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कोलकाता नगर निगम की बैठक में भाषायी विवाद को लेकर टीएमसी और भाजपा पार्षदों में जमकर हुई तीखी बहस

Kolkata Municipal Corporation Meeting: TMC और BJP पार्षदों में भाषायी मुद्दे पर हंगामा
Kolkata Municipal Corporation Meeting: TMC और BJP पार्षदों में भाषायी मुद्दे पर हंगामा
कोलकाता नगर निगम की बैठक में बंगाली अस्मिता और भाषा के मुद्दे पर TMC और BJP पार्षदों के बीच तीखी झड़प हुई। TMC पार्षद अरूप चक्रवर्ती ने निंदा प्रस्ताव रखा। BJP पार्षदों ने मेयर फिरहाद हकीम पर सांप्रदायिकता का आरोप लगाया जिससे मेयर भड़क गए। चेयरपर्सन मालाराय ने बिगड़ती स्थिति को संभाला।
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कोलकाता नगर निगम की मासिक बैठक में हुआ हंगामा

कोलकाता नगर निगम की मासिक बैठक में मंगलवार को माहौल तनावपूर्ण हो गया जब सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों के बीच बंगाली भाषा और अस्मिता के मुद्दे पर तीखी बहस छिड़ गई। बैठक के दौरान दोनों पक्षों के बीच कई बार गरमागरम बहस हुई और माहौल इतना बिगड़ा कि सभापति मालाराय को बीच-बचाव करना पड़ा।

बंगाली विद्वानों के अपमान पर निंदा प्रस्ताव

बैठक में TMC पार्षद अरूप चक्रवर्ती ने बंगाल और बंगाली अस्मिता से जुड़े मुद्दे पर एक निंदा प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने आरोप लगाया कि बंगाल के महान विद्वानों और विचारकों का अपमान किया जा रहा है। इस प्रस्ताव को लेकर सदन में हंगामा शुरू हो गया। जैसे ही यह प्रस्ताव सदन में रखा गया, मेयर फिरहाद हकीम, डिप्टी मेयर और मेयर परिषद सहित शासक दल के अन्य पार्षदों ने BJP पार्षदों की ओर तीखे और व्यंग्यात्मक टिप्पणियां करना शुरू कर दिया।

BJP पार्षदों का पलटवार

विपक्षी भाजपा ने भी चुप रहने का फैसला नहीं किया। BJP पार्षद सजल घोष, मीना देवी पुरोहित और विजय ने शासक दल के नेताओं और मंत्रियों पर निशाना साधते हुए कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने TMC नेताओं पर राष्ट्रगान गलत तरीके से गाने सहित कई अन्य मुद्दों को उठाया और तीखी टिप्पणियां कीं। BJP पार्षदों ने कहा कि शासक दल राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान नहीं करता और केवल क्षेत्रीय राजनीति करता है।

फिरहाद हकीम का जवाबी हमला

जब मेयर फिरहाद हकीम इस मुद्दे पर अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए और उन्होंने BJP पर बंगाली भाषा और संस्कृति विरोधी होने का आरोप लगाया, तो माहौल और गरम हो गया। फिरहाद हकीम ने कहा कि भाजपा हमेशा से बंगाली अस्मिता के खिलाफ रही है और बंगाल की संस्कृति को कमजोर करने की कोशिश करती रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार बंगाल के साथ सौतेला व्यवहार करती है और यहां की भाषा व संस्कृति को दबाने की कोशिश में लगी है।

सांप्रदायिकता का आरोप लगाने पर भड़के मेयर

जब BJP पार्षदों ने मेयर फिरहाद हकीम पर सांप्रदायिक होने का आरोप लगाया और उन्हें सांप्रदायिक तत्व बताया, तो मेयर का आपा पूरी तरह से खो गया। फिरहाद हकीम ने कड़े शब्दों में BJP पार्षदों की आलोचना करते हुए कहा कि जो लोग खुद सांप्रदायिकता की राजनीति करते हैं, वे दूसरों पर उंगली उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि TMC ने हमेशा सभी धर्मों और समुदायों का सम्मान किया है और सबको साथ लेकर चलने में विश्वास करती है।

भाषायी अस्मिता का सवाल

बंगाली भाषा और अस्मिता का यह मुद्दा पश्चिम बंगाल की राजनीति में लगातार महत्वपूर्ण बना हुआ है। TMC ने हमेशा बंगाली अस्मिता की रक्षक के रूप में खुद को पेश किया है और BJP पर आरोप लगाया है कि वह हिंदी और उत्तर भारतीय संस्कृति को बंगाल पर थोपने की कोशिश कर रही है। दूसरी ओर, BJP का कहना है कि TMC क्षेत्रवाद की संकीर्ण राजनीति कर रही है और राष्ट्रीय एकता को कमजोर कर रही है।

चेयरपर्सन ने संभाली स्थिति

जब सदन में स्थिति पूरी तरह से बेकाबू होने लगी और दोनों पक्षों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया, तो चेयरपर्सन मालाराय ने बीच-बचाव किया। उन्होंने दोनों पक्षों से शांत रहने और संयम बरतने की अपील की। काफी मशक्कत के बाद स्थिति काबू में आई और बैठक आगे बढ़ सकी। चेयरपर्सन ने कहा कि नगर निगम की बैठकों में नागरिक समस्याओं पर चर्चा होनी चाहिए, न कि राजनीतिक बयानबाजी पर समय बर्बाद होना चाहिए।

राजनीतिक विश्लेषण

यह घटना पश्चिम बंगाल में TMC और BJP के बीच चल रहे तीखे राजनीतिक संघर्ष का एक और उदाहरण है। आगामी चुनावों को देखते हुए दोनों दलों ने अपनी-अपनी रणनीति तेज कर दी है। जहां TMC बंगाली उप-राष्ट्रवाद की राजनीति कर रही है, वहीं BJP राष्ट्रवाद और विकास के मुद्दे पर जोर दे रही है।

स्थानीय मुद्दों की अनदेखी

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की राजनीतिक बहसबाजी से नगर निगम की बैठकों में असली मुद्दे पीछे रह जाते हैं। कोलकाता शहर में साफ-सफाई, जल निकासी, सड़कों की हालत, बिजली-पानी जैसी बुनियादी समस्याएं हैं, लेकिन इन पर चर्चा करने के बजाय राजनीतिक दल आरोप-प्रत्यारोप में उलझे रहते हैं।

नागरिकों की प्रतिक्रिया

कोलकाता के नागरिकों ने इस घटना पर निराशा व्यक्त की है। उनका कहना है कि जनप्रतिनिधियों को अपनी जिम्मेदारियां समझनी चाहिए और शहर की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। राजनीतिक दलों को आपसी मतभेदों को एक ओर रखकर शहर के विकास के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

आगे की संभावनाएं

विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव नजदीक आने के साथ ही इस तरह की घटनाएं और बढ़ सकती हैं। दोनों दलों के बीच प्रतिद्वंद्विता बढ़ती जा रही है और यह नगर निगम की बैठकों से लेकर विधानसभा तक हर मंच पर दिखाई दे रही है। हालांकि, जनता की उम्मीद है कि राजनीतिक दल अपनी प्रतिद्वंद्विता के बावजूद शहर के विकास कार्यों में बाधा नहीं बनेंगे।

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Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।