जरूर पढ़ें

हुमायूं कबीर के बाबरी मस्जिद के लिए जमा हुआ धन का अंबार, गिनती के लिए मशीनें तैनात

Humayun Kabir On Babri Masjid Foundation: मुर्शिदाबाद में जमा धन की गिनती के लिए मशीन तैनात, 11 ट्रंक भरे नोटों से
Humayun Kabir On Babri Masjid Foundation: मुर्शिदाबाद में जमा धन की गिनती के लिए मशीन तैनात, 11 ट्रंक भरे नोटों से (AI Photo)
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुमायूं कबीर द्वारा प्रस्तावित बाबरी मस्जिद के लिए जमा धन की गिनती के लिए मशीनें लगाई गईं। 11 ट्रंक भरे नोटों को 30 लोग गिन रहे हैं। केवल क्यूआर कोड से 93 लाख रुपये जमा हुए। शनिवार को शिलान्यास हुआ था। बीरभूम और मालदा में भी ऐसी मस्जिद की मांग उठी है।
Updated:

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हुमायूं कबीर द्वारा प्रस्तावित बाबरी मस्जिद के निर्माण के लिए जमा हुई धनराशि ने सबको चौंका दिया है। धन की इतनी बड़ी मात्रा जमा हुई है कि उसे गिनने के लिए विशेष मशीनों का सहारा लेना पड़ रहा है। हुमायूं कबीर के रेजिनगर स्थित आवास पर कई घंटों से धन की गिनती का काम जारी है।

सूत्रों के अनुसार, मस्जिद निर्माण के लिए दान में मिले धन को संभालने के लिए 11 ट्रंक भरे पड़े हैं। इन ट्रंकों में भरे नोटों की सही गणना करने के लिए धन गिनने वाली मशीनें लगाई गई हैं। इस काम के लिए लगभग 30 लोगों को नियुक्त किया गया है, जो लगातार नोटों की गिनती में जुटे हुए हैं।

जमा धनराशि का विवरण

हुमायूं कबीर ने दावा किया है कि केवल क्यूआर कोड स्कैन करके ही 93 लाख रुपये जमा हो चुके हैं। यह राशि केवल डिजिटल माध्यम से आई है, जबकि नकद दान की राशि अलग से जमा हो रही है। यह आंकड़ा बताता है कि इस परियोजना को लेकर लोगों में कितना उत्साह है।

शनिवार को मुर्शिदाबाद में हुमायूं कबीर ने बाबरी मस्जिद का शिलान्यास किया था। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे। रविवार को उन्होंने स्वयं हाथ में ईंट लेकर निर्माण स्थल पर उपस्थित होकर प्रतीकात्मक रूप से काम शुरू किया था।

अन्य जिलों में भी मस्जिद निर्माण की मांग

मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद के निर्माण की घोषणा के बाद अब बीरभूम और मालदा जिलों से भी इसी तरह की मस्जिद बनाने की मांग उठने लगी है। हुमायूं कबीर के अनुसार, रामपुरहाट और सिउड़ी से कुछ लोग आकर उनसे मिले हैं और वहां भी बाबरी मस्जिद बनाने का अनुरोध किया है।

इसी तरह मालदा जिले से भी कई लोगों ने उनसे संपर्क किया है और अपने इलाके में भी ऐसी मस्जिद बनाने की इच्छा जताई है। हुमायूं कबीर ने इन प्रस्तावों पर विचार करने का आश्वासन दिया है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

इस पूरे मामले ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में हलचल मचा दी है। विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ लोग इसे धार्मिक भावनाओं का मामला बता रहे हैं, जबकि कुछ इसे राजनीतिक हथकंडा करार दे रहे हैं।

विपक्षी दलों ने इस कदम को लेकर सवाल उठाए हैं और इसकी जांच की मांग की है। उनका कहना है कि इतनी बड़ी धनराशि कहां से आई है, इसकी पारदर्शिता होनी चाहिए।

समर्थकों का उत्साह

दूसरी ओर, हुमायूं कबीर के समर्थक इस पहल को ऐतिहासिक बता रहे हैं। उनका मानना है कि यह उनके समुदाय की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। धन के अंबार से यह साफ हो गया है कि इस परियोजना को लेकर आम लोगों में कितना जोश है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि लोग खुशी-खुशी इस काम के लिए दान दे रहे हैं। कई लोगों ने अपनी जमा पूंजी में से भी योगदान दिया है।

धन गिनती की चुनौतियां

इतनी बड़ी मात्रा में नकदी को गिनना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। इसीलिए विशेष मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। 30 लोगों की टीम लगातार काम कर रही है, फिर भी इस काम में कई घंटे लग रहे हैं।

रेजिनगर स्थित हुमायूं कबीर के आवास पर सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं। इतने बड़े पैमाने पर नकदी की मौजूदगी को देखते हुए प्रशासन भी सतर्क है।

डिजिटल दान की भूमिका

आधुनिक तकनीक ने दान एकत्र करने के तरीके में क्रांति ला दी है। क्यूआर कोड के माध्यम से 93 लाख रुपये जमा होना इसका उदाहरण है। यह राशि पूरी तरह से डिजिटल माध्यम से आई है, जिससे लेन-देन में पारदर्शिता भी बनी रहती है।

इस तरह के डिजिटल दान से यह सुनिश्चित होता है कि हर लेन-देन का रिकॉर्ड मौजूद है। यह भविष्य में किसी भी तरह के विवाद से बचने में मददगार साबित हो सकता है।

आगे की योजनाएं

बाबरी मस्जिद के निर्माण का काम तेजी से आगे बढ़ाने की योजना है। शिलान्यास के बाद अब वास्तविक निर्माण कार्य शुरू होने वाला है। जमा धनराशि से पता चलता है कि इस परियोजना के लिए पर्याप्त फंड उपलब्ध है।

हुमायूं कबीर ने कहा है कि वे इस मस्जिद को एक आदर्श धार्मिक स्थल के रूप में विकसित करना चाहते हैं। उनकी योजना है कि यह केवल नमाज की जगह नहीं, बल्कि सामुदायिक विकास का केंद्र भी बने।

बीरभूम और मालदा में भी इसी तरह की मस्जिदों के निर्माण की संभावना इस आंदोलन को और व्यापक बना सकती है। हालांकि, इसके लिए अभी औपचारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन हुमायूं कबीर ने इन प्रस्तावों पर सकारात्मक विचार व्यक्त किया है।

यह पूरा मामला धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है। आने वाले दिनों में इसके और विकास देखने को मिल सकते हैं।

Rashtra Bharat
Rashtra Bharat पर पढ़ें ताज़ा खेल, राजनीति, विश्व, मनोरंजन, धर्म और बिज़नेस की अपडेटेड हिंदी खबरें।

Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।