकार का उपयोग कर सके।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी का आह्वान

मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने प्रदेश के सभी मतदाताओं से विशेष अपील की है। उन्होंने कहा कि जिन मतदाताओं ने अभी तक अपना गणना प्रपत्र नहीं भरा है, वे जल्द से जल्द इस काम को पूरा करें। प्रपत्र के साथ नवीनतम पासपोर्ट आकार की फोटो भी लगाना अनिवार्य है। इन प्रपत्रों को अपने क्षेत्र के बूथ लेवल ऑफिसर यानी बीएलओ को जमा करना होगा।

रिणवा ने इस बात पर जोर दिया कि समय पर प्रपत्र जमा करने से पूरा अभियान समय सीमा के भीतर पूरा हो सकेगा। उन्होंने बताया कि यह काम केवल प्रशासन का नहीं है, बल्कि इसमें हर नागरिक की सहभागिता आवश्यक है। मतदाता सूची में सही जानकारी होना लोकतंत्र की मजबूती के लिए बहुत जरूरी है।

किन जिलों में हुई बेहतर प्रगति

प्रदेश के कई जिलों में डिजिटाइजेशन का काम 50 प्रतिशत से भी अधिक पूरा हो चुका है। इनमें औरैया, अंबेडकरनगर, चित्रकूट, बाराबंकी, पीलीभीत, सहारनपुर, अमरोहा, मुरादाबाद, बस्ती, रामपुर, चंदौली, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, बरेली, आजमगढ़, फिरोजाबाद और एटा जैसे जिले शामिल हैं। इन जिलों के प्रयासों की काफी सराहना की गई है।

इन जिलों में जिला प्रशासन और चुनाव विभाग के अधिकारियों ने मिलकर काम किया है। बीएलओ की टीमों ने घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क किया और उन्हें प्रपत्र भरने में मदद की। कई जगहों पर विशेष कैंप भी लगाए गए, जहां लोगों को मौके पर ही प्रपत्र भरने और फोटो लगाने की सुविधा दी गई।

जिला अधिकारियों को दिए गए विशेष निर्देश

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने उन जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारियों को विशेष निर्देश दिए हैं, जहां अभी तक प्रगति संतोषजनक नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे जिलों में बीएलओ को प्रोत्साहित किया जाए और उन्हें हर संभव सहायता मुहैया कराई जाए। जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त कार्मिकों की तैनाती भी की जाए, ताकि काम में तेजी आए।

उन्होंने यह भी निर्देश दिया है कि जिला स्तर पर नियमित समीक्षा बैठकें आयोजित की जाएं। इन बैठकों में प्रगति की निगरानी की जाए और जहां कमी हो, वहां तुरंत सुधार के उपाय किए जाएं। हर विधानसभा क्षेत्र और हर बूथ की स्थिति पर नजर रखी जाए।

शहरी क्षेत्रों में विशेष रणनीति

शहरी क्षेत्रों में डिजिटाइजेशन का काम थोड़ा चुनौतीपूर्ण है क्योंकि यहां लोग व्यस्त रहते हैं और उनसे संपर्क करना मुश्किल होता है। इसे ध्यान में रखते हुए मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने शहरी क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।

इस अभियान में एनसीसी, एनएसएस, विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं और नगरीय निकायों के कार्मिकों का सहयोग लिया जाएगा। ये संगठन शहरी इलाकों में अच्छी तरह जुड़े हुए हैं और इनकी मदद से ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा जा सकता है। खासकर ऐसे युवाओं तक, जो नए मतदाता हैं या जिन्होंने हाल ही में अपना पता बदला है।

नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत के कर्मचारियों को भी इस काम में लगाया जाएगा। उन्हें अपने क्षेत्र के निवासियों के बारे में अच्छी जानकारी होती है, इसलिए वे प्रभावी ढंग से काम कर सकते हैं।

डिजिटाइजेशन क्यों है जरूरी

मतदाता सूची का डिजिटाइजेशन आधुनिक चुनावी प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इससे कई फायदे हैं। सबसे पहले, डिजिटल रिकॉर्ड आसानी से अपडेट किया जा सकता है। दूसरा, इसमें गलतियों की संभावना कम होती है। तीसरा, जानकारी को जल्दी से खोजा और जांचा जा सकता है।

डिजिटल मतदाता सूची से डुप्लीकेट नामों की पहचान करना भी आसान हो जाता है। इससे फर्जी मतदान की संभावना कम होती है। साथ ही, मतदाता अपनी जानकारी ऑनलाइन भी देख सकते हैं और जरूरत पड़ने पर सुधार के लिए आवेदन कर सकते हैं।

मतदाताओं से अपेक्षाएं

चुनाव विभाग ने मतदाताओं से अपेक्षा जताई है कि वे इस अभियान में सक्रिय सहयोग दें। अगर किसी मतदाता के पास अभी तक बीएलओ नहीं पहुंचा है, तो वे खुद संपर्क कर सकते हैं। बीएलओ की जानकारी स्थानीय चुनाव कार्यालय या ऑनलाइन पोर्टल से प्राप्त की जा सकती है।

प्रपत्र भरते समय सभी जानकारियां सही-सही भरनी चाहिए। नाम, पता, उम्र, और अन्य विवरण में कोई गलती नहीं होनी चाहिए। फोटो हाल की होनी चाहिए और स्पष्ट होनी चाहिए। जरूरी दस्तावेज जैसे पहचान पत्र और पते का प्रमाण भी साथ रखना चाहिए।

आगे की रणनीति

अभी तक की प्रगति संतोषजनक है, लेकिन अभी बहुत काम बाकी है। लगभग 52 प्रतिशत मतदाताओं के प्रपत्र अभी भी डिजिटल नहीं हुए हैं। अगले कुछ हफ्तों में इस काम को पूरा करने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे।

चुनाव विभाग ने तय किया है कि हर जिले में दैनिक लक्ष्य निर्धारित किए जाएंगे। प्रतिदिन प्रगति की समीक्षा होगी और जहां जरूरत हो, वहां तुरंत कार्रवाई की जाएगी। जनजागरूकता अभियान भी चलाए जाएंगे, ताकि लोगों को इस काम की अहमियत समझ में आए।

प्रदेश सरकार और चुनाव आयोग दोनों ही इस अभियान को समय पर पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिकता है कि आने वाले चुनावों में हर पात्र नागरिक बिना किसी परेशानी के अपना वोट डाल सके।

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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.