दक्षिण अफ्रीका में भारत की वैश्विक दृष्टि: आतंकवाद पर सख्त संदेश और ‘वैश्विक दक्षिण’ के लिए नई पहल

PM Modi South Africa Visit: दक्षिण अफ्रीका में भारत की वैश्विक रणनीति और आतंकवाद पर कठोर रुख
PM Modi South Africa Visit: दक्षिण अफ्रीका में भारत की वैश्विक रणनीति और आतंकवाद पर कठोर रुख
प्रधानमंत्री मोदी के दक्षिण अफ्रीका दौरे ने भारत को वैश्विक नेतृत्व की अग्रिम पंक्ति में स्थापित किया। आतंकवाद-विरोधी कदम, तकनीकी साझेदारी, ‘वैश्विक दक्षिण’ की आवाज़, और 24 वैश्विक बैठकों के माध्यम से भारत ने कूटनीति, आर्थिक सहयोग और अंतरराष्ट्रीय नीति को नई दिशा दी।
नवम्बर 24, 2025

दक्षिण अफ्रीका में भारत की वैश्विक दृष्टि: प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीतिक सक्रियता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण अफ्रीका में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत की कूटनीतिक स्थिति को सशक्त तरीके से प्रस्तुत किया। यह दौरा केवल बहुपक्षीय वार्ताओं या द्विपक्षीय औपचारिकताओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका, ‘वैश्विक दक्षिण’ की आवाज़, और आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट वैश्विक व्यवस्था की मांग को निर्णायक रूप में आगे बढ़ाने का अवसर बना। इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कुल 24 उच्चस्तरीय बैठकों और संवादों के माध्यम से आर्थिक सहयोग, तकनीकी नवाचार, ऊर्जा सुरक्षा, और कूटनीतिक समन्वय को आगे बढ़ाया।

आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक प्रतिबद्धता और भारत की अग्रणी भूमिका

दक्षिण अफ्रीका में आयोजित इस जी-20 सम्मेलन की एक प्रमुख उपलब्धि आतंकवाद के विरुद्ध की गई कठोर घोषणा रही। यद्यपि यह समूह मुख्य रूप से आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित है, इस वर्ष इसका स्वरूप व्यापक हुआ और नेताओं के संयुक्त वक्तव्य ने आतंकवाद को सभी स्वरूपों में सख़्त शब्दों में निंदा की। भारत की मांग थी कि दोहरे मानदंड समाप्त किए जाएं और आतंक वित्तपोषण रोकने के लिए वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) की भूमिका को और प्रभावी बनाया जाए।

इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी से मुलाकात इस संदर्भ में विशेष उल्लेखनीय रही। दोनों देशों के बीच आतंकवाद-विरोधी सहयोग को मजबूत करने के लिए India-Italy Joint Initiative on Countering Terror Financing अपनाई गई। यह कदम भविष्य में FATF और GCTF जैसी संस्थाओं में समन्वित रणनीति को बढ़ावा देगा।

बहुपक्षीय कूटनीति: 24 बैठकों से मजबूत हुआ वैश्विक संवाद

जी-20 के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कुल 24 वैश्विक नेताओं और संगठनों से मुलाकात की। इसमें भारत- ब्राजील- दक्षिण अफ्रीका (IBSA) समूह की बैठक भी शामिल रही, जो 14 वर्षों बाद आयोजित हुई। इसके साथ ही, एक महत्वपूर्ण त्रिपक्षीय बैठक ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और भारत के बीच आयोजित हुई, जिसमें तकनीकी सहयोग के नए दौर की शुरुआत हुई।

इस बैठक में ऑस्ट्रेलिया–कनाडा–भारत टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन पार्टनरशिप (ACITI) की घोषणा की गई। इस गठबंधन का उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता, हरित प्रौद्योगिकी, आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षा, और महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों के उपयोग को बढ़ाना है। इस पहल को 2026 की पहली तिमाही से आगे बढ़ाने की तैयारी की गई है।

18 देशों से द्विपक्षीय वार्ता: वैश्विक सद्भाव की दिशा में भारत का संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने 18 देशों के राष्ट्राध्यक्षों और सरकार प्रमुखों से व्यक्तिगत स्तर पर वार्ता की। इनमें जापान, जर्मनी, कनाडा, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, मलेशिया, वियतनाम, सिंगापुर, नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका, इथियोपिया, सिएरा लियोन, जमैका, और इटली जैसे राष्ट्र शामिल थे। इन चर्चाओं में व्यापार, रक्षा, तकनीक, जलवायु, और उभरती वैकल्पिक ऊर्जा के मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने का निर्णय हुआ।

इस प्रकार, भारत ने केवल आर्थिक सहयोग ही नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीतिक नेतृत्व का भी प्रदर्शन किया।

‘वैश्विक दक्षिण’ के विचार को नई दिशा

जोहान्सबर्ग जी-20 सम्मेलन को अफ्रीका में आयोजित होने वाला पहला सम्मेलन होने का गौरव प्राप्त हुआ। ‘वैश्विक दक्षिण’ यानी विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं का समूह, जिनकी समस्याएँ अक्सर वैश्विक निर्णय प्रक्रिया में अनदेखी रह जाती हैं। प्रधानमंत्री मोदी लंबे समय से इस समूह की आवाज़ को आगे लाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

सम्मेलन में भारत ने समावेशी विकास, ऊर्जा न्याय, डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और दक्षिणी देशों की आर्थिक आवश्यकताओं पर मजबूत प्रस्ताव रखा। यह कहा जा सकता है कि भारत अब केवल भागीदार नहीं, बल्कि मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहा है।

PM Modi South Africa Visit: दक्षिण अफ्रीका में भारत की वैश्विक रणनीति और आतंकवाद पर कठोर रुख
PM Modi South Africa Visit: दक्षिण अफ्रीका में भारत की वैश्विक रणनीति और आतंकवाद पर कठोर रुख (File Photo)

भारत का ‘न्यायपूर्ण वैश्वीकरण’ मॉडल उभरते देशों के लिए उदाहरण

दक्षिण अफ्रीका में प्रधानमंत्री मोदी ने केवल राजनीतिक संदेश नहीं दिया, बल्कि वैश्विक आर्थिक ढांचे में न्यायपूर्ण सहभागिता की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया। विकसित राष्ट्रों द्वारा बनाई गई आर्थिक नीतियां अक्सर विकासशील देशों के लिए अनुपयोगी साबित होती हैं, ऐसे में भारत ने मांग की कि वैश्विक व्यापार व्यवस्था, निवेश, और तकनीकी हस्तांतरण की नीतियां ऐसी हों जो छोटे और मध्यम अर्थतंत्रों को भी समृद्ध कर सकें। भारत के इस दृष्टिकोण ने सम्मेलन में उपस्थित उभरते देशों के बीच एक साझा विश्वास की भावना पैदा की।

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर: वैश्विक दक्षिण के लिए भारतीय समाधान

भारत ने दक्षिण अफ्रीका दौरे में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) को विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक सर्वोत्तम मॉडल बताकर तकनीकी समावेशन का नया मानदंड प्रस्तुत किया। भारत का UPI, मतदाता तकनीक, डिजिटल पहचान, और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में डिजिटल सार्वजनिक तंत्र अब अंतरराष्ट्रीय मार्गदर्शिका बनते दिख रहा है। कई अफ्रीकी देशों ने भारत के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए इसे अपने देशों में लागू करने में रुचि व्यक्त की। इससे तकनीक तक असमान पहुंच की समस्या को दूर करने के लिए India-led समाधान को वैश्विक मान्यता मिल रही है।

ऊर्जा सुरक्षा और हरित प्रौद्योगिकी पर भारत की नई कार्यनीति

सम्मेलन के दौरान ऊर्जा सुरक्षा और हरित तकनीक पर भारत ने स्पष्ट रणनीति प्रस्तुत की, जिसमें स्वच्छ ऊर्जा की पहुंच, सौर ऊर्जा सहयोग, और उत्सर्जन नियंत्रण के लिए साझा व्यवहारिक तकनीकों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया। भारत ने इस बात पर बल दिया कि जलवायु परिवर्तन की ज़िम्मेदारी केवल विकासशील देशों पर नहीं थोपी जानी चाहिए, बल्कि विकसित देशों को ऊर्जा वित्त और तकनीक हस्तांतरण के दायित्वों को वास्तविक रूप से निभाना चाहिए। इस सिद्धांतगत रुख़ को कई देशों का समर्थन मिला, जिससे भारत की ऊर्जा नीति को व्यापक वैश्विक स्वीकार्यता मिलती दिखाई दी।

जापान के नए प्रधानमंत्री से पहला प्रत्यक्ष संवाद

शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जापान की नई प्रधानमंत्री साने ताकाइची से पहली प्रत्यक्ष मुलाकात की। जापान ने भारत द्वारा प्रस्तावित कृत्रिम बुद्धिमत्ता सम्मेलन (AI Summit) को समर्थन दिया है, जो 2026 में आयोजित होगा। दोनों देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष समुद्री व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई। यह बैठक भारत-जापान के सामरिक सहयोग को और सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

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