मुक्त व्यापार और सहयोग पर शी जिनपिंग का वैश्विक संदेश
गेयोंगजू (दक्षिण कोरिया), 31 अक्टूबर — एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपीईसी) सम्मेलन 2025 के उद्घाटन सत्र में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने विश्व के समक्ष स्पष्ट संदेश दिया कि उनका देश वैश्विक मुक्त व्यापार की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अनुपस्थिति के बावजूद, यह सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय व्यापार संतुलन और आर्थिक स्थिरता पर केंद्रित रहा।
सहयोग की भावना से ही संभव है स्थिर भविष्य
शी जिनपिंग ने अपने संबोधन में कहा, “जितना समय अशांत होता है, उतनी ही आवश्यकता हमें एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने की होती है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि अंतरराष्ट्रीय स्थिति लगातार जटिल और परिवर्तनशील होती जा रही है, और इस दौर में राष्ट्रों को अलग-थलग पड़ने की बजाय एक-दूसरे का सहारा बनना चाहिए।
उन्होंने अमेरिका द्वारा चीन से आपूर्ति श्रृंखला को अलग करने के प्रयासों की आलोचना करते हुए कहा कि आपूर्ति शृंखला की स्थिरता बनाए रखना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। शी ने हरित ऊर्जा, स्वच्छ प्रौद्योगिकी और सतत उद्योगों में सहयोग बढ़ाने का भी आह्वान किया।
ट्रंप का सम्मेलन से किनारा और उसका प्रभाव
डोनाल्ड ट्रंप का इस वर्ष के एपीईसी सम्मेलन से किनारा करना कई देशों के लिए चौंकाने वाला रहा। उन्होंने सम्मेलन से पहले शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता कर कई व्यापारिक समझौते किए, जिनमें चीन पर लगाए गए कुछ टैरिफ में कटौती और अमेरिकी सोयाबीन की खरीद को लेकर सहमति बनी।
ट्रंप का यह कदम अमेरिकी नीतियों में बहुपक्षीय सहयोग की बजाय “अमेरिका फर्स्ट” नीति को प्राथमिकता देने का संकेत माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय साख को नुकसान पहुंच सकता है, क्योंकि एपीईसी विश्व की लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या और आधे से अधिक वैश्विक व्यापार का प्रतिनिधित्व करता है।
एपीईसी की चुनौतियाँ और नए युग की दिशा
सन् 1989 में स्थापित एपीईसी मंच का उद्देश्य था क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना और व्यापारिक रुकावटों को समाप्त करना। परंतु वर्तमान में यह संगठन अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है — जैसे अमेरिका-चीन प्रतिस्पर्धा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बढ़ते प्रभाव, जनसंख्या का वृद्ध होना और आपूर्ति शृंखला में अस्थिरता।
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्युंग ने सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कहा, “हम सभी का लक्ष्य साझा समृद्धि है। हमारे राष्ट्रीय हित भिन्न हो सकते हैं, लेकिन हमें मिलकर भविष्य की दिशा तय करनी होगी।” उन्होंने “सतत कल का निर्माण: जुड़ो, नवाचार करो, समृद्ध बनो” विषय पर बल दिया।
शी जिनपिंग की कूटनीतिक सक्रियता
एपीईसी सम्मेलन के दौरान शी जिनपिंग ने जापान की नई प्रधानमंत्री साने ताकाइची, कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और थाईलैंड के प्रधानमंत्री अनुतिन चर्नवीराकुल से मुलाकात की। यह 11 वर्षों में उनका दक्षिण कोरिया का पहला दौरा था।
शनिवार को वे दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ली जे म्युंग से भी मिलेंगे, जहां उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत होने की संभावना है।
संयुक्त घोषणा पर सहमति की कोशिश
दक्षिण कोरियाई विदेश मंत्रालय ने बताया कि सभी 21 सदस्य देशों को एक साझा घोषणा-पत्र पर सहमति दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। 2018 में पापुआ न्यू गिनी में एपीईसी सम्मेलन बिना किसी संयुक्त बयान के समाप्त हुआ था, इसलिए इस बार कोरिया इसे सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
विदेश मंत्री चो ह्यून ने कहा कि “मुक्त व्यापार के पक्ष में एक सशक्त बयान जारी करना कठिन हो सकता है,” लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई कि सदस्य देश शांति और समृद्धि पर एक साझा घोषणा कर सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय: केवल ‘विराम’ नहीं, समाधान चाहिए
सियोल की ईव्हा वूमन्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लीफ-एरिक ईस्ली ने कहा, “शी और ट्रंप के बीच समझौते ने सबसे गंभीर व्यापारिक संकट को टालने में मदद की, लेकिन एपीईसी केवल एक युद्धविराम का मंच नहीं होना चाहिए। हमें दीर्घकालिक बहुपक्षीय समाधान पर काम करना होगा।”
उन्होंने कहा कि “सतत व्यापार, डिजिटल नवाचार और नियामक सामंजस्य के लिए देशों को मिलकर कार्य करना होगा।”
एशिया-प्रशांत के लिए नए युग की पुकार
एपीईसी सम्मेलन ने स्पष्ट किया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में संतुलन लाने के लिए अब सामूहिक कदम आवश्यक हैं। शी जिनपिंग का यह संदेश कि “संकट के समय में सहयोग ही सबसे बड़ा समाधान है”, आने वाले वर्षों में एशिया-प्रशांत की नीति दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
यह समाचार पीटीआई(PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित किया गया है।
 
            

 
                 Asfi Shadab
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