निर्वाचन आयोग की लापरवाही का एक और मामला सामने आया है जिसमें एक निर्दोष कार्यकर्ता की जान चली गई। पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के कालियाचक इलाके में तृणमूल कांग्रेस के बूथ स्तर के एजेंट बरकत शेख की मौत हो गई। यह मौत सामान्य नहीं थी, बल्कि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर हुई एक छोटी सी गलती ने उन्हें इतना डरा दिया कि उनका दिल ही रुक गया। चकसेहेरदी गाँव के रहने वाले बरकत शेख के साथ जो हुआ, वह चुनावी व्यवस्था में हो रही लापरवाही की एक दर्दनाक कहानी है।
बरकत शेख अपने पिता रशुल शेख के नाम से जाने जाते थे, लेकिन जब उन्होंने चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपना विवरण जांचा तो वह हैरान रह गए। वेबसाइट पर उनके पिता के नाम की जगह सिर्फ ‘शेख’ लिखा हुआ था। यह छोटी सी गलती उनके लिए जानलेवा साबित हुई। यह देखकर बरकत को यह डर सताने लगा कि कहीं उनका नाम मतदाता सूची से हट न जाए। इस डर ने उन्हें इतना परेशान कर दिया कि वह शुक्रवार की शाम कालियाचक तीन के बीडीओ कार्यालय गए।
वेबसाइट पर गलती का असर
बरकत के रिश्तेदार सामाउन शेख ने बताया कि वेबसाइट पर यह गलती देखने के बाद से ही बरकत बहुत परेशान था। उसे लग रहा था कि उसका नाम मतदाता सूची से निकल जाएगा। यही डर उसे बीडीओ कार्यालय तक ले गया। वह चाहता था कि अधिकारी उसे आश्वस्त करें कि उसका नाम सूची में बना रहेगा, लेकिन दुर्भाग्य से उसे वहां से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला।
बीडीओ कार्यालय में कोई समाधान नहीं मिलने के बाद जब बरकत बाहर आए, तभी अचानक उन्हें हार्ट अटैक आया। शुक्रवार शाम करीब सात बजे बीडीओ कार्यालय के बाहर ही उनकी तबीयत बिगड़ गई। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस खबर ने पूरे इलाके में सदमे की लहर दौड़ा दी।
विधायक ने उठाए सवाल
बरकत शेख की मौत की खबर मिलते ही वैष्णवनगर की विधायक चंदना सरकार तुरंत अस्पताल पहुंच गईं। उन्होंने निर्वाचन आयोग की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए। विधायक ने गुस्से में कहा कि चुनाव आयोग की इस तरह की गंभीर गलतियों से बार-बार लोग डर रहे हैं। बरकत शेख भी इसी डर के कारण अपनी जान गंवा बैठे।
चंदना सरकार ने आगे कहा कि बीडीओ कार्यालय में जाकर भी बरकत को यह भरोसा नहीं दिलाया गया कि उनका नाम मतदाता सूची में बना रहेगा। यह चुनाव आयोग की पूरी तरह से जिम्मेदारी की कमी है। चुनाव से पहले इस तरह की लापरवाही बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि वह इस मामले को अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व तक पहुंचाएंगी और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करेंगी।
स्थानीय नेताओं की प्रतिक्रिया
ग्राम पंचायत सदस्य समीउल शेख ने भी इस घटना पर अपनी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले नाम में छोटी सी गलती के कारण लोग बहुत ज्यादा डर रहे हैं। बरकत हमारी पार्टी का एक समर्पित कार्यकर्ता था। इस छोटी सी गलती के लिए वह बीडीओ कार्यालय गया था, लेकिन उसे कोई समाधान नहीं मिला और इसका नतीजा यह दर्दनाक मौत हुई।
समीउल शेख ने आगे कहा कि यह सिर्फ बरकत का मामला नहीं है। कई और लोग भी इसी तरह की गलतियों से परेशान हैं और डर में जी रहे हैं। निर्वाचन आयोग को चाहिए कि वह अपनी वेबसाइट पर मौजूद जानकारी को सही करे और लोगों को आश्वस्त करे कि उनके वोट सुरक्षित हैं।
घटना के बाद का माहौल
बरकत शेख की मौत के बाद अस्पताल परिसर में तृणमूल कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ जुट गई। लोगों में गुस्सा और आक्रोश था। माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया था। वैष्णवनगर थाने की पुलिस को मौके पर बुलाना पड़ा। पुलिस ने हालात को संभाला और शांति बनाए रखने की कोशिश की।
बीडीओ कार्यालय से लेकर अस्पताल तक का पूरा इलाका उत्तेजना से भरा हुआ था। लोग निर्वाचन आयोग के खिलाफ नारे लगा रहे थे और इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा देने की मांग कर रहे थे।
बीडीओ की चुप्पी
इस पूरे मामले में कालियाचक तीन नंबर ब्लॉक के बीडीओ सुकांत शिकदार से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वह फोन पर उपलब्ध नहीं रहे। उनकी चुप्पी ने इस मामले को और भी संवेदनशील बना दिया है। लोग जानना चाहते हैं कि आखिर बीडीओ कार्यालय ने बरकत को समाधान क्यों नहीं दिया।
निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी
यह घटना बताती है कि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद छोटी सी गलतियां भी लोगों के मन में कितना बड़ा डर पैदा कर सकती हैं। एक साधारण कार्यकर्ता के लिए यह चिंता जानलेवा साबित हुई। निर्वाचन आयोग को यह समझना होगा कि उनकी जिम्मेदारी सिर्फ चुनाव कराना नहीं है, बल्कि हर मतदाता को सुरक्षित और आश्वस्त महसूस कराना भी है।
चुनाव के समय लोगों में डर का माहौल नहीं होना चाहिए। निर्वाचन आयोग को अपनी व्यवस्था में सुधार करना चाहिए और वेबसाइट पर मौजूद जानकारी को तुरंत सही करना चाहिए। साथ ही, स्थानीय कार्यालयों को भी लोगों की समस्याओं का तुरंत समाधान देने के लिए तैयार रहना चाहिए।
बरकत शेख की मौत एक चेतावनी है कि चुनावी प्रक्रिया में लापरवाही की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। हर नागरिक का वोट कीमती है और हर मतदाता को सम्मान और सुरक्षा मिलनी चाहिए। इस दुखद घटना से सबक लेकर निर्वाचन आयोग को अपनी व्यवस्था में तुरंत सुधार करना चाहिए ताकि कोई और बरकत शेख की तरह अपनी जान न गंवाए।