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Bengal SIR: एसआईआर की सुनवाई में 20-25 किलोमीटर दूर से बुजुर्गों को बुलाया गया, सांस की तकलीफ और कमर दर्द में भी पहुंचे लोग

SIR Hearing Bongaon: 85 साल के बुजुर्ग को सांस की तकलीफ में भी आना पड़ा, 20 किमी दूर से बुलाए गए लोग, परिवारों ने जताई नाराजगी
SIR Hearing Bongaon: 85 साल के बुजुर्ग को सांस की तकलीफ में भी आना पड़ा, 20 किमी दूर से बुलाए गए लोग, परिवारों ने जताई नाराजगी (File Photo)
बनगांव में दीघारई ग्राम पंचायत की एसआईआर सुनवाई में बुजुर्गों को 20-25 किमी दूर से आना पड़ा। 85 वर्षीय सांस के मरीज और टूटी कमर वाली 70 साल की महिला भी पहुंचे। परिवार, ग्राम प्रधान और सरकारी कर्मचारी ने व्यवस्था को कष्टदायक बताया।
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उत्तर 24 परगना के बनगांव ब्लॉक में दीघारई ग्राम पंचायत की एसआईआर (सोशल इकोनॉमिक रिव्यू) सुनवाई को लेकर स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बनगांव मदरसे में चल रही इस सुनवाई में 20 से 25 किलोमीटर दूर से बुजुर्गों और बीमार लोगों को बुलाया गया, जिससे उन्हें असहनीय कष्ट झेलना पड़ा। परिवारों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक सभी ने इस व्यवस्था पर नाराजगी जताई है।

85 वर्षीय बुजुर्ग सांस की तकलीफ में भी पहुंचे

सुनवाई में सबसे दिल दहला देने वाला दृश्य तब सामने आया जब एक 85 वर्षीय बुजुर्ग, जो गंभीर सांस की तकलीफ से जूझ रहे थे, को उनके बेटे ने हाथ पकड़कर सुनवाई स्थल तक लाया। बूढ़े पिता की हालत देखकर किसी का भी दिल पसीज सकता था, लेकिन प्रशासनिक प्रक्रिया ने उन्हें यह कष्टदायक यात्रा करने पर मजबूर कर दिया। लंबी लाइन में खड़े रहने के बाद पुलिस कर्मियों ने उनकी सुनवाई की व्यवस्था की।

टूटी कमर में बेल्ट बांधकर आई 70 साल की बुजुर्ग महिला

एक और मार्मिक मामला 70 वर्ष से अधिक उम्र की एक बुजुर्ग महिला का था, जिनकी कमर टूटी हुई थी। उन्हें बेल्ट पहनकर सुनवाई में आना पड़ा। इतनी गंभीर शारीरिक समस्या के बावजूद उन्हें घर से निकलना पड़ा, क्योंकि सुनवाई के लिए बुलावा आया था। यह स्थिति दर्शाती है कि कैसे प्रशासनिक व्यवस्था में संवेदनशीलता की कमी है।

20-25 किलोमीटर की कठिन यात्रा

दीघारई ग्राम पंचायत के अधिकांश लोगों को 20 से 25 किलोमीटर दूर से बनगांव मदरसे तक आना पड़ा। बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए यह यात्रा अत्यंत कष्टदायक साबित हुई। परिवारों का कहना है कि इतने बीमार और असहाय लोगों को इतनी दूर सुनवाई के लिए बुलाना पूरी तरह से अमानवीय है। कई लोगों को वाहन का इंतजाम करने में भी मुश्किल हुई और खर्च भी अतिरिक्त आया।

ग्राम प्रधान और परिवारों ने जताई नाराजगी

ग्राम पंचायत के प्रधान सुब्रत बंद्योपाध्याय ने भी इस स्थिति को चरम कष्टदायक बताया। उनका कहना है कि ऐसी सुनवाई की व्यवस्था स्थानीय स्तर पर ही होनी चाहिए, जिससे बुजुर्गों और बीमार लोगों को इतनी दूर न जाना पड़े। परिवारों ने भी इस पूरी व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं और मांग की है कि भविष्य में ऐसी स्थिति न बने।

सरकारी कर्मचारी ने भी स्वीकारी परेशानी

सुनवाई की जिम्मेदारी संभाल रहे सरकारी कर्मचारी ने भी लोगों की परेशानी को स्वीकार किया। उनका कहना है कि बुजुर्गों को यहां आने की कोई जरूरत नहीं थी, लेकिन उन तक यह जानकारी नहीं पहुंची, इसलिए वे आ गए। उन्होंने माना कि सभी को कष्ट हो रहा है और इस व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है।

यह घटना प्रशासनिक व्यवस्था में संवेदनशीलता और जनहित को ध्यान में रखने की जरूरत को रेखांकित करती है।


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Gangesh Kumar

Rashtra Bharat में Writer, Author और Editor। राजनीति, नीति और सामाजिक विषयों पर केंद्रित लेखन। BHU से स्नातक और शोधपूर्ण रिपोर्टिंग व विश्लेषण के लिए पहचाने जाते हैं।