बांग्लादेश में चल रहे हालात को लेकर भारत में रह रहे उन लोगों की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है जिनके परिवार के सदस्य और रिश्तेदार पड़ोसी देश में रहते हैं। पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में ऐसे कई लोग हैं जो अपने प्रियजनों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता में डूबे हुए हैं। एक तरफ राज्य में अपनी राजनीतिक गतिविधियां चल रही हैं तो दूसरी तरफ बांग्लादेश में बिगड़ते हालात ने कई परिवारों को परेशानी में डाल दिया है।
मालदा के परिवारों में बढ़ती बेचैनी
पुराना मालदा की रहने वाली जयंती मंडल इन दिनों बहुत परेशान हैं। उनके माता-पिता और भाई बांग्लादेश के मानिकगंज में रहते हैं। बांग्लादेश में बिगड़ती स्थिति को देखते हुए वह लगातार अपने परिवार से संपर्क करने की कोशिश कर रही हैं। हालात की गंभीरता को देखते हुए उनकी चिंता स्वाभाविक है। वह अपने परिजनों की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं और उनसे बात करने के लिए बार-बार प्रयास कर रही हैं।
इसी तरह पुराना मालदा के पालपाड़ा इलाके में रहने वाले जीवन पाल की कहानी भी कुछ अलग नहीं है। जीवन पाल कभी बांग्लादेश में रहते थे लेकिन बाद में वह भारत आ गए। अब वह भारतीय नागरिक हैं। हालांकि उनके रिश्तेदार अभी भी बांग्लादेश में ही रहते हैं। मौजूदा हालात में वह भी अपने परिजनों की सुरक्षा को लेकर बेहद परेशान हैं।
हिंदुओं को वीजा देने की मांग
जीवन पाल का कहना है कि भारत सरकार को कम से कम इस समय बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं को वीजा देना चाहिए। उनकी मांग है कि जो लोग वहां असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, उन्हें भारत आने की सुविधा दी जाए। ऐसे कई परिवार हैं जो बांग्लादेश में बिगड़ते हालात से डरे हुए हैं और सुरक्षित जगह की तलाश में हैं।
मालदा जिले में ऐसे कई लोग रहते हैं जिनके परिवार के सदस्य बांग्लादेश में हैं। विभाजन के बाद से ही दोनों देशों के बीच रिश्तेदारी और पारिवारिक संबंध बने हुए हैं। ऐसे में जब भी बांग्लादेश में कोई उथल-पुथल होती है, सीमा के इस पार रह रहे लोगों की चिंता बढ़ जाती है।
बीजेपी ने सीएए में आवेदन की दी सलाह
इस पूरे मामले पर बीजेपी उत्तर मालदा संगठनात्मक जिले के अध्यक्ष प्रताप सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने ऐसे लोगों को नागरिकता देने के लिए ही सीएए कानून बनाया है। उनका कहना है कि जो लोग बांग्लादेश से मौजूदा हालात में भारत आना चाहते हैं और यहां रहना चाहते हैं, उन्हें सीएए के तहत आवेदन करना चाहिए।
प्रताप सिंह ने आगे कहा कि सीएए के जरिए उन लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। उन्होंने लोगों को सलाह दी कि वे तृणमूल कांग्रेस के चक्कर में न पड़ें और सीधे सीएए के तहत अपना आवेदन करें। बीजेपी नेता का मानना है कि यह कानून विशेष रूप से पड़ोसी देशों में उत्पीड़न झेल रहे अल्पसंख्यकों की मदद के लिए बनाया गया है।
तृणमूल कांग्रेस का पलटवार
बीजेपी के इस बयान पर तृणमूल कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। जिला तृणमूल के प्रवक्ता आशीष कुंडू ने बीजेपी पर जुमलेबाजी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि बीजेपी केवल राजनीतिक फायदे के लिए इस संवेदनशील मुद्दे का इस्तेमाल कर रही है।
तृणमूल नेता का आरोप है कि बीजेपी हमेशा की तरह लोगों को झूठे वादे कर रही है और उन्हें गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा कि जमीनी हकीकत कुछ और है और बीजेपी का सीएए एक ढोंग से ज्यादा कुछ नहीं है।
सीमावर्ती इलाकों में बढ़ी संवेदनशीलता
पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की सीमा पर स्थित मालदा जिला हमेशा से ही संवेदनशील रहा है। यहां के लोगों के सीमा पार रिश्तेदारी के संबंध हैं। जब भी बांग्लादेश में कोई राजनीतिक या सामाजिक उथल-पुथल होती है, इसका सीधा असर सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों पर पड़ता है।
मालदा में कई ऐसे परिवार हैं जो मूल रूप से बांग्लादेश से आए हैं और अब भारतीय नागरिक बन चुके हैं। लेकिन उनके कई रिश्तेदार अभी भी बांग्लादेश में ही रहते हैं। ऐसे में वर्तमान स्थिति उनके लिए बेहद चिंता का विषय बन गई है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम का महत्व
नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए को केंद्र सरकार ने खासतौर पर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए बनाया था। इस कानून के तहत हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए थे, वे भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
बांग्लादेश में बिगड़ते हालात को देखते हुए यह कानून फिर से चर्चा में आ गया है। कई लोग मानते हैं कि इस समय वहां रह रहे हिंदुओं को सुरक्षा की जरूरत है।
राजनीतिक दलों की भूमिका
इस पूरे मामले में राजनीतिक दलों की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो गई है। बीजेपी सीएए को लेकर आक्रामक रुख अपनाए हुए है जबकि तृणमूल कांग्रेस इसका विरोध कर रही है। दोनों दल अपने-अपने तरीके से इस मुद्दे को उठा रहे हैं।
हालांकि जमीनी स्तर पर लोगों की असली चिंता अपने परिजनों की सुरक्षा है। वे चाहते हैं कि राजनीति से ऊपर उठकर उनके परिवार के सदस्यों की मदद की जाए। ऐसे समय में मानवीय पहलू को सबसे ज्यादा महत्व देने की जरूरत है।
बांग्लादेश में स्थिति स्थिर होने तक भारत सरकार को संवेदनशील रुख अपनाना चाहिए और जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। मालदा जैसे सीमावर्ती इलाकों में रह रहे लोगों की चिंताएं वाजिब हैं और उन पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।