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लाइवस्ट्रीम में दुर्घटनाग्रस्त हुई टेस्ला कार, ‘फुल सेल्फ-ड्राइविंग’ तकनीक पर फिर उठे गंभीर सवाल

लाइवस्ट्रीम में दुर्घटनाग्रस्त हुई टेस्ला कार
लाइवस्ट्रीम में दुर्घटनाग्रस्त हुई टेस्ला कार
चीन में लाइवस्ट्रीम के दौरान टेस्ला मॉडल 3 के हादसे ने फुल सेल्फ-ड्राइविंग तकनीक की सीमाओं को उजागर कर दिया। इस घटना के बाद टेस्ला के दावों, नामकरण और सुरक्षा मानकों पर चीन से लेकर अमेरिका तक बहस तेज हो गई है।
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Tesla FSD Crash: टेक्नोलॉजी के नाम पर भविष्य दिखाने वाली टेस्ला एक बार फिर विवादों के घेरे में है। इस बार मामला चीन से सामने आया है, जहां एक लाइवस्ट्रीम के दौरान टेस्ला मॉडल 3 अचानक दुर्घटनाग्रस्त हो गई। यह हादसा किसी सुनसान सड़क पर नहीं, बल्कि हजारों दर्शकों की आंखों के सामने हुआ। इस घटना ने न सिर्फ टेस्ला की ‘फुल सेल्फ-ड्राइविंग’ तकनीक पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि इस तकनीक के नाम और इसके दावों को लेकर चल रही बहस को भी नई हवा दे दी है।

लाइवस्ट्रीम में दिखा हादसा, तकनीक की परीक्षा फेल

यह घटना पिछले सप्ताह चीन की लोकप्रिय शॉर्ट वीडियो और लाइवस्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म डॉयिन पर हुई। एक टेस्ला मालिक अपनी कार की उन्नत ड्राइवर-असिस्टेंस तकनीक का प्रदर्शन कर रहा था। ड्राइवर यह दिखाना चाहता था कि टेस्ला का लेवल-2 ड्राइवर-सिस्टम कितनी आसानी से सड़क पर खुद को संभाल सकता है।

लेकिन अचानक स्थिति बिगड़ गई। लाइव कैमरे के सामने ही कार अपनी लेन से भटक गई और बाईं ओर उस लेन में चली गई, जो विपरीत दिशा से आने वाले वाहनों के लिए थी। कुछ ही पलों में सामने से आ रही एक अन्य कार से टक्कर हो गई। राहत की बात यह रही कि इस हादसे में किसी को गंभीर चोट नहीं आई, लेकिन सवाल गहरे हो गए।

फुल सेल्फ-ड्राइविंग पर भरोसा या भ्रम?

शुरुआत में हादसे के बाद ड्राइवर ने वीडियो साझा नहीं किया। वजह साफ थी—वह सीधे तौर पर टेस्ला से मुआवजे की मांग कर रहा था। टेस्ला आमतौर पर अपने ऑटोनॉमस फीचर्स से जुड़े हादसों में जिम्मेदारी लेने से बचती रही है।

लेकिन जब वीडियो सामने आया, तो तस्वीर और साफ हो गई। फुटेज में देखा जा सकता है कि दुर्घटना के समय ‘फुल सेल्फ-ड्राइविंग’ सिस्टम सक्रिय था और लेन बदलने की शुरुआत कार ने खुद की थी। यह वही क्षण था जिसने टेस्ला के दावों की पोल खोल दी।

नाम ही बना सबसे बड़ा विवाद

‘फुल सेल्फ-ड्राइविंग’ नाम सुनते ही आम उपभोक्ता यही समझता है कि कार पूरी तरह खुद चल सकती है। जबकि हकीकत यह है कि यह सिस्टम अभी भी लेवल-2 श्रेणी में आता है, जिसमें ड्राइवर को हर समय सतर्क रहना और नियंत्रण में रहना जरूरी होता है।

चीन के नियामकों ने इसी भ्रम को देखते हुए इस साल की शुरुआत में टेस्ला को फुल सेल्फ-ड्राइविंग नाम बदलने के लिए मजबूर किया था। नियामकों का मानना था कि यह नाम तकनीक की वास्तविक क्षमताओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है और उपभोक्ताओं को गुमराह करता है।

सोशल मीडिया बना जोखिम का मंच

चीन में टेस्ला मालिकों के बीच सोशल मीडिया पर अपनी ड्राइव को लाइवस्ट्रीम करना एक ट्रेंड बन चुका है। डॉयिन और टिकटॉक जैसे प्लेटफॉर्म पर कई लोग यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि उनकी कार बिना किसी हस्तक्षेप के चल सकती है।

इस होड़ में अक्सर सुरक्षा नियमों की अनदेखी होती है। टेस्ला खुद अपने यूजर्स को चेतावनी देती है कि सिस्टम के सक्रिय होने पर भी ड्राइवर को स्टीयरिंग पर हाथ रखना चाहिए, लेकिन लाइवस्ट्रीम की चाहत कई बार इस चेतावनी पर भारी पड़ जाती है।

अमेरिका में भी थम नहीं रहा विवाद

टेस्ला की मुश्किलें सिर्फ चीन तक सीमित नहीं हैं। अमेरिका में भी ‘ऑटोपायलट’ और ‘फुल सेल्फ-ड्राइविंग’ जैसे नामों को लेकर कंपनी पहले से जांच के दायरे में है। कैलिफोर्निया के अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि टेस्ला इन नामों के जरिए उपभोक्ताओं को ऐसी तकनीक बेच रही है, जो वास्तव में पूरी तरह स्वचालित नहीं है।

यहां तक कि एक जज ने टेस्ला के मैन्युफैक्चरिंग और सेल्स लाइसेंस को अस्थायी रूप से निलंबित करने की सिफारिश भी की थी। हालांकि फिलहाल इस फैसले पर रोक लगी हुई है, लेकिन संदेश साफ है—नियामक अब सख्ती के मूड में हैं।

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Dipali Kumari

दीपाली कुमारी पिछले तीन वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता में कार्यरत हैं। उन्होंने रांची के गोस्सनर कॉलेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। सामाजिक सरोकारों, जन-जागरूकता और जमीनी मुद्दों पर लिखने में उनकी विशेष रुचि है। आम लोगों की आवाज़ को मुख्यधारा तक पहुँचाना और समाज से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नों को धारदार लेखन के माध्यम से सामने लाना उनका प्रमुख लक्ष्य है।