कोलकाता के परनाश्री थाना क्षेत्र में चल रहे एक अवैध कॉल सेंटर पर साइबर क्राइम विभाग की बड़ी कार्रवाई सामने आई है। शुक्रवार तड़के करीब दो बजे पुलिस ने नेताजी सुभाष रोड स्थित सुधा किरण भवन में छापा मारकर सात लोगों को गिरफ्तार किया है। ये सभी आरोपी अमेरिकी नागरिकों को Norton Anti-virus, Paypal और Geek Squad Anti-virus जैसी प्रसिद्ध कंपनियों के कर्मचारी बनकर ठगी कर रहे थे।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह अवैध कॉल सेंटर काफी समय से अमेरिका के नागरिकों को निशाना बनाकर साइबर ठगी को अंजाम दे रहा था। आरोपी VOIP तकनीक के माध्यम से अमेरिकी नागरिकों को फोन करते थे और खुद को बड़ी कंपनियों का प्रतिनिधि बताकर उनसे पैसे ऐंठते थे।
पीड़ितों को कैसे बनाया जाता था निशाना
साइबर क्राइम विभाग की जांच में सामने आया है कि ये आरोपी पहले अमेरिकी नागरिकों को ई-मेल बमबारी करते थे। इसके बाद वे खुद को Norton Anti-virus, Paypal या Geek Squad जैसी कंपनियों का कर्मचारी बताकर फोन करते थे। आरोपी पीड़ितों को डराते हुए कहते थे कि उनके कंप्यूटर या बैंक खाते में कोई समस्या है।
इसके बाद वे नकली दस्तावेज दिखाकर पीड़ितों को विश्वास दिलाते थे और उनके कंप्यूटर या मोबाइल की रिमोट एक्सेस मांगते थे। जैसे ही पीड़ित रिमोट एक्सेस दे देते, ये ठग उनके डिवाइस में घुसकर बैंक खाते की जानकारी चुरा लेते थे। फिर ग्राहक सेवा शुल्क या समस्या ठीक करने के नाम पर भारी रकम वसूल लेते थे।
कई लोग इस झांसे में आकर हजारों डॉलर गंवा चुके हैं। पुलिस अभी तक ठगी की सही रकम का पता लगाने में जुटी है।

गिरफ्तार आरोपियों का विवरण
छापेमारी में गिरफ्तार किए गए सातों आरोपियों में पी. बाला कृष्ण रेड्डी (38 वर्ष) मुख्य है। वह परनाश्री इलाके में रहता है और माना जा रहा है कि यह कॉल सेंटर उसी के नेतृत्व में चल रहा था। अन्य गिरफ्तार आरोपियों में शादाब अली (31), लोबसांग दोरजी (35), शुभम जोशी (31), स्वरूप कुमार मैती (33), नरिमन जोशी (32) और सुब्रत पात्रा (32) शामिल हैं।
ये सभी आरोपी कोलकाता के अलग-अलग इलाकों से हैं। इनमें से कुछ तोपसिया, एकबलपुर और अन्य इलाकों के रहने वाले हैं। पुलिस इन सभी की पृष्ठभूमि और इस धंधे में शामिल होने के कारणों की जांच कर रही है।

मौके से बरामद सामान
छापेमारी के दौरान पुलिस ने मौके से कई अहम सबूत बरामद किए हैं। इनमें छह मोबाइल फोन, पांच लैपटॉप, दो वाईफाई राउटर, चार हेडफोन और एक चाबी का गुच्छा शामिल है। ये सभी उपकरण अवैध कॉल सेंटर चलाने में इस्तेमाल किए जा रहे थे।
पुलिस इन सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की फोरेंसिक जांच करेगी। इससे यह पता लगाया जाएगा कि कितने लोगों को निशाना बनाया गया और कितनी रकम की ठगी की गई। साथ ही यह भी जांचा जाएगा कि क्या इस गिरोह का कोई अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क भी है।
कानूनी कार्रवाई और धाराएं
इस मामले में साइबर थाने में केस नंबर 67 दर्ज किया गया है। आरोपियों पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 66, 66C, 66D, 84B और 43 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके साथ ही भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 61(2), 319(2), 318(4), 336(2), 338, 336(3) और 340(2) भी लगाई गई हैं।
सभी आरोपियों को शुक्रवार को कोलकाता के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया। पुलिस ने उनकी हिरासत की मांग की है ताकि पूरे मामले की गहराई से जांच की जा सके।
साइबर अपराध में बढ़ोतरी की चिंता
यह मामला देश में बढ़ते साइबर अपराधों की ओर ध्यान खींचता है। खासकर विदेशी नागरिकों को निशाना बनाकर की जाने वाली ठगी एक गंभीर मुद्दा बन गया है। कोलकाता समेत देश के कई शहरों में ऐसे अवैध कॉल सेंटर पकड़े गए हैं।
ये गिरोह आमतौर पर बुजुर्गों और कम तकनीकी जानकारी रखने वाले लोगों को निशाना बनाते हैं। वे डर दिखाकर या झूठे लालच देकर लोगों से पैसे ऐंठते हैं।
जनता के लिए सावधानी का संदेश
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को ऐसे फोन कॉल से सावधान रहना चाहिए। अगर कोई अनजान व्यक्ति फोन पर खुद को किसी कंपनी का प्रतिनिधि बताए और आपसे निजी जानकारी मांगे, तो तुरंत फोन काट दें। किसी भी स्थिति में अपने कंप्यूटर या मोबाइल की रिमोट एक्सेस किसी अनजान को न दें।
अगर आपको लगता है कि कोई आपको ठगने की कोशिश कर रहा है, तो तुरंत स्थानीय पुलिस या साइबर क्राइम सेल को सूचित करें। समय पर शिकायत करने से न केवल आप बच सकते हैं, बल्कि दूसरों को भी ठगी से बचाया जा सकता है।
पुलिस की जांच जारी
फिलहाल पुलिस इस मामले की गहन जांच कर रही है। यह पता लगाया जा रहा है कि क्या इस गिरोह के और भी सदस्य हैं। साथ ही यह भी जांचा जा रहा है कि ठगी से प्राप्त पैसा कहां भेजा जाता था और क्या इस पूरे नेटवर्क में कोई बड़ा मास्टरमाइंड शामिल है।
साइबर क्राइम विभाग अमेरिकी अधिकारियों से भी संपर्क कर रहा है ताकि वहां के पीड़ितों की पहचान की जा सके और उन्हें न्याय दिलाया जा सके। यह मामला अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध से निपटने में भारतीय पुलिस की सतर्कता को दर्शाता है।