महेशतला की बस्ती में भीषण आग से सौ झुग्गियां जलकर राख, क्रिसमस पर सैकड़ों परिवार बेघर
पश्चिम बंगाल के महेशतला नगर निगम क्षेत्र में क्रिसमस के त्योहार की खुशियां एक दर्दनाक हादसे में तब्दील हो गईं जब रबीन्द्रनगर कचरा डिपो के पास स्थित बस्ती में भीषण आग लग गई। वार्ड नंबर 10 में स्थित इस बस्ती में आज दोपहर के समय अचानक आग भड़क उठी और देखते ही देखते लगभग सौ झुग्गियां इसकी चपेट में आ गईं। यह हादसा उस समय हुआ जब पूरा देश क्रिसमस की खुशियां मना रहा था।
आग लगने की घटना
शाम के करीब चार बजे के आसपास रबीन्द्रनगर इलाके की इस घनी आबादी वाली बस्ती में अचानक आग की लपटें उठती दिखाई दीं। शुरुआत में छोटी सी चिंगारी से शुरू हुई यह आग कुछ ही मिनटों में विकराल रूप ले गई। तेज हवा के कारण आग की लपटें एक झुग्गी से दूसरी झुग्गी में तेजी से फैलती चली गईं। लकड़ी, प्लास्टिक की चादरों और अन्य ज्वलनशील सामग्री से बनी ये झुग्गियां आग के आगे टिक नहीं पाईं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि आग इतनी तेजी से फैली कि लोगों को अपना सामान बचाने का भी मौका नहीं मिला। बस्ती के निवासियों ने शुरुआत में खुद ही आग बुझाने की कोशिश की लेकिन स्थिति उनके नियंत्रण से बाहर हो गई। चारों ओर चीख-पुकार मच गई और लोग अपनी जान बचाकर बाहर भागने लगे।
प्रशासन की त्वरित कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही रबीन्द्रनगर थाने की पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची। इसके साथ ही दमकल विभाग को भी तत्काल सूचित किया गया। आग की भयावहता को देखते हुए दमकल विभाग ने एक के बाद एक कुल पांच दमकल गाड़ियां घटनास्थल पर भेजीं। दमकल कर्मियों ने युद्धस्तर पर आग पर काबू पाने का प्रयास शुरू किया।
दमकल की गाड़ियों ने विभिन्न दिशाओं से आग पर पानी की बौछार शुरू की। करीब दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। हालांकि तब तक लगभग सौ झुग्गियां पूरी तरह से जलकर राख हो चुकी थीं। दमकल कर्मियों ने आग के दोबारा भड़कने की आशंका को देखते हुए काफी देर तक मौके पर डेरा जमाए रखा।
जान-माल का नुकसान
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार इस हादसे में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है, जो एक राहत की बात है। लेकिन संपत्ति का नुकसान बहुत भारी है। लगभग सौ झुग्गियां पूरी तरह से नष्ट हो गईं हैं। इन झुग्गियों में रहने वाले सैकड़ों परिवार अब बेघर हो गए हैं। उनका घर-बार, कपड़े-लत्ते, बर्तन-भांडे, पैसे और जरूरी कागजात सब कुछ आग की भेंट चढ़ गए हैं।
सर्दियों का यह समय इन परिवारों के लिए और भी मुश्किल भरा है। ठंड के इस मौसम में सिर पर छत न होना इन गरीब परिवारों के लिए दोहरी मार है। बस्ती के ज्यादातर निवासी मजदूर और दिहाड़ी कामगार हैं जो रोज कमाते और रोज खाते हैं। उनके पास इतना पैसा नहीं है कि वे अचानक से अपना घर दोबारा बना सकें।
प्रभावित परिवारों की दुर्दशा
आग से प्रभावित परिवारों की हालत देखने लायक है। महिलाएं और बच्चे रो रहे हैं। कुछ लोग अपने जले हुए घरों के मलबे में कुछ बचा सामान ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। एक बुजुर्ग महिला ने रोते हुए बताया कि उसकी जीवन भर की जमा पूंजी आग में जल गई। एक युवक ने कहा कि उसकी शादी अगले महीने तय थी और सारा सामान आग में राख हो गया।
बस्ती के निवासियों का कहना है कि प्रशासन उन्हें तत्काल राहत प्रदान करे। उन्हें तिरपाल, कंबल, खाने-पीने का सामान और दवाइयों की सख्त जरूरत है। कई बच्चे भूखे-प्यासे हैं और ठंड से कांप रहे हैं।
आग लगने के संभावित कारण
आग लगने का सही कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। प्रशासन ने इसकी जांच शुरू कर दी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि किसी झुग्गी में खाना बनाते समय चूल्हे से चिंगारी उड़कर आग लग सकती है। कुछ का मानना है कि बिजली के शॉर्ट सर्किट से भी आग लगी हो सकती है। बस्ती में बिजली के अवैध कनेक्शन भी चलते हैं जो खतरनाक साबित होते हैं।
कचरा डिपो के पास होने के कारण भी आग की संभावना बढ़ जाती है। सूखा कचरा जल्दी आग पकड़ लेता है। जांच अधिकारी सभी संभावनाओं की पड़ताल कर रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
प्रशासनिक कदम
महेशतला नगर निगम के अधिकारियों ने घटनास्थल का दौरा किया है। उन्होंने प्रभावित परिवारों को सांत्वना दी है और जल्द से जल्द राहत पहुंचाने का आश्वासन दिया है। स्थानीय विधायक और पार्षद भी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया।
प्रशासन ने तत्काल राहत कार्य शुरू करने के निर्देश दिए हैं। प्रभावित परिवारों को अस्थायी शरण, भोजन, कंबल और जरूरी सामान उपलब्ध कराया जाएगा। नगर निगम ने नुकसान का आकलन करने के लिए एक टीम गठित की है।
समाज की भूमिका
ऐसे समय में समाज की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। स्थानीय लोगों ने प्रभावित परिवारों की मदद करना शुरू कर दिया है। कुछ लोग खाना, कपड़े और पैसे लेकर आ रहे हैं। सामाजिक संगठन भी राहत कार्य में जुट गए हैं।
क्रिसमस के इस पवित्र अवसर पर यह घटना एक याद दिलाती है कि हमें अपने आसपास के गरीब और जरूरतमंद लोगों का ख्याल रखना चाहिए। त्योहार की खुशियां तभी सार्थक हैं जब हर किसी के चेहरे पर मुस्कान हो।
महेशतला की इस भीषण आग ने एक बार फिर बस्तियों में रहने वाले गरीब परिवारों की असुरक्षित स्थिति को उजागर किया है। इन इलाकों में आग लगने की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। जरूरत है कि प्रशासन इन बस्तियों में बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करे, आग से बचाव के उपाय करे और लोगों को जागरूक करे। साथ ही प्रभावित परिवारों को तत्काल और पर्याप्त मदद मिलनी चाहिए ताकि वे इस मुश्किल समय से उबर सकें।