Trump Tariff War: रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार ने कहा है कि भारतीय कंपनियां वहां से तेल खरीदना जारी रखेंगी जहां भी उन्हें ‘सबसे अच्छा सौदा’ मिलेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नयी दिल्ली अपने ‘राष्ट्रीय हितों’ की रक्षा करने वाले कदम उठाना जारी रखेगी।
भारत की प्राथमिकता 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना
रविवार को रूस की सरकारी समाचार एजेंसी ‘तास’ को दिए साक्षात्कार में कुमार ने कहा कि नयी दिल्ली की प्राथमिकता देश के 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है। उनकी यह टिप्पणी भारत द्वारा रियायती दरों पर रूस से कच्चा तेल खरीदे जाने की अमेरिका द्वारा आलोचना किए जाने के बीच आई है।
Trump Tariff: व्यावसायिक आधार पर होता है व्यापार – भारत
इस बात पर ज़ोर देते हुए कि व्यापार ‘व्यावसायिक आधार’ पर होता है, कुमार ने कहा, ‘भारतीय कंपनियां, जहां कहीं भी उन्हें सबसे अच्छा सौदा मिलेगा, वहां से खरीदारी जारी रखेंगी। तो वर्तमान स्थिति यही है।’
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रिपोर्ट में उनके हवाले से कहा गया, ‘…हमने स्पष्ट रूप से कहा है कि हमारा उद्देश्य भारत के 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा है और कई अन्य देशों की तरह रूस के साथ भारत के सहयोग से वैश्विक तेल बाजार में स्थिरता लाने में मदद मिली है।’
भारत-रूस व्यापार आपसी हितों और बाजार कारकों पर आधारित
कुमार ने कहा कि भारत और रूस के बीच व्यापार आपसी हितों तथा बाजार कारकों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि यह ‘भारत के 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के समग्र उद्देश्य’ के साथ किया जाता है।
भारत पर अतिरिक्त शुल्क रूस को युद्ध रोकने के लिए मजबूर करने का ‘आक्रामक आर्थिक दबाव’: वेंस
इससे पहले, अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने रविवार को कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस को यूक्रेन पर बमबारी रोकने के लिए मजबूर करने के वास्ते भारत पर अतिरिक्त शुल्क (Trump Tariff) जैसे ‘आक्रामक आर्थिक दबाव’ का इस्तेमाल किया है।
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वेंस ने ‘एनबीसी न्यूज’ पर एक विशेष साक्षात्कार के दौरान यह भी कहा कि इस कदम से रूस के लिए अपनी तेल अर्थव्यवस्था के दम पर समृद्ध होना ‘मुश्किल हो जाएगा।’
रूस से सस्ता तेल खरीदने के लिए भारत की आलोचना कर रहा अमेरिका
ट्रंप प्रशासन रूस से रियायती दरों पर कच्चा तेल खरीदने के लिए भारत की कड़ी आलोचना करता रहा है। दिलचस्प बात यह है कि वाशिंगटन रूसी कच्चे तेल के सबसे बड़े आयातक चीन की आलोचना नहीं कर रहा है।
भारत का कहना है कि रूस सहित उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित से प्रेरित है। वेंस ने विश्वास जताया कि अमेरिका रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को समाप्त करने में मध्यस्थता कर सकता है, भले ही इस महीने राष्ट्रपति ट्रंप की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक के बाद से कुछ ‘रुकावटें’ पैदा हुई हों।
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रविवार को प्रसारित हुए साक्षात्कार में प्रस्तोता क्रिस्टन वेल्कर ने पूछा, ‘आप उन्हें (पुतिन) जेलेंस्की के साथ बातचीत की मेज पर कैसे ले जाएंगे और बम गिराने से कैसे रोकेंगे?’
ट्रंप ने आक्रामक आर्थिक दबाव का सहारा लिया
वेंस ने जवाब दिया कि ट्रंप ने ‘आक्रामक आर्थिक दबाव’ का सहारा लिया है, उदाहरण के लिए ‘भारत पर अतिरिक्त शुल्क (Trump Tariff) लगाना, ताकि रूस के लिए अपनी तेल अर्थव्यवस्था से अमीर बनना कठिन हो जाए।’
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