हमास ने सभी बंधकों को किया रिहा, ट्रंप बोले — “मिडिल ईस्ट में नया ऐतिहासिक सवेरा”
यरुशलम में एक ऐतिहासिक दिन देखा गया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल की संसद नेसेट में खड़े होकर घोषणा की कि “अंधकार और कैद के दो वर्षों के बाद 20 साहसी बंधक अपने परिवारों के पास लौट रहे हैं।”
यह बयान सिर्फ एक घोषणा नहीं, बल्कि दो साल से जारी खूनी संघर्ष के अंत की प्रतीक बन गया।
दो साल बाद थमा युद्ध का पहिया
करीब दो वर्षों तक इजरायल और हमास के बीच चला भीषण युद्ध आखिरकार सीजफायर के साथ थम गया। इस युद्ध में गाजा के अधिकांश हिस्से खंडहर में बदल गए, हजारों निर्दोष नागरिकों ने अपनी जान गंवाई, और हजारों परिवार उजड़ गए।
हमास द्वारा बंधकों की रिहाई के बाद उम्मीद जगी है कि यह युद्धविराम मिडिल ईस्ट में स्थायी शांति की दिशा में एक ठोस कदम साबित होगा।
ट्रंप ने नेतन्याहू को दिया ‘धन्यवाद बीबी’ का संबोधन
यरुशलम की संसद में अपने संबोधन की शुरुआत ट्रंप ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की प्रशंसा से की। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा,
“Thank you very much, Bibi. Great job.”
उनके इस संबोधन के बाद पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
ट्रंप ने कहा कि नेतन्याहू ने कठिन हालात में भी शांति की राह नहीं छोड़ी और यही प्रयास अब मिडिल ईस्ट में नई सुबह लेकर आया है।
सीजफायर सौदे में अमेरिका की भूमिका अहम
जानकारों के मुताबिक, यह सीजफायर समझौता और बंधकों की रिहाई अमेरिका की मध्यस्थता में संभव हुई। पिछले कई महीनों से अमेरिकी कूटनीतिज्ञों की सक्रिय भागीदारी इस दिशा में निर्णायक रही।
ट्रंप प्रशासन ने इस समझौते को “New Dawn of Peace in the Middle East” बताया है।
उन्होंने कहा कि “यह शांति सिर्फ इजरायल के लिए नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक नई उम्मीद है।”
बंधकों की रिहाई — पीड़ा के अंत की शुरुआत
हमास ने जिन 20 बंधकों को रिहा किया, वे करीब दो साल से गाजा में कैद थे। इनमें बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल थे।
जब वे अपने परिवारों से मिले, तो माहौल भावनाओं से भर उठा। कई परिजनों की आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे।
इजरायली मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन बंधकों की रिहाई के साथ ही मानवीय राहत कार्यों की भी शुरुआत हुई है ताकि युद्ध से प्रभावित इलाकों में सामान्य जीवन बहाल हो सके।
ट्रंप को मिला “शांति पुरस्कार”
इस अवसर पर इजरायली सरकार ने डोनाल्ड ट्रंप को ‘शांति पुरस्कार’ से सम्मानित किया। नेतन्याहू ने कहा,
“यह पुरस्कार उस व्यक्ति को दिया जा रहा है जिसने संघर्ष को शांति में बदलने की दिशा में अद्भुत योगदान दिया।”
ट्रंप ने इस सम्मान को स्वीकार करते हुए कहा,
“यह सम्मान मेरे लिए नहीं, बल्कि उन सभी के लिए है जिन्होंने विश्वास और साहस से काम किया।”
मिडिल ईस्ट में स्थायी शांति की उम्मीद
अब जब युद्ध थम गया है और बंधक अपने घर लौट आए हैं, तो पूरा अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस उम्मीद में है कि यह विराम स्थायी शांति में बदलेगा।
ट्रंप ने कहा,
“यह सिर्फ एक समझौता नहीं, बल्कि आने वाले पीढ़ियों के लिए उम्मीद की नींव है।”
उन्होंने मिडिल ईस्ट को “Golden Era of Peace” की दहलीज पर बताया।
निष्कर्ष
यरुशलम की इस घटना ने पूरी दुनिया को यह संदेश दिया है कि संवाद और कूटनीति से हर संघर्ष का अंत संभव है।
हमास और इजरायल के बीच दो वर्षों से चली आ रही जंग अब बीते समय की बात बन सकती है — अगर दोनों पक्ष शांति की इस डोर को बनाए रखें।
ट्रंप का यह ऐलान न सिर्फ इजरायल के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक प्रेरक संदेश बन गया है कि “शांति कोई सपना नहीं, बल्कि साहस का परिणाम है।”