बिहार विधानसभा चुनाव 2025: एनडीए में सीटों का सेट गेम और घटक दलों की मांगें
पटना, 7 अक्टूबर 2025 —
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दो चरणों के लिए चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है। पहले चरण की तैयारी में एनडीए और महागठबंधन दोनों ही गठबंधन अभी सीटों के बंटवारे पर अंतिम निर्णय लेने में लगे हुए हैं।
एनडीए में जदयू और भाजपा ने अब तक अपने हिस्से का नंबर गेम सेट कर लिया है, लेकिन घटक दलों में सीटों को लेकर अभी भी खींचतान बनी हुई है।
चिराग पासवान की मांग और प्रस्ताव
लोक जनशक्ति पार्टी (LJP-R) अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने विधानसभा सीटों की संख्या को लेकर विशेष जोर दिया। पहले उन्हें 18-20 सीटें देने का प्रस्ताव था, जो अब बढ़ाकर 25 सीटें कर दी गई हैं।
हालांकि चिराग पासवान अभी भी लोकसभा की एक जीती हुई सीट के एवज में छह अतिरिक्त विधानसभा सीटों की मांग कर रहे हैं।
उनके पास पार्टी के पांच सांसद हैं और इस आधार पर उन्हें कुल कम से कम 30 विधानसभा सीटों की आवश्यकता बताई जा रही है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने बताया कि चिराग पासवान से नई दिल्ली स्थित आवास पर बैठक हुई। बैठक में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भी शामिल थे। बैठक का उद्देश्य बिहार की प्रगति के लिए एनडीए गठबंधन की मजबूती और सीटों का संतुलन तय करना था।
मांझी की मांग: 16-18 सीटें
केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी की अगुवाई वाले हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा (HAM) ने 16-18 सीटों की मांग की है।
मोर्चा का तर्क है कि उन्हें इतने विधायक चाहिए ताकि दल को राज्य स्तरीय दल का दर्जा मिल सके। हालांकि, वह 10-12 सीटों पर भी राज़ी हो सकते हैं।
एनडीए के अन्य घटक दलों जैसे राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLSP) के साथ भी बातचीत जारी है।
जदयू और भाजपा में सहयोग कायम
जदयू और भाजपा के बीच सीटों को लेकर कोई विशेष तकरार नहीं है। जदयू का यह मांग है कि उसे भाजपा से कम से कम एक अधिक सीट मिलनी चाहिए, ताकि गठबंधन में उसकी साख बनी रहे।
एनडीए का उद्देश्य है कि सभी घटक दल संतुष्ट रहें और विधानसभा चुनाव में गठबंधन मजबूत स्थिति में रहे।
संगठनात्मक तैयारी और रणनीति
एनडीए गठबंधन की रणनीति में समान रूप से सीटों का बंटवारा और घटक दलों की आकांक्षाओं का ध्यान रखना प्रमुख है।
चिराग पासवान और मांझी की मांगों के संतुलन से ही गठबंधन में आपसी समन्वय और चुनावी सफलता सुनिश्चित हो सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार में विधानसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा तय करना राजनीतिक गेम और गठबंधन स्थिरता का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
चुनाव के पहले चरण में सीटों का निर्णय, उम्मीदवार चयन और प्रचार रणनीति गठबंधन की मजबूती को निर्धारित करेगी।